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Mango (आम)

Basic Info

आम एक रसदार फल होता है आम को फलों का राजा कहते है। इसके साथ साथ यह पाकिस्तान, फिलीपींस का भी राष्ट्रीय फल है। इसमें भरपुर मात्रा में मिनरल्स, विटामिन और एंटीओक्सिडेंट पाए जाते है जिनके कारण हमारा शरीर स्वस्त रहता है। ये एक मीठा फल होता है ओर गर्मियों में ज्यादा पाया जाता है। आम त्वचा के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। आम को त्वचा पर लगाने से त्वचा के बंद रोमदुनछिद्रों को भी खोल देता है जिस वजह से त्वचा साफ़ होकर चमकने लगती है। दुनिया में हमारा देश आम उत्पादन के क्षेत्र में पहले स्थान पर है।

Seed Specification

फसल किस्म: आम की कुछ प्रसिद् किस्मे: हापुस, दशहरी, लंगड़ा, चौसा, केसर, बादामी, तोतापरी, हिमसागर, भारत में इस समय 1500 से अधिक आम की किस्में पाई जाती हैं।
संकर किस्म - आम की संकर किस्म के पौधे शीघ्र ही फल देना शरू कर देते है और इनका फैलाव भी कम होता है इस कारण इन्हें सघन बागवानी में भी लगाया जा सकता है। संकर किस्में: आम्रपाली – यह दशहरी और नीलम के क्रॉस से बनी संकर प्रजाति है।

बीज की मात्रा / बीज बिवाई का समय 
बरसात का मौसम आम लगाने का उपयुक्त समय आम के बीज पौधे तैयार करने के लिए आम की गुठलियों को जून-जुलाई में बुवाई कर दी जाती है। एक हेक्टेयर में इसके 1600 पौधे उगाए जा सकते हैं।

बुवाई का समय
आम के पौधों कि रोपाई वर्षाकाल शुरू पर करनी चाहिए, पौधों के रोपण का सही समय जुलाई-अगस्त है। वर्षाकाल में लगाए पौधों के मरने का खतरा कम रहता है।
 
दुरी
आम के पौधों को 10×10 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है, किन्तु सघन बागवानी में इसे 2.5 से 4 मीटर की दूरी पर लगाते हैं। आम की फसल तैयार करने के लिए गढ्ढ़ो की तैयारी किस तरह से करे और वृक्षों का रोपण करते समय किस तरह की सावधानी बरते।

बुवाई का तरीका
वर्षाकाल आम के पेड़ो को लगाने के लिए सारे देश में उपयुक्त माना गया है। जिन क्षेत्रो में वर्षा आधिक होती है वहां वर्षा के अन्त में आम का बाग लगाना चाहिए। लगभग 50 सेन्टीमीटर व्यास एक मीटर गहरे गढ्ढे मई माह में खोद कर उनमे लगभग 30 से 40 किलो ग्राम प्रति गड्ढा सड़ी गोबर की खाद मिटटी में मिलाकर और 100 किलोग्राम क्लोरोपाइरिफास पाउडर बुरककर गड्ढो को भर देना चाहिए। पौधों की किस्म के अनुसार 10 से 12 मीटर पौध से पौध की दूरी होनी चाहिए, परन्तु आम्रपाली किस्म के लिए यह दूरी 2.5 मीटर ही होनी चाहिए।
 
बीज का उपचार
पौधे लगाने से पहले आम की गुठली को डाइमैथोएट के घोल में कुछ मिनट के लिए डुबोयें। यह आम की फसल को सुंडी से बचाता है। बीजों को फफूंद के बुरे प्रभावों से बचाने के लिए केप्टान फफूंदनाशक से उपचार करें।

Land Preparation & Soil Health

भूमि
आम की खेती प्रत्येक किस्म की भूमि में की जा सकती है। परन्तु अधिक बलुई, पथरीली, क्षारीय तथा जल भराव वाली भूमि में इसे उगाना लाभकारी नहीं है, तथा अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सवोत्तम मानी जाती है।

