Arhar (अरहर)
Basic Info
Seed Specification
अरहर की प्रसिद्ध किस्में :-
ऋचा २००० - अरहर की सदाबहार किस्म,उपास-120 (1976), आई.सी.पी.एल.-87 (प्रगति,1986), ट्राम्बे जवाहर तुवर - 501 (2008), जे.के.एम.-7 (1996), जे.के.एम.189 (2006), आई.सी.पी.-8863 (मारुती, 1986), जवाहर अरहर-4 (1990), आई.सी.पी.एल.-87119 (आषा 1993),आई.सी.पी.एल.-87119 (आषा 1993), बी.एस.एम.आर.-853 (वैषाली, 2001), बी.एस.एम.आर.-736 (1999), विजया आई.सी.पी.एच.-2671 (2010), एम.ए-3 (मालवीय, 1999), ग्वालियर-3 (1980),
बुवाई का समय :-
अरहर की बुवाई वर्षा प्रारम्भ होने के साथ ही कर देना चाहिए। सामान्यतः जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक बोनी करें। बिजाई के लिए 50 से.मी. कतारों में और 25 से.मी. पौधों में फासला रखें।
बीज की मात्रा :-
अगेती किस्म के लिए 6 से 8 किलो ग्राम तथा पिछेती क़िस्मों के लिए भी 8 -10 किलो ग्राम बीज की मात्रा प्रति एकड़ उपयुक्त होता है।
बीज उपचार :-
बुवाई के पूर्व फफूदनाशक दवा 2 ग्राम थायरम या 1 ग्राम कार्बेन्डेजिम या वीटावेक्स 2 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें। जैविक उपचार में ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम /किलो बीज और रायजोबियम कल्चर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर फिर बुवाई करें।
Land Preparation & Soil Health
Crop Spray & fertilizer Specification
Weeding & Irrigation
Harvesting & Storage
Crop Related Disease
Description:
पत्तियां रूखी और विकृत हो जाती हैं जो पत्तियों और अंकुरों के नीचे 0.5 से 2 मिमी तक के आकार के छोटे कीड़ों के कारण होती हैं। वे निविदा पौधों के ऊतकों को छेदने और तरल पदार्थों को चूसने के लिए अपने लंबे मुखपत्र का उपयोग करते हैं। कई प्रजातियां पौधों के वायरस ले जाती हैं जो अन्य बीमारियों के विकास को जन्म दे सकती हैं।Organic Solution:
हल्के जलसेक के लिए, एक कीटनाशक साबुन समाधान या संयंत्र तेलों पर आधारित समाधान, उदाहरण के लिए, नीम तेल (3 एमएल / एल) का उपयोग किया जा सकता है। प्रभावित पौधों पर पानी का एक स्प्रे भी उन्हें हटा सकता है।Chemical Solution:
बुवाई के बाद 30, 45, 60 दिनों में फ्लोनिकमिडियम और पानी (1:20) अनुपात के साथ स्टेम अनुप्रयोग की योजना बनाई जा सकती है। Fipronil 2 mL या thiamethoxam (0.2 g) या flonicamid (0.3 g) या acetamiprid (0.2 प्रति लीटर पानी) का भी उपयोग किया जा सकता है।

Description:
कवक के कारण Cercospora canescens जो बीज-जनित है और मिट्टी में पौधे के मलबे पर 2 से अधिक वर्षों तक जीवित रह सकता है। ऊंचा दिन और रात का तापमान, नम मिट्टी, उच्च हवा की नमी, या भारी तूफानी बारिश कवक के प्रसार के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं।Organic Solution:
बीज का गर्म जल उपचार संभव है। नीम के तेल के अर्क का आवेदन भी रोग की गंभीरता को कम करने में प्रभावी है।Chemical Solution:
जैविक उपचार के साथ निवारक उपायों के साथ एकीकृत दृष्टिकोण। यदि कवकनाशी के साथ उपचार की आवश्यकता होती है, तो 10 दिनों के अंतराल पर दो बार mancozeb, chlorothalonil (1g / L), या thiophanate मिथाइल (1 mL) युक्त उत्पाद लागू करें।

