Rye (राई)
Basic Info
राई (Rye) का रबी तिलहनी फसलों में विशेष स्थान है। जिन क्षेत्रों में कम वर्षा की स्थिति में धान की खेती नहीं हो सकी, उन खाली खेतों में राई की अगात खेती कर खरीफ फसलों की भरपाई की जा सकती है। राई का दाना छोटा व काला होता है, छोटी-छोटी गोल-गोल राई लाल और काले दानों में अक्सर मिलती है। विदेशों में सफेद रंग की राई भी मिलती हैं। राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं। बस, राई सरसों से थोड़ी छोटी होती है। राई के बीजों का तेल भी निकाला जाता है। राई का रबी तिलहनी फसलों में प्रमुख स्थान है। इसकी खेती सीमित सिंचाई की दशा में अधिक लाभदायक होती है।
Seed Specification
बुवाई का समय
राई की बुवाई का उचित समय सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह हैं।
दुरी
राई की बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति का फासला 30 सैं.मी. और पौधे से पौधे का फासला 10 से 15 सैं.मी. रखें। राई की बुवाई के लिए पंक्तियों का फासला 45 सैं.मी. और पौधे से पौधे का फासला 10 सैं.मी. रखें।
बीज की गहराई
बीज 4-5 सैं.मी. गहरे बीजने चाहिए।
बुवाई का तरीका
बुवाई के लिए बुवाई वाली मशीन का ही प्रयोग करें।
बीज की मात्रा
बीज की मात्रा 1.5 किलोग्राम प्रति एकड़ की जरूरत होती है। बुवाई के 3 सप्ताह बाद कमज़ोर पौधों को नष्ट कर दें और सेहतमंद पौधों को खेत में रहने दें।
बीज का उपचार
बीज को मिट्टी के अंदरूनी कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए बीजों को 3 ग्राम थीरम से प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचार करें।
Land Preparation & Soil Health
उपयुक्त जलवायु
भारत में राई की खेती शीत ऋतु में की जाती है। इस फसल को 18 से 25 सेल्सियस तापमान की आवष्यकता होती है। राई की फसल के लिए फूल आते समय वर्षा, अधिक आर्द्रता एवं वायुमण्ड़ल में बादल छायें रहना अच्छा नही रहता है। अगर इस प्रकार का मौसम होता है, तो फसल पर माहू या चैपा के आने की अधिक संभावना हो जाती हैं।
भूमि का चयन
राई की खेती सभी प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती है। राई की खेती रेतीली से लेकर भारी मटियार मृदाओ में की जा सकती है। लेकिन बलुई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती है। यह फसल हल्की क्षारीयता को सहन कर सकती है। लेकिन मृदा अम्लीय नही होनी चाहिए।
खेत की तैयारी
राई की खेती के लिए भूमि को देसी हल या कल्टीवेटर से दो या तीन बार जोताई करें और प्रत्येक जोताई के बाद सुहागा फेरें। बीजों के एकसार अंकुरित होने के लिए बैड नर्म, गीले और समतल होने चाहिए। सीड बैड पर बोयी फसल अच्छी अंकुरित होती है।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं उर्वरक
राई की खेती के लिए खेत की तैयारी के समय अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 7-12 टन/एकड़ की दर से मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए। खादों के सही प्रयोग के लिए मिट्टी की जांच करवायें। राई की फसल में 40 किलो नाइट्रोजन (90 किलो यूरिया), 12 किलो फासफोरस (75 किलो सिंगल सुपर फासफेट) और 6 किलो पोटाश्यिम (10 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति एकड़ डालें। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सारी खाद बुवाई से पहले डालें। राई की फसल के लिए खाद की आधी मात्रा बुवाई से पहले और आधी मात्रा पहला पानी लगाते समय डालें। ध्यान रहे रासायनिक उर्वरक मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही प्रयोग करें।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
राई की खेती में खरपतवार की रोकथाम के लिए 15 दिनों के फ़ासलो में 2-3 निराई-गुड़ाई करें।
सिंचाई
फसल की बुवाई सिंचाई के बाद करें। अच्छी फसल लेने के लिए बुवाई के बाद तीन हफ्तों के फासले पर तीन सिंचाइयों की जरूरत होती है। ज़मीन में नमी को बचाने के लिए जैविक खादों का अधिक प्रयोग करें।
Harvesting & Storage
कटाई एवं गहाई
फसल अधिक पकने पर फलियों के चटकने की आशंका बढ़ जाती है। अतः पौधों के पीले पड़ने एवं फलियां भूरी होने पर फसल की कटाई कर लेनी चाहिए। फसल को सूखाकर थ्रेसर या डंडों से पीटकर दाने को अलग कर लिया जाता है। बीजों को सुखाने के बाद बोरियों में या ढोल में डालें। और नमी रहित स्थान पर भण्डारित करें।
उत्पादन
राई की उपरोक्त उन्नत तकनीक द्वारा खेती करने पर असिंचित क्षेत्रो में 15 से 20 क्विंटल तथा सिंचित क्षेत्रो में 20 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दाने की उपज प्राप्त हो जाती है।