खेत की तैयारी 
आम की खेती के लिए शुरुआत में खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को हटाकर खेत की गहरी जुताई कर दें। उसके बाद खेत में कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन अच्छी तिरछी जुताई कर दें। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर उसे समतल बना दे।

जलवायु
भारत मे आम की फसल के लिए 25-27 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान तक इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
सामान्यतया, पौधों की 1 से लेकर दस वर्ष की अवस्था तक प्रति पौधा प्रति वर्ष 170 ग्राम. यूरिया, 110 ग्राम सिंगिल सुपर फास्फेट और 115 ग्राम पोटाश का म्यूरियेट और उसके बाद 1.7 किग्रा. 1.1.किग्रा. दो समान मात्राओं में (जून-जुलाई और अक्टूबर) दिया जा सकता है। 3% यूरिया का पर्णीय छिडकाव रेतीले क्षेत्रों में पुष्पण से पहले उपयुक्त है। इसके अतिरिक्त मृदा की भौतिक एवं रासायनिक दशा में सुधार हेतु 25 से 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद प्रति पौधा देना उचित पाया गया है। जैविक खाद हेतु जुलाई-अगस्त में 250 ग्राम एजोसपाइरिलम को 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ मिलाकर थालो में डालने से उत्पादन में वृदि पाई गयी है।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
आम की खेती में खरपतवार की रोकथाम निराई गुड़ाई और जड़ो पर मिट्टी लगाए। तथा आम की खेत में मिश्रित खेती कर सकते है। मिश्रित खेती फसल में से खरपतवार को रोकने में मदद करती है। दालों वाली फसलें जैसे कि मूंगी, उड़द, मसूर और चना आदि की खेती मिश्रित खेती के तौर पर की जा सकती है। प्याज, टमाटर, मूली, फलियां , फूल गोभी और बंद गोभी जैसी फसलें भी मिश्रित खेती के लिए प्रयोग की जा सकती हैं। बाजरा, मक्की और गन्ने की फसल को मिश्रित खेती के लिए प्रयोग ना करें।

सिंचाई
विकसित पेड़ों के मामले में उन पर फल लगने से लेकर उनके पकने तक 10 से 15 दिन के अन्तराल में सिंचाई करना लाभप्रद होता है। आम की फसल के लिए बाग़ लगाने के प्रथम वर्ष सिंचाई 2-3 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार करनी चाहिए। 2 से 5 वर्ष पर 4-5 के अन्तराल पर आवश्यकता अनुसार करनी चाहिए।

Harvesting & Storage

फसल अवधि
आम के लिये फसल अवधि 3-4 वर्ष तक के लिए होती है।

कटाई समय
भारत मे आम के टुडाई का समय मई जून है। आम की परिपक्व फलो की तुड़ाई 8 से 10 मिमी लम्बी डंठल के साथ करनी चाहिए, जिससे फलो पर स्टेम राट बीमारी लगने का खतरा नहीं रहता है। तुड़ाई के समय फलो को चोट व खरोच न लगने दें, तथा मिटटी के सम्पर्क से बचाये।

उत्पादन क्षमता
200-250 किलो/हेक्टेयर उपज, लेकिन अलग-अलग प्रजातियों के आधार पर यह पैदावार अलग-अलग पाई गयी है।

सफाई और सुखाने
आम के पौधों के समुचित विकास व वृद्धि के लिए साल में कम से कम दो बार थालों की सफाई व गुड़ाई जुताई करनी चाहिए।


