Brahmi (ब्राह्मी)
Basic Info
ब्राह्मी एक औषधीय पौधा है जो भूमि पर फैलकर बड़ा होता है। इसके तने और पत्तियाँ मुलामय, गूदेदार और फूल सफेद होते है। यह पौधा नम स्थानों में पाया जाता है, तथा मुख्यत: भारत ही इसकी उपज भूमि है। इसे भारत वर्ष में विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे हिन्दी में सफेद चमनी, संस्कृत में सौम्यलता, मलयालम में वर्ण, नीरब्राम्ही, मराठी में घोल, गुजराती में जल ब्राह्मी, जल नेवरी आदि तथा इसका वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोनिएरी है।
यह पूर्ण रूप से औषधीय पौधा है। यह औषधि नाडि़यों के लिये पौष्टिक होती है। कब्ज को दूर करती है। इसके पत्ते के रस को पेट्रोल के साथ मिलाकर लगाने से गठिया दूर करती है। ब्राह्मी में रक्त शुद्ध करने के गुण भी पाये जाते है। यह हृदय के लिये भी पौष्टिक होता है।
Seed Specification
बुवाई का समय
इसकी बुवाई मध्य जून या जुलाई महीने के शुरू में कर लेनी चाहिए।
दुरी
पनीरी वाले पौधों का रोपण् 20x20 से.मी. के दुरी पर करें।
बुवाई का तरीका
ब्राह्मी की खेती बीज और पौध दोनों के माध्यम से की जाती है। लेकिन इसके पौधों को पौध के रूप में लगाना अधिक बेहतर होता है। इसकी पौध नर्सरी में रोपाई से पहले तैयार की जाती है।
बीज की मात्रा
एक एकड़ खेत में बुवाई के लिए लगभग 25000 कटे हिस्सों की जरूरत होती है।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
इसे गर्म आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। यह उपोष्ण क्षेत्र की फसल है। 33-44 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान 60-65% आर्द्रता के साथ फसल के लिए विकास के लिए आदर्श माना जाता है।
भूमि का चयन
पौधे के अनुकूल विकास के लिए अम्लीय मिट्टी अच्छी होती है। इसे यह रेतीली - दोमट, रेतीली और हल्की काली मिट्टी में भी लगाया जा सकता है। मिट्टी का pH मान सामान्य होना चाहिए।
खेत की तैयारी
भूमि को अच्छी तरह से बार - बार जुताई करके तैयार करना चाहिए। अंतिम जुताई के समय मिट्टी में 5 टन/हे. की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाना चाहिए। फिर भूमि में सुविधाजनक आकार के भूखण्ड सिंचाई चैनलों के साथ बनाये जाते है।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
खेत की तैयारी के समय 5 टन/हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद डालें और अच्छी तरह मिट्टी में मिलायें। इसके इलावा नाइट्रोजन 100 किलो, फास्फोरस 60 किलो और पोटाश 60 किलो की मात्रा प्रति हेक्टेयर में प्रयोग करें। फास्फोरस और पोटाश को शुरूआती खाद के तौर पर डालें और नाइट्रोजन को 3 हिस्सों में डालें। पहला हिस्सा बुवाई के 30 दिन बाद, फिर दूसरा हिस्सा 60-70 दिन बाद और तीसरा हिस्सा 90 दिनों के बाद डालें।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए हाथों से निंदाई फसल के लिए अच्छी होती है। निंदाई रोपण के 15-20 दिनों के बाद की करना चाहिए। अगली निंदाई 2 महीने के बाद करना चाहिए।
सिंचाई
ब्राह्मी वर्षा ऋतु की फसल है, इसलिए इसे वर्षा ऋतु खत्म होने के बाद तुरंत पानी की आवश्यकता होती है। ठंड के मौसम में 20 दिनों के अंतराल पर और गर्मी के मौसम में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
फसल 5-6 महीने के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। बाह्री एकत्रित करने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर – नबंवर माह के बीच होता है। तने को आधार से 4-5 से.मी. ऊपर तक काटा जाता है। एक वर्ष में 2-3 कटाई की जा सकती है।
सुखाना
आम तौर पर सुखाने के लिए पारंपरिक विधि का उपयोग किया जाता है। इसे कमरे के तापमान पर छाया में जमीन पर फैला कर सुखाया जाता है। 8-10 दिनों के बाद फसल पूरी तरह से सूख जाती है।
पैकिंग
सुखाई गई सामग्री को वायुरोधी पालीथीन के थैलो में पैक किया जाता है।
भडांरण
पैक सामग्री को ठंडे और शुष्क कमरे में रखना चाहिए। भडांरण के दौरान सामग्री की रक्षा कीट और पतंगों से करना चाहिए।