Description:
Agromyzidae के परिवार से संबंधित कई मक्खियों तथा दुनिया भर में कई हजार प्रजातियों के कारण लक्षण देखा जा सकता है। वे पत्ती के ऊतकों को पंचर करते हैं और अंडे देते हैं। इस प्रकार ऊपरी और निचली पत्ती की सतह के बीच लार्वा फ़ीड होता है, पीछे काले निशान के साथ बड़ी सफेद रंग की सुरंगों का निर्माण होता है।Organic Solution:
सुबह या देर शाम पत्तियों पर लार्वा के खिलाफ नीम के तेल उत्पादों (अज़ादिराच्तीन) का छिड़काव करें। एन्टोमोफैगस नेमाटोड, स्टीनरनेमा कार्पोकैप्स के फोलियर अनुप्रयोग, पत्ती की खान की आबादी को कम कर सकते हैं।Chemical Solution:
ऑर्गनोफोस्फेट्स, कार्बामेट्स और पाइरेथ्रोइड्स परिवारों के व्यापक स्पेक्ट्रम कीटनाशक वयस्कों को अंडे देने से रोकते हैं, लेकिन वे लार्वा को नहीं मारते हैं।

Description:
युवा कैटरपिलर एक काले सिर और काले बालों के साथ क्रीम-सफेद रंग के होते हैं; पुराने लार्वा पीले-हरे रंग के हो सकते हैं, जो उनके शरीर के साथ सफेद रेखाओं के साथ लगभग काले रंग के होते हैं और बालों के आधार पर काले धब्बे होते हैं।Organic Solution:
Parasitoid Trichogramma और Telenomus wasps अंडों को संक्रमित करके जनसंख्या को एक निश्चित सीमा तक नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। फंगल रोगज़नक़ नोमुरिया रिलेई और परमाणु पॉलीहेड्रोसिस वायरस भी आबादी को कम करते हैं।Chemical Solution:
रासायनिक नियंत्रण की शायद ही कभी सिफारिश की जाती है क्योंकि लार्वा को कोब के अंदर छिपाते हैं और उपचार के संपर्क में नहीं आते हैं। पाइरेथ्रॉइड, स्पिनेटोरम, एस्फेनवेलरेट, या क्लोरपाइरीफोस वाले कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।

Description:
Organic Solution:
जैविक उपचार में ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोएं |Chemical Solution:
रासायनिक फफूंदनाशक जैसे बेनोमील 50% + थायरम 50% के मिश्रण का तीन ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें |
Description:
Organic Solution:
इसकी रोकथाम हेतु रोग रोधी किस्मों को लगाना चाहिए। खेत में बे मौसम रोग ग्रसित अरहर के पौधों को उखाड कर नष्ट कर देना चाहिए। मकड़ी का नियंत्रण करना चाहिए। बांझपन विषाणु रोग रोधी जातियां जैसे पूसा-9, आई.सी.पी.एल.-87119, राजीव लोचन, एम.ए.-3, 6, शरद, बी.एस.एम.आर.-853, 736 को लगाना चाहिए। जिस खेत में अरहर लगाना हो उसके आसपास अरहर के पुराने एवं स्वयं उगे हुए पौधे नष्ट कर देना चाहिए।Chemical Solution:
फय़ूराडान 3 जी., की 3 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए एवं फसल की प्रारंभिक अवस्था में कैल्थेन (1 मिली./ली. पानी) का छिडकाव रोगवाहक माईट के रोकथाम में प्रभावी होता है।
Description:
Organic Solution:
खेतों में जल निकास की उचित व्यवस्था करें। जहाँ इस रोग का प्रकोप अधिक होता है वहां 3-4 वर्ष तक अरहर की फसल नहीं लेनी चाहिए। रोगरोधी किस्में जैसे :- पूसा-9, एन.ए.-1, एम.ए.-6, बहार, शरद, अमर आदि का चुनाव करना चाहिए।Chemical Solution:
बीजों को बुवाई से पूर्व रिडोमिल नामक कवकनाशी की 2 ग्रा. मात्रा प्रति किग्रा.बीज की से उपचारित करें। रोग की प्रारभिक अवस्था में ताम्रयुक्त कवकनाशी जैसे फायटोलान 50% की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से या रिडोमिल एम.जेड. 1.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से 10-12 दिन के अन्तराल में छिडकाव करना चाहिए |