Crop Related Disease

Description:
टेंट कैटरपिलर मध्यम आकार के कैटरपिलर, या कीट लार्वा होते हैं, जो परिवार के लसीओकैम्पिडे में जीनस मैलाकोसोमा से संबंधित हैं। छब्बीस प्रजातियों का वर्णन किया गया है, जिनमें से छह उत्तरी अमेरिका में और बाकी यूरेशिया में पाई जाती हैं। कुछ प्रजातियों को उप-प्रजाति के रूप में भी माना जाता है। पेड़ों की रक्षा करने की उनकी आदत के कारण उन्हें अक्सर कीट माना जाता है। वे सभी कैटरपिलरों में से सबसे अधिक सामाजिक हैं और कई उल्लेखनीय व्यवहार प्रदर्शित करते हैं।
Organic Solution:
मैंगो ऑर्चर्ड में, कैटरपिलर के साथ पत्तियों के टेंट / क्षतिग्रस्त गुच्छा को इकट्ठा करें और नष्ट करें और नियमित रूप से प्रूनिंग करें।
Chemical Solution:
पहला उपाय तो यह है कि एजाडीरेक्टिन 3000 पीपीएम ताकत का 2 मिली लिटर को पानी में घोलकर छिड़काव करें। दूसरा संभव उपाय यह किया जा सकता है कि जुलाई के महीने में किवनालफॉस 0.05 फीसदी या मोनोक्रोटोफास 0.05 फीसदी का 2-3 बार छिड़काव करें
Description:
यह पके आम के फलों के कटाई के बाद के प्रबंधन में एक गंभीर खतरा है। रोग के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उच्च humidity , लगातार बारिश और 24 - 32 C का तापमान मैंगो एन्थ्रेक्नोज रोग के विकास का पक्षधर है। गंभीर संक्रमण पूरे पुष्पक्रम को नष्ट कर देता है जिसके परिणामस्वरूप फल की स्थापना में विफलता होती है।
Organic Solution:
बाग में पड़ी हुई पत्तियों, टहनियों और फलों को एकत्र किया जाना चाहिए और सभी संक्रमित पेड़ की टहनियों को काटकर जला देना चाहिएI 21 से 25 दिनों के अंतराल के साथ, अक्टूबर के शुरू होते ही आम के पौधों पर स्यूडोमोनस प्रतिदीप्ति स्प्रे करें।
Chemical Solution:
बाविस्टिन (0.1%) आईएस दिन के अंतराल परI 15 दिनों के अंतराल पर कार्बेन्डाजिम या थियोफैनेट मिथाइल (0.1%) के पूर्व-फसल स्प्रे इस तरह से होते हैं कि अंतिम स्प्रे फसल के 12-15 दिन पहले होता है।
Description:
रोग असामान्य फूल, पत्ती और शूट विकास का कारण बन सकता है। विकृति के दो प्रकार हैं: 1) वनस्पति भद्दापन और 2) पुष्प भद्दापन। मैंगो मालफॉर्मेशन बीमारी सभी उम्र के आम के पेड़ों को प्रभावित कर सकती है, हालांकि नर्सरी के पौधे अतिसंवेदनशील होते हैं।
Organic Solution:
रोग मुक्त रोपण सामग्री का उपयोग। नर्सरी में संक्रमित रूटस्टॉक को नष्ट कर देना चाहिएI अलैंगिक(asexually) रूप से प्रचलित आम के अंकुर के बीज को पौधे से नहीं लिया जाना चाहिए, जिसमें पहले से ही विकृति का लक्षण हो। जैसे ही रोग प्रकट होता है, बेसल 15-20 सेमी स्वस्थ भाग के साथ प्रभावित टर्मिनलों को हटा दिया जाना चाहिए या जला देना चाहिए।
Chemical Solution:
अक्टूबर के दौरान 100 - 200 पीपीएम एनएए (प्लैनोफिक्स) का छिड़काव करके घटना को कम किया जा सकता है, इसके बाद कार्बेन्डाजिम (0.1%) और थियोफैनेट मिथाइल (0.1%) का छिड़काव किया जा सकता है। अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान 1000 पीपीएम पैक्लोबुट्राजोल (10-60 ग्राम / ट्री) का छिड़काव, कुपोषण को कम करने, स्वस्थ फूलों की संख्या में वृद्धि और उपज में वृद्धि करता है।
Description:
यह रोग उन बागों में आम है, जहां मावे की बग, पैमाने के कीड़े और हॉपर(hoppers) कुशलता से नियंत्रित नहीं होते हैं। क्षेत्र में रोग पत्ती की सतह पर एक काले कालिखदार साँचे की उपस्थिति से पहचाना जाता है। मोल्ड बनने के कारण पत्ती की प्रकाश संश्लेषक गतिविधि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
Organic Solution:
नीम का तेल भी कवक(fungus) के विकास को कम करता है। प्रभावित भागों पर कीटनाशक साबुन का छिड़काव किया जा सकता है।
Chemical Solution:
कीटनाशकों के एक आवेदन को पत्तियों की दोनों सतहों को कवर करना चाहिए। एलोसाल का छिड़काव (900) गा॒म / ४५० पानी) १०-१५ दिनों के अंतराल पर । वेटासुल (वेटेबल सल्फर) + मेटासीड (मिथाइल पैराथियोन) + गोंद एक्सेसिया (0.2 + 0.1 + 0.3%) और भारतीय तेल(oil) निर्माण (पेड़ स्प्रे तेल) 1% का छिड़काव । 15 दिनों का अंतराल 'प्रभावी रूप से ढालना कालिख को नियंत्रित कर सकता हैI
Description:
डाईबैक आम का एक गंभीर रोग है, जो पेड़ के स्वास्थ्य को नुकसान और फलों की पैदावार को काफी नुकसान पहुंचाता है। पेड़ पर होने वाली बीमारी को वर्ष के किसी भी समय देखा जा सकता है लेकिन यह अक्टूबर-नवंबर के दौरान सबसे अधिक विशिष्ट है। इस बीमारी में टहनियों और शाखाओं के सूखने की विशेषता है, जिसके बाद पूर्ण रूप से मलत्याग(defoliation) होता है, जिससे पेड़ को आग से झुलसने का आभास होता है। प्रारंभ में यह छाल के मलिनकिरण(discoloration) और कालेपन से स्पष्ट होता है। अंधेरे क्षेत्र पत्तियों की नसों के साथ बाहर की ओर बढ़ता है और फैलता है।
Organic Solution:
संक्रमित भागों को संक्रमण स्थल से 7-10 सेमी नीचे से निकाला जाना चाहिए, और जला दिया जाना चाहिएI छंटाई वाले छोर पर गाय के गोबर से चिपकाने से शुरुआती संक्रमण को रोकने का प्रयास किया गया है।
Chemical Solution:
कार्बन ऑक्सीक्लोराइड के साथ इलाज करके चिपकाने से शुरुआती संक्रमण को रोकने का प्रयास किया गया है। पेड़ों पर संक्रमण दर को कम करने के लिए वर्ष में दो बार बोर्डो (bordeaux) मिश्रण लागू करें।

