kisan

Custard Apple (सीताफल)

Basic Info

सीताफल (शरीफा) एक अत्यंत स्वादिष्ट और मीठा फल है। जिसे गरीबों के फल के नाम से भी जाना जाता हैं। सीताफल (शरीफा) यह मूल रूप से जंगलों मे पाया जाता हैं व खेतों की मेढ़ आदि जगहों पर पाया जाता हैं। यह फल मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश व आसाम राज्यों के जंगलों में मिल जाता हैं। 
सीताफल की उत्पत्ति मूलतः उष्ण अमेरिका माना जाता हैं इसलिए वहाँ के लोग सीताफल को Custard Apple
व Suger Apple भी कहते हैं। 
सीताफल का सेवन मुख्य रूप से ताज़ा ही किया जाता है, क्योंकि इनमें भरपूर, मलाईदार, मीठा स्वाद होता है। ये एक उच्च पाचन योग्य गूदे के साथ बहुत स्वादिष्ट, पौष्टिक, चीनी, प्रोटीन और फास्फोरस से भरपूर होते हैं। इनका उपयोग रस, शर्बत, मिठाई, वाइन और आइसक्रीम के व्यंजनों में भी किया जाता है। सूखे हुए कच्चे फल, बीज और पत्तियों का चूर्ण कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जाता है। पत्तियों, तनों और बीजों में रेशा, तेल और विभिन्न क्षाराभ मौजूद होते हैं।

Seed Specification

बुवाई का समय 
पौधे जुलाई-अगस्त या फरवरी-मार्च के समय लगाए। 

बीज की मात्रा 
एक हेक्टेयर में अनुमानित 350 -400 पौधे लग सकते है। 

बीज लगाने की विधि 
इसको लगाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि पॉलीथीन के थैलियों में मिट्टी भरकर बीज लगाये और जब पौधे जमकर तैयार हो जायें तब पॉलीथीन के थैलियों को नीचे को अलग कर दें। 

पौध रोपण से पूर्व 
सीताफल के पौधे के लिये गर्मी के दिनों में 60 x 60 x 60 सें.मी. आकार के गड्ढे 5 x 5 मी. की दूरी पर तैयार किये जाते हैं। इन गड्ढों को 15 दिन खुला रखने के बाद ऊपरी मिट्टी में 5-10 कि.ग्रा. गोबर की सड़ी खाद, 500 ग्राम करंज की खली तथा 50 ग्राम एन.पी.के. मिश्रण को अच्छी तरह मिलाकर भर देना चाहिये। इसके बाद गड्ढे की अच्छी तरह दबा दें और उसके चारों तरफ थाला बनाकर पानी दे दें। यदि वर्षा न हो रही हो तो पौधों की 3-4 दिन पर सिंचाई करने से पौधा स्थापना अच्छी होती है।

पौधे लगाने का तरीका 
पौधें को पिंडी सहित बगीचे में तैयार गड्ढे में लगा दें।

Land Preparation & Soil Health

भूमि का चयन
सीताफल की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। परन्तु अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी इसकी बढ़वार एवं पैदावार के लिये उपयुक्त होती है। कमजोर एवं पथरीली भूमि में भी इसकी पैदावार अच्छी होती है। मिट्टी का पी.एच. मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। 

जलवायु
सीताफल के पौधे के लिये गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र जहाँ पाला नहीं पड़ता है, अधिक उपयुक्त होता है। पाले वाले क्षेत्र में इसकी फसल को हानि होती है।

खेत की तैयारी 
खेत की अच्छी तरह से जुताई करके खेत को भुरभुरा, समतल और खरपतवार रहित कर लें।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
सीताफल के पेड़ प्रत्येक वर्ष फल देते है अत: अच्छी पैदावार के लिये उचित मात्रा में सड़ी हुई गोबर की खाद एवं रासायनिक उर्वरक देनी चाहिये। सीताफल की पूर्ण विकसित पेड़ में 20 कि.ग्रा. गोबर की खाद, 40 ग्रा. नाइट्रोजन, 60 ग्रा. फास्फोरस और 60 ग्रा. पोटाश प्रति पेड़ प्रति वर्ष देना चाहिए। तथा मिट्टी के आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी परिक्षण के आधार पर देना चाहिए।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण 
समय समय पर निंदाई करते रहे अगस्त-सितंबर माह में एक बार जुताई करे जिससे खरपतवार और घास खत्म हो जाएगी तथा जिन क्षेत्रों में पानी की कमी होती हैं वहां नमी को संरक्षित किया जा सकेगा। नये पौधों में 3 वर्ष तक उचित ढाँचा देने के लिये कांट-छांट करना चाहिये।

सिंचाई 
पौधे लगाने के तुरंत बाद पानी देना चाहिए। सीताफल के पौधों को गर्मियों में पानी देना आवश्यक होता है। अत: इस समय 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिये। वर्षा की समाप्ति के बाद एक या दो सिंचाई करने से फलों का आकार बड़ा होता है।

Harvesting & Storage

फलों की तुड़ाई
सीताफल (शरीफा) के फल जब कुछ कठोर हों तभी लेना चाहिए क्योंकि पेड़ पर काफी दिनों तक छुटे रहने पर वे फट जाते हैं। अत: इसकी तुड़ाई के लिये उपयुक्त अवस्था का चुनाव करना चाहिये। इसके लिये जब फलों पर दो उभारों के बीच रिक्त स्थान बढ़ जाय तथा उनका रंग परिवर्तित हो जाय तब समझना चाहिये फल पकने की अवस्था में हैं। कच्चे फल नहीं तोड़ना चाहिये क्योंकि ये फल ठीक से पकते नहीं और उनसे मिठास की मात्रा भी कम हो जाती है।

