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Buckwheat Millet (कुट्टू की खेती)

Basic Info

Buckwheat Cultivation (Kuttu) Farming Practices: बकव्हीट (Buckwheat Millet)  (फागोपाइरम एस्कुलेंटम), या सामान्य कुट्टू, गाँठदार परिवार पॉलीगोनेसी में एक फूल वाला पौधा है, जिसकी खेती अनाज जैसे बीजों के लिए और एक आवरण फसल के रूप में की जाती है। कुट्टू (बकव्हीट) पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसमें गेहूं और धान जैसे अनाज से अधिक पोषक तत्व होते हैं। कुट्टू प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और वसा से भरपूर होता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका पूरा पौधा ही उपयोगी होता है। जहां इसके तने का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है, वहीं फूल और हरी पत्तियों का उपयोग औषधि बनाने के लिए किया जाता है। जबकि इसके फलों से प्राप्त आटा स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभदायक होता है।

कुट्टू में 'रूटिन' नामक फूलेवनाइड होता है जो खून की नसों को लचक प्रदान करता है तथा पाले के कारण होने वाली गैंग्रीन के उपचार में प्रयुक्त होता है। व्रत के समय कुट्टू का आटा विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है, वो शायद इसलिए कि कुट्टू में लाइसिन की मात्रा दूध या अंडे के बराबर होती है। जापान में कुट्टू से बने सोवा नूडल बहुत लोकप्रिय हैं। अतः कुट्ट से विदेशी कमाई की भी अच्छी संभावना है। कुट्टू के फूलों से बनने वाले शहद की क्वालिटी भी बहुत अच्छी मानी जाती है। इसके बीज का इस्तेमाल नूडल, सूप, चाय, ग्लूटिन फ्री-बीयर वग़ैरह के उत्पादन में होता है। यह हरी खाद के रूप में भी बेहद उपयोगी होती है।

कुट्टू नम तथा ठंडी जलवायु में पाया जाने कु वाला पोलीगोनेसी कुल का एक वार्षिक पौधा है। मुख्यतः इसकी दो प्रजातियां फेगोपाइरम एस्कुलेन्टम और फेगोपाइरम टटरीकम खाद्यान्न तथा हरी सब्जी के लिए उगाई जाती हैं। आम बोलचाल की भाषा में फेगोपाइरम एस्कुन्टम को अंग्रेजी में कॉमन या जापानी बकव्हीट तथा पहाड़ी में उगल और फेगोपाइरम टटरीकम को अंग्रेजी में टटरी बकव्हीट तथा तथा पहाड़ी में फाफारा के नाम से जाना जाता है।

कुट्टू की खेती नीलगिरी की पहाड़ियों में समुद्र तल से 500 मीटर ऊंचाई से लेकर हिमालय में 4200 मीटर ऊंची पहाड़ियों तथा घाटियों में लगभग 25000 हैक्टर भूमि में की जाती है।

Seed Specification

बकव्हीट (कुट्टू) की फसल का बुवाई का समय (Sowing time of Buckwheat (Kuttu) crop)
कुट्टू की खेती का समय मौसम और कृषि स्थितियों के साथ बदलता रहता है। कुट्टू की खेती का समय आमतौर पर उत्तर-पश्चिमी पहाड़ियों में मई से सितंबर, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अगस्त से दिसंबर, नीलगिरि की पहाड़ियों में अप्रैल से अगस्त और पालनी पहाड़ियों में जनवरी से अप्रैल तक होता है। इस प्रकार उत्तर-पश्चिमी पहाड़ियों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कुट्टू की बुआई का समय मई के प्रथम सप्ताह में होता है, जबकि मध्यम ऊंचाई वाली पहाड़ियों में मानसून के आगमन का समय जून के दूसरे सप्ताह में होता है। इसके अलावा, जुलाई या अगस्त में बेमौसमी सब्जियों के बाद कम अवधि वाली किस्मों की बुवाई की जा सकती है। या कुट्टू की फसल जल्दी लेकर बाद में सब्जी की फसल की जा सकती है।

बकव्हीट (कुट्टू) फसल का बुवाई के लिए बीज की मात्रा और बुवाई का तरीका {Seed quantity and method of sowing for sowing of Buckwheat (Kuttu) crop}
कुट्टू की बिजाई 4-6 सें.मी. की गहराई पर 30 सें.मी. दूरी पर कतारों में करने से पौधों की उचित संख्या प्राप्त होती है। जिसके लिए 35-40 कि.ग्रा./हैक्टर बीज की मात्रा पर्याप्त होती है। बिजाई के 15-20 दिन बाद छंटनी करके पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सें.मी. करने से फुटाव अच्छा होता है।