Description:
Organic Solution:
Chemical Solution:
रासायनिक नियंत्रण के लिए 400 मिलीलीटर मोनोक्रोटोफास 36 ई.सी या डाईमिथोएट 30 ई.सी 1.0 ली. प्रति हे. की दर से 500-600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए। या इमडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 200 मि.ली. प्रति हे. की दर से 500 – 600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए |

Description:
Organic Solution:
निरिक्षण के लिए खेतों में फेरोमोन ट्रैप 5/हे. की दर से लगाने चाहिए। इनके अभाव की स्थिति में रात के समय खेतों प्रकाश प्रपच या पैट्रोमेक्स लैम्प का प्रयोग करना चाहिए। कीट भक्षी पक्षियों बैठने के लिए T आकार की खुंटीयाँ (अड्डे) 20 -25/हे. की दर से खेत में लगानी चाहिए। नीम (2 प्रतिशत), नीम बीज कर्नेल 5 प्रतिशत @ 50 ग्रा./ली., एजाडिरैक्टिन 0.03 प्रतिशत 2.0 मि.ली./ली. उपयोग करनी चाहिए।Chemical Solution:
इमामेक्टिन बेन्जोएट 5% एस.जी.@ 100 ग्राम या क्लोरोन्ट्रेनिलीप्रोल 18.5%एस.सी.@ 60 मिली प्रति एकड 200 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें

Description:
Organic Solution:
गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें। बुवाई मेड़ पर मध्य जून से जुलाई से प्रथम सप्ताह में करें।Chemical Solution:
इमिडाक्लोप्रिड 17. 8 एसएल 200 मिलीलीटर 800 लीटर पानी में मिलाकर का छिडक़ाव करें। प्रकोप होने पर डाईमेथोएट 30 ई. सी. 1 लीटर को 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। अरहर फली बग का प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड 17 8 एसएल 200 मिलीलीटर या एसिटामिप्रिड 20 डब्लू पी 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें। परासिटाइड ट्राईकोग्रामा इस फसल पर काफी उपयोगी होता है।
Description:
Organic Solution:
नीम तेल या करंज तेल 10-15 मि.ली.$1 मि.ली. चिपचिपा पदार्थ (जैसे सेन्डोविट, टिपाल) प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। व्यस्क कीटों को एकत्रित करके नष्ट कर दें।Chemical Solution:
फसल पर 1 मि.क्विनॉलफॉस 25 ई.सी. या 1.5 मि.ली. मोनोक्रोटोफॉस 36 एस. एल. को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
Description:
Organic Solution:
झुण्डों में पनप रही सुण्डियों को एकत्रित करके नष्ट कर दें, व्यस्क कीट को प्रकाश ट्रैप में एकत्रित कर मार दें। कटाई के पश्चात् खेत की गहरी जुताई करें।Chemical Solution:
फसल पर 1 मि.ली. क्वीनलफॉस 25 ई. सी. या 1.5 मिली. मानोक्रोटोफॉस 36 एस.एल. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
Description:
Organic Solution:
Chemical Solution:
रोग शुरू होने पर कार्बैन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी (1 ग्रा. प्रति ली.) या प्रोपीकोनाजोल या हैक्साकोनाजोल (1 मि.ली./ली.) का घोल बनाकर छिड़काव करें।