उत्पादन 
पौधा लगाने के तीन वर्ष बाद से यह फल देना शुरू कर देता है। एक 4-5 वर्ष पुराने पौधे में 50-70 फल लगता है जबकि पूर्ण विकसित पौधे से 100 फल तक उपज मिलता है।  


Crop Related Disease

Description:
इसके लक्षण फंगस मोनिलिनिया फ्रुक्टिजेना (Monilinia fructigena) के कारण होते हैं, जो गर्म, नम मौसम में पनपते हैं। कुछ मामलों में, अन्य कवक शामिल हो सकते हैं। सभी मामलों में, वे फलों में हाइबरनेट करते हैं।
Organic Solution:
बर्फ के पानी में स्नान करने से फंगल विकास को रोका जा सकता है।
Chemical Solution:
समय पर डाइकारबॉक्सिमाइड्स, बेन्ज़िमिडाज़ोल, ट्राईफोराइन, क्लोरोथालोनिल, माइकोबुटानिल, फेनब्यूकोनाज़ोल पर आधारित फफूसीसाइड का प्रयोग रोग के इलाज के लिए प्रभावी हैं।
Description:
एन्थ्रेक्नोज कवक आमतौर पर कमजोर टहनियों को संक्रमित करता है। लंबे समय तक गीली फुहारों के साथ स्प्रिंग्स के दौरान यह बीमारी सबसे आम है और जब बाद में सामान्य से अधिक बारिश होती है। गीले मौसम के दौरान, एन्थ्रेक्नोज बीजाणु फलों पर टपकता है, जहाँ वे छिलके को संक्रमित करते हैं और सुस्त छोड़ देते हैं, अपरिपक्व फल पर हरे रंग की लकीरें और परिपक्व फल (भूसे के दाग) पर काले रंग की लकीरें दिखाई देती हैं।
Organic Solution:
नीम के तेल का स्प्रे एक कार्बनिक, बहुउद्देश्यीय फफूंदनाशक / कीटनाशक / माइटाइड है जो कीड़ों के अंडे, लार्वा और वयस्क चरणों को मारता है और साथ ही पौधों पर फंगल के हमले को रोकता है।
Chemical Solution:
या तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.25%) या कार्बेन्डाजिम (0.1%) या difenconazole (0.05%) या azoxystrobin (0.023%) के साथ स्प्रे करें।
Description:
मिडसमर में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है। फंगस त्वचा में घाव और रिप्स के माध्यम से पौधे में प्रवेश करता है। तापमान और नमी बीमारी के विकास को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय कारक हैं। लेट ब्लाइट कवक उच्च सापेक्ष आर्द्रता (लगभग 90%) और 18 से 26 डिग्री सेल्सियस के तापमान रेंज में सबसे अच्छा बढ़ता है। गर्म और शुष्क गर्मी का मौसम बीमारी के प्रसार को रोक सकता है।
Organic Solution:
संक्रमित स्थान के आसपास पौधों को फैलाने, हटाने और नष्ट करने से बचने के लिए और संक्रमित पौधे सामग्री को खाद न डालें।
Chemical Solution:
कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.25%) या थियोफॉनेट मिथाइल (0.15%) क्लोरोथैलोनिल (0.15%) या डिफेंकोनाज़ोल (0.05%) का कवकनाशी स्प्रे रोग की गंभीरता बढ़ने पर किया जा सकता है।

Custard Apple (सीताफल) Crop Types

You may also like

No video Found!

Frequently Asked Questions

Q1: सीताफल के बीज की अंकुरण की विधि क्या हैं?

Ans:

आप जानते है अंकुरण को तेज करने के लिए अपने सीताफल के बीज को भिगो दें। अपने सीताफल के बीजों को पेपर टॉवल के एक टुकड़े में लपेट लें। बीजों को थोड़े पानी के साथ भिगोएँ और बीजों को पेपर टॉवल के साथ जिप लॉक बैग में रखें। अपने बीजों को 3 दिन तक भीगने दें और फिर उन्हें रोपें।

Q3: सीताफल के फल पकने में कितना समय लगता है?

Ans:

आप जानते है लगभग 3 से 4 साल सीताफल शुष्क और गर्म जलवायु में सबसे अच्छा पनपता है। इसके लिए हल्की मिट्टी की आवश्यकता होती है और आम तौर पर पहाड़ियों की ढलान पर उगाई जाती है। पौधों को बीजों से उठाया जाता है और लगभग 3 से 4 वर्षों में फल लगते हैं। पौधे अप्रैल से मई तक फूल और अगस्त और नवंबर के बीच फल देता है।

Q2: भारत में सीताफल कहाँ उगाया जाता है?

Ans:

आप जानते है भारत में, इसे 'सीताफल' के रूप में जाना जाता है और यह अनुमान लगाया जाता है कि भारत में लगभग पचास-पाँच हजार हेक्टेयर भूमि सेब की खेती के लिए समर्पित है। सेब उगाने वाले प्रमुख राज्य असम, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु हैं।

Q4: क्या सीताफल के बीज जहरीले होते हैं?

Ans:

आप जानते है सीताफल एक फल महान है, लेकिन बीज प्रकृति में काफी विषाक्त हैं और आकस्मिक खपत गर्भपात का कारण बन सकते हैं क्योंकि वे हल्के से जहरीले होते हैं।