सुलतानपुर : किसान भाई खेती की आधुनिक पद्धतियों को अपनाकर आय बढ़ा रहे हैं। कम खेती के किसानों के लिए एक ही खेत में एक समय दो फसलों की पैदावार लेने का चलन जोर पकड़ रहा है। जिले के विभिन्न विकास खंडों में सैकड़ों किसानों ने रबी सत्र की बोवाई के दौरान सहफसली विधि की खेती शुरू की है। आलू के साथ सरसों, गन्ना के साथ सरसों व मसूर, चना के साथ अलसी और गेहूं के साथ धनिया तथा अन्य सब्जी वर्गीय फसलों की बोवाई इस वर्ष तेजी से बढ़ी है। किसानों की आय दोगुना करने की सरकारी मंशा को साकार करने के लिए खेती की लागत कम करने की बेहद जरूरत है। कम खेत वाले किसानों के लिए एक साथ दो फसलों का प्रयोग वैज्ञानिक ढंग से करने की सीख कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से प्रचारित-प्रसारित की गई है। केंद्र ने अलग-अलग क्षेत्रों के 200 किसानों को सहफसली की वैज्ञानिक विधि में प्रशिक्षित किया है। आलू की बोवाई के दौरान तीन लाइनों के बाद सरसों की फसल लेने से आलू को पाले से बचाया जा सकेगा। वहीं शीतकालीन गन्ना की इस समय बोवाई चल रही है। इस फसल के साथ किसान सरसों, धनिया और गेहूं की बोवाई कर रहे हैं। चना के साथ अलसी की बोवाई से चने की फसल को फलीभेदक कीट से बचाया जा सकता है। तमाम किसान रबी मक्का के साथ मटर की फसल लेने का भी नया प्रयोग कर रहें है। गोभी इत्यादि सब्जी के साथ सरसों की बोवाई कर सब्जी की फसलों को रोगमुक्त करने की विधि भी किसानों ने अपनाई है।
बीज छांटकर न बोने की सलाह
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि परंपरागत ढंग से छिड़काव कर बीजों की बोवाई से पैदावार कम होती है। बीज की पंक्तियों में बोवाई की जानी चाहिए। जिला कृषि विज्ञान केंद्र बरासिन के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ.आरपी मौर्य ने बताया कि पंक्ति में बोवाई से सिंचाई व खाद कम लगती है, जिससे लागत घटती है। दस से बीस फीसद तक उत्पादन में वृद्धि होती है।