kisan

Gerbera (जरबेरा)

Basic Info

जरबेरा बहुवर्षीय, तना रहित पौधा है। जरबेरा एक प्रकार का सजावटी फूल है, जो पूरी दुनिया में उगाया जाता है। इसे ‘अफ्रीकन डेजी’ या ‘ट्रांसवाल डेजी’ के नाम से भी जाना जाता है। जरबेरा की खेती विश्व में नीदरलैण्ड, इटली, पोलैण्ड, इजरायल और कोलम्बिया में की जा रही हैं। भारत में  जरबेरा कट फ्लावर महाराष्ट्र, उत्तरांचल, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक और गुजरात आदि उगाने वाले मुख्य क्षेत्र है।

Seed Specification

बुवाई का समय
जरबेरा की खेती, सितंबर से अक्टूबर और फरवरी से मार्च तक की जाती है।

दुरी
बुवाई के लिए कतार में 40 से.मी. और पौधे में 30 से.मी. का दुरी रखें।

बुवाई का तरीका
बुवाई का तरीका बीज द्वारा तथा सूक्ष्म प्रसारण: उत्तक संवर्धन द्वारा रोग मुक्त पौधे तैयार किए जाते हैं। पौधे के अग्र भाग, कलियों, फूलों के उत्तक से उत्तक संवर्धन द्वारा प्रयोगशाला में नये पौधे तैयार किये जाते हैं।

बीज का उपचार
फुमीगेशन विधि द्वारा बैड तैयार करने के साथ मिथाइल बरोमाइड 30 ग्राम प्रति वर्ग मीटर या फोरमेलिन 100 मि.ली.को 5 लीटर प्रति वर्ग मीटर पानी में मिलाकर मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारीयां जैसे कि पाईथीयम, फाइटोफ्थोरा, फ़ुज़ेरियम से बचाव किया जा सकता है।

Land Preparation & Soil Health


अनुकूल जलवायु
जरबेरा उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु में खुली जगहों पर लगाया जाता है, परन्तु शीतोष्ण जलवायु में इसे हरित घर (ग्रीन हाउस या पॉली हाउस) में लगाया जाता है। यह पौधा ठंडे मौसम में धूप पसंद करता है तथा गर्मी के मौसम में हल्की छाया की जरूरत होती है। जाड़े में खराब रोशनी से फूल कम खिलते हैं।

भूमि का चयन
जरबेरा फूल को पॉलीहाउस में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, इसके खेती के लिए अच्छी जलनिकासी वाली हल्की क्षारीय और उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त होती है।

खेत की तैयारी
जरबेरा की खेती के लिए, खेत को अच्छी तरह से तैयार करें। खेत को भुरभुरा बनाने के लिए, रोपण से पहले  2-3 बार जोताई करें। इसके बाद एक मीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर उठी हुई बेड तैयार करना चाहिए। अब दो भाग में रेत, एक भाग में नारियल या धान का भूसा और एक भाग में गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट लेकर मिश्रण बना लें और उसे बेड पर डालें।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
खेत की तैयारी के समय, वर्मी कम्पोस्ट या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 20 टन, फास्फोरस 40 किलो, पोटाश 40 किलो प्रति एकड़ मिट्टी में मिलाएं। लोहे की कमी वाली ज़मीन में, फेरस सल्फेट 10 ग्राम प्रति वर्ग मीटर डालें। बुवाई के 4-5 हफ्ते बाद, नाइट्रोजन 40 किलो प्रति एकड़ 30 दिनों के अंतराल पर डालें।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई
जरबेरा की खेती में पौधों की बढ़वार के लिए सिंचाई का विशेष महत्व है। मिट्टी की पौध रोपण से पहले हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए तथा पौध रोपण के उपरान्त भी सिंचाई करनी चाहिए। सर्दियों में 10-12 दिनों के अंतराल पर तथा गर्मियों में 6-7 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करते रहनी चाहिए। हरित घर में लगे पौधे की सिंचाई टपकन विधि (ड्रीप सिंचाई पद्धति) से आवश्यकता अनुसार करते रहनी चाहिए।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई 
जरबेरा पौधा लगाने के तीन महीना बाद फूल खिलना शुरू हो जाता है। फूलों को सुबह या शाम के समय काटना चाहिए।

भंडारण
कटाई के बाद, इनको अलग-अलग श्रेणी में रखा जाता है| फिर इन फूलो को गत्तों के बक्सों में पैक करके लम्बे समय की दूरी पर भेजा जाता है।

उत्पादन
हरित घर में प्रति वर्ग मीटर में प्रति वर्ष 200-250 फूल का उत्पादन होता है। खुली जगहों पर 120-150 फूल/वर्ग मीटर/ वर्ष खिलते हैं।

Gerbera (जरबेरा) Crop Types

You may also like

No video Found!