Lemon Grass (नींबू घास)
Basic Info
लेमन घास या नींबू घास (Lemon Grass) एक सुगन्धित औषधीय पौधा है। जिसकी औसतन ऊंचाई 1-3 मीटर लंबा होता है। पत्ते 125 सैं.मी. लंबे और 1.7 सैं.मी. चौड़े होते हैं। इसका उपयोग मेडिसिन, कॉस्मेटिक और डिटरजेंट में किया जाता है। लेमन ग्रास से निकलने वाले तेल की बाजार में बहुत मांग है। लेमन ग्रास से निकलने वाला तेल कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल और दवा बनाने वाली कंपनियां उपयोग करती हैं, इस वजह से इसकी अच्छी कीमत मिलती है। इसे भारत, अफ्रीका, अमरीका और एशिया के उष्ण कटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है। भारत में इसे मुख्यत पंजाब, केरला, आसाम, महांराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में उगाया जाता है।
Seed Specification
बुवाई का समय
लेमन घास की नर्सरी बेड तैयार करने का सबसे अच्छा समय मार्च-अप्रैल का महीना है।
दुरी
कतार से कतार की दुरी 50x75 से.मी. तथा पौधों से पोधों की दुरी 30x 40 से.मी. रखे।
बीज की गहराई
2-3 सैं.मी. की गहराई में बोयें।
बुवाई का तरीका
लेमन घास के बीज को नर्सरी बनाकर बोया जाता है। पौधों के कुछ बड़े होने पर इन्हें पौधशाला से उखाड़ कर अन्य जगह या खेत में रोपाई करते हैं। पौधे 2 महीने के बाद लगाने लायक हो जाते हैं।
बीज की मात्रा
एक हेक्टेयर के लिए 4 किलो बीज की जरूरत होती है।
बीज का उपचार
फसल को कांगियारी से बचाने के लिए नर्सरी में बुवाई से पहले बीजों को सीरेसन 0.2 % या एमीसान 1 ग्राम से प्रति किलो बीजों का उपचार करें। रासायनिक उपचार के बाद बुवाई के लिए बीजों का प्रयोग करें।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
लेमन घास की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त है। उच्च ताप तथा धूप की उपस्थिति से पौधे में तेल की मात्रा बढ़ती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।
भूमि का चयन
लेमन घास की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि की जा सकती है। दोमट उपजाऊ मिट्टी अधिक अच्छी होती है, लेकिन लेमन घास को बालू युक्त चिकनी मिट्टी, लेटेराईट एवं बारानी क्षेत्रों में भी उपजाई जा सकती है। इस फसल की वृद्धि के लिए मिट्टी का पी एच 5.0 - 8.5 होनी चाहिए।
खेत की तैयारी
लेमन घास की बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार अच्छी तरह जुताई कर लें। अंतिम जुताई के समय पाटा लगाकर खेत को समतल और भुरभुरा बना लें। जुताई के बाद उचित दुरी पर क्यारियाँ (मेड) बनाना चाहिए।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
फसल के अच्छे विकास के लिए जैविक विधि में रसायनिक खाद के बदले में केंचुआँ खाद/नादेप कम्पोस्ट, एजोटोबैक्टर, पी.एस.बी., करंज खल्ली दिया जाता है। तथा अजैविक विधि में खेत की तैयारी के समय कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद 20-25 टन प्रति हेक्टेयर देकर अच्छी तरह मिला दें। साथ ही नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश भी 150:40:40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपाई समय एवं शेष मात्रा दो किस्तों में 2-2 माह बाद दें।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
लेमन घास के लिए जल की अधिक मात्रा की आवश्यकता नहीं होती है। बरसात में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। रोपाई के पश्चात भूमि में नमी होना जरूरी है। गर्मियों में 10 दिनों के अंतराल पर एवं सर्दियों में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
लेमन घास लगाने के 3 से 5 महीने बाद इसकी पहली कटाई की जाती है। प्रति वर्ष 4-5 कटाई की जा सकती है। लेमन घास तैयार हुआ है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए इसे तोड़कर सूंघें, सूंघने पर नींबू की तेज खुशबू आए तो समझ जाएं कि ये तैयार हो गया है। जमीन से 5 से 8 इंच ऊपर इसकी कटाई करें।
कटाई के बाद
लेमन घास की कटाई के बाद तेल निकालने की प्रक्रिया की जाती है। तेल निकालने से पहले लैमन घास को सोडियम क्लोराइड के घोल में 24 घंटे के लिए रखें इससे फसल में खट्टेपन की मात्रा बढ़ती है। उसके बाद घास को छांव में रखे और बैग में पैक करके स्थानीय बाजारों में भेज दें। पकी हुई लैमन घास से कई तरह के उत्पाद जैसे लैमन घास तेल और लैमन घास लोशन बनाए जाते हैं।
उत्पादन
हरी घास का उपयोग तेल निकालने में होता है। पत्ती तना व पुष्प क्रम में तेल पाया जाता है। अत: पूरा ऊपरी भाग आसवन के लिए उपयोगी होता है। लगभग 10 से 25 टन/हे. हरीघास पैदा होती है। जिससे 60 से 80 कि.ग्राम तेल/हे. मिलता है। घास के ताजा वजन के आधार पर 0.35 प्रतिशत तेल उपलब्ध होता है।