Mango (आम) Crop Types

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Frequently Asked Questions

Q1: आम के खेत से कितना लाभ हो सकता है?

Ans:

आप जानते है एक किसान प्रति एकड़ 1 लाख रुपये के लाभ की उम्मीद कर सकता है। यह विविधता के आधार पर ऊपर या नीचे जा सकता है।

Q3: विश्व कौन सा देश आम के लिए प्रसिद्ध है?

Ans:

आप जानते है आम की खेती अब सबसे अधिक ठण्ड से मुक्त उष्णकटिबंधीय और गर्म उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में की जाती है। दुनिया के लगभग आधे आमों की खेती अकेले भारत में की जाती है, दूसरा सबसे बड़ा स्रोत चीन है।

Q2: आम के पेड़ों के लिए कौन सी खाद सर्वोत्तम है?

Ans:

आप जानते है फलों के असर वाले पेड़ों के लिए पोटेशियम के उच्च प्रतिशत वाले वाणिज्यिक जैविक उर्वरक का उपयोग करें, जैसे 5-8-10, या इन पोषक तत्वों को कार्बनिक पदार्थों के साथ लागू करें। खाद फॉस्फोरस और पोटेशियम दोनों का एक अच्छा कार्बनिक स्रोत है।

Q4: भारत में आम के लिए कौन सा शहर प्रसिद्ध है?

Ans:

आप जानते है कोलार में श्रीनिवासपुर को भारत का मैंगो शहर कहा जाता है क्योंकि यहां आम की 63 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। यह कर्नाटक में आमों का सबसे बड़ा उत्पादक भी है।