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Tea (चाय)

Basic Info

चाय एक प्रकार से विश्वव्यापी लोकप्रिय और महत्वपूर्ण पेय योग्य पदार्थ है | यह एक सदाबहार झाड़ी नुमा पौधा होता है जो थियनेसेसिस नामक पेड़ का प्रजातीय है | चाय में थीन नामक पदार्थ पाया जाता है जो मानव शरीर को ऊर्जा देता है | यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है। विश्व में सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन चीन में किया जाता है। चाय के उत्पादन में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसका सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला देश श्रीलंका है। भारत में दार्जिलिंग, असम, कोलुक्कुमालै, पालमपुर, मुन्नार, नीलगिरि चाय की खेती के लिए प्रचलित हैं।

Seed Specification

बुवाई का समय
पौधे लगाने का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर और नवम्बर माह होता है।

बुवाई का तरीका
चाय के पौध बीज और कलम विधि से तैयार की जाती है। बीज से पौध तैयार करने के काफी मेहनत और समय लगता है। इसलिए इसकी पौध कलम के माध्यम से तैयार की जाती है। बीज के माध्यम से खेती के लिए पहले इसके बीजों से नर्सरी में पौध तैयार की जाती है।

पौधरोपण का तरीका
चाय के पौधों को खेत में तैयार किये गए गड्डों में लगाया जाता है। इसके लिए पहले से खेत में तैयार गड्डों के बीचों बीच एक छोटा सा गड्डा तैयार करते हैं। उसके बाद पौधे की पॉलीथीन को हटाकर उसे तैयार किये गए गड्डे में लगाकर चारों तरफ अच्छे से मिट्टी डालकर दबा देते हैं। इसके पौधों को विकास करने के लिए छाया की जरूरत होती है। इसके लिए प्रत्येक पंक्तियों में चार से पांच पौधों पर किसी एक छायादार वृक्ष की रोपाई करनी चाहिए।

दूरी
खेत में पंक्तियों में 4-5 मीटर के आसपास दूरी रखते हुए गड्डे तैयार कर लें।

Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु
चाय की खेती के लिए गर्म आद्र जलवायु सबसे उत्तम होती है। तथा 10 से 35 डिग्री तापमान में इसकी अच्छी पैदावार होती है।

भूमि का चयन
चाय के अच्छे उत्पादन के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हल्की अम्लीय मिट्टी सबसे अच्छी होती है। चाय के बगानों में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। इसकी खेती के लिए 4.5 - 5.0 पी.एच वाली हल्की अम्लीय मिट्टी अच्छी मानी जाती है।

खेत की तैयारी
पौध रोपण से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर कुछ दिन के लिए खुला छोड़ देते हैं। उसके बाद खेत में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल बना दें। इसके पौधे खेतों में गड्डे तैयार कर उनमें लगाए जाते हैं।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
चाय की अच्छी बढ़वार और अधिक उपज के लिए खाद एवं उर्वरक की अधिक आवश्यकता होती है। इसके लिए गड्ढे तैयार करते समय प्रत्येक पौधों को लगभग 20 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट देनी चाहिए। रासायनिक उर्वरक में एन.पी. के. और आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी परिक्षण के आधार पर देना चाहिए।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।

सिंचाई
चाय की खेती में सिंचाई बारिश के माध्यम से होती है। बारिश कम या नहीं होने पर हर दिन फव्वारा विधि से सिंचाई करनी चाहिए।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई 
पौधों को लगाने के लगभग एक साल बाद पत्तियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। 
किसान वर्ष में 3 बार इसकी तुड़ाई कर के फसल प्राप्त कर सकते हैं।

उत्पादन 
प्रति हेक्टेयर बगान से लगभग 1800 से 2500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर चाय प्राप्त किया जा सकता है।

Crop Related Disease

Description:
रोगजनक पत्तियों या तनों पर और गिरे हुए पौधे के मेजबान मलबे में जीवित रहते हैं। हवा द्वारा बीजाणु के फैलाव से रोग आसानी से फैलता है।
Organic Solution:
कैसिया अलाटा/पॉलीगोनम हैमिल्टोनी/एकोरस कैलमस/अधातोडा वैसिका/इक्विसेटम अर्वेन्स/पॉलीगोनम हाइड्रोपाइपर/टेगेटिस पेटुला के 5-10% जलीय अर्क के 2-3 राउंड 15 दिनों के अंतराल पर स्प्रे करें।
Chemical Solution:
बिटरटेनॉल 25% WP @ 80 ग्राम 30 लीटर पानी/एकड़ में या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50% WP@ 0.168 ग्राम 70 लीटर पानी/एकड़ में या कॉपर हाइड्रॉक्साइड 77% WP @ 140 ग्राम 300 लीटर पानी/एकड़ में या हेक्साकोनाज़ोल 5 % ईसी @ 10 ग्राम 200 मिलीलीटर में, 70-90 पावर स्प्रेयर के साथ 175-200 नैप बोरी स्प्रेयर के साथ या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 50-100 ग्राम 70-100 लीटर पानी में या स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 9% + टेट्रासिलिन हाइड्रोक्लोराइड 1 % एसपी @ यह कवक रोग है और 40 ग्राम 350 से 420 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (50% वेटेबल पावर) को 67 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर एयर ब्लास्ट स्प्रेयर के साथ, दोनों तरफ दो पंक्तियों को कवर करके छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है।
Description:
रोगाणु पुनरुत्पादन करते हैं और पत्तियों या तनों पर धब्बे और गिरे हुए पौधे के मेजबान मलबे में जीवित रहते हैं। अनुकूल परिस्थितियाँ हैं: बार-बार बारिश और गर्म मौसम इन रोगजनकों के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। मेजबानों के लिए, खराब पौधों का पोषण, खराब मिट्टी की निकासी, और स्थिर हवा शैवाल द्वारा संक्रमण के कारक हैं|
Organic Solution:
15 दिनों के अंतराल पर Argimon maxicana/Polygonum hemiltonii के 5% जलीय अर्क के 4-6 राउंड स्प्रे करें।
Chemical Solution:
कॉपर ऑक्सी क्लोराइड ५०% WP @ ०.२४ किलोग्राम ५० लीटर पानी में/एकड़
Description:
रोगज़नक़ सड़ने वाले पौधे के मलबे में जीवित रहता है जो प्राथमिक संक्रमण का स्रोत है। जब अतिसंवेदनशील किस्मों की नई टहनियों को काटकर नए पौधों को जड़ देने के लिए उपयोग किया जाता है, तो पत्ती के ऊतकों में गुप्त मायसेलियम भूरे रंग के धब्बे बनाने के लिए आस-पास की कोशिकाओं पर आक्रमण करना शुरू कर सकता है, और इससे पत्तियों और टहनियों की मृत्यु हो सकती है। अनुकूल परिस्थितियां: यह रोग खराब वायु परिसंचरण, उच्च तापमान और उच्च आर्द्रता या लंबे समय तक पत्ती के गीलेपन का पक्षधर है।
Organic Solution:
एम्फीन्यूरॉन ऑपुलेंटम/कैसिया अलाटा/पॉलीगोनम साइनेंसिस के 5% जलीय अर्क के 2-4 राउंड 15 दिनों के अंतराल पर स्प्रे करें।
Chemical Solution:
सर्दी के मौसम और गर्मी के मौसम में कॉपर ऑक्सी क्लोराइड या बोर्डो मिश्रण 0.1% का छिड़काव करें।

Tea (चाय) Crop Types

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