Land Preparation & Soil Health

बकव्हीट (कुट्टू) फसल की खेती के लिए अनुकूल जलवायु {Favorable climate for the cultivation of Buckwheat (Kuttu) crop}
कुट्टू सबसे अच्छा वहाँ बढ़ता है जहाँ जलवायु ठंडी और नम होती है। यह काफी दूर उत्तर और उच्च ऊंचाई पर उगाया जा सकता है क्योंकि इसकी बढ़ती अवधि कम है और विकास के लिए इसकी गर्मी की आवश्यकताएं कम हैं।

बकव्हीट (कुट्टू) फसल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी {Suitable soil for cultivation of Buckwheat (Kuttu) crop}
कुट्टू की खेती के लिए मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 हो तो इसे बेहतर माना जाता है। कुट्टू की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है। हालांकि इसकी खेती के लिए सोडिक और लवणीय भूमि उचित नहीं मानी जाती है।

बकव्हीट (कुट्टू) फसल की खेती के लिए खेत की तैयारी {Field preparation for cultivation of Buckwheat (Kuttu) crop}
कुट्टू की बुवाई से पहले खेत को कल्टीवेटर की सहायता से अच्छी तरह जुताई कर लेना चाहिए। कुट्टू की फसल के उगने में कठिनाई नहीं होती परंतु दो बार हैरो से जुताई करके पाटा लगाने से बिजाई की मशीन के बिना रुकावट चलने में तथा एकसार बीज डालने में सुविधा रहती हैं जिससे पौधों की पूरी मात्रा प्राप्त होती है तथा भरपूर पैदावार मिलती है।

Crop Spray & fertilizer Specification

बकव्हीट (कुट्टू) फसल की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक {Manures and fertilizers for the cultivation of Buckwheat (Kuttu) crop}
कुट्टू की खेती में अच्छे उत्पादन के लिए खेत तैयारी के समय 2.5 टन/हैक्टर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद और 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 20 कि.ग्रा. फास्फोरस तथा 20 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हैक्टर का अनुमोदन किया गया है। अम्लीय भूमि में चूना डालने से भी अतिरिक्त लाभ मिलता है। कुट्टू की जैविक खेती के लिए उर्वरक के स्थान पर वर्मी कम्पोस्ट 2.5 टन/ हैक्टर तथा चुल्लू की खली 2.5 टन/हैक्टर या गोबर की खाद 4 टन/हैक्टर तथा चुल्लू की खली 2.5 टन/हैक्टर डालने से भी कुट्टू की उतनी ही पैदावार मिल सकती है।

Weeding & Irrigation

बकव्हीट (कुट्टू) फसल की खेती में सिंचाई {Irrigation in Buckwheat (Kuttu) Crop}
कुट्टू की खेती में फसल की अच्छी पैदावार के लिए 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है।

बकव्हीट (कुट्टू) फसल की खेती में खरपतवार नियंत्रण {Weed control in Buckwheat crop cultivation}
किसी भी सफल फसल की खेती के लिए खरपतवार मुक्त वातावरण आवश्यक है। निराई दो बार की जा सकती है; अंकुर निकलने के 15 से 20 दिन बाद और पहली निराई गुड़ाई के लगभग 15 दिन बाद।

Harvesting & Storage

बकव्हीट (कुट्टू) फसल की कटाई (Buckwheat harvesting)
कुट्टू की फसल की कटाई का उचित समय जब फसल 75 से 80 प्रतिशत पक जाती है तब इसकी कटाई कर लेना चाहिए। कटाई में देरी होने पर बीज खिरने लगते है। इसकी कटाई के बाद इसे सूखा लें और बीज निकालने के लिए गहाई करनी चाहिए।

बकव्हीट (कुट्टू) फसल की उपज {Buckwheat (Kuttu) Crop Yield}
कुट्टू की फसल की उपज 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

Buckwheat Millet (कुट्टू की खेती) Crop Types

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Frequently Asked Questions

Q1: एक प्रकार का अनाज भारत में क्या कहा जाता है?

Ans:

कुट्टू का आटा
भारत में कुट्टू के आटे को कुट्टू के आटे के रूप में जाना जाता है और लंबे समय से शिवरात्रि, नवरात्रि और जन्माष्टमी जैसे कई त्योहारों के साथ सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है।

Q3: कौन सा बाजरा स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है ?

Ans:

अधिकांश बाजरा के समान कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। हालांकि, सोरघम (ज्वार) बाजरा , फॉक्सटेल बाजरा (कंगनी), फिंगर बाजरा (रागी), बार्नयार्ड बाजरा, कोदो बाजरा, लिटिल बाजरा और प्रोसो बाजरा उपलब्ध स्वास्थ्यप्रद बाजरा अनाजों में से हैं।

Q5: बाजरा खाने का सबसे अच्छा समय कौन सा होता है?

Ans:

सर्दी: बाजरा और मक्का सर्दियों के लिए बाजरा का आदर्श विकल्प है। इन बाजरा की खेती विशेष रूप से इसी मौसम में की जाती है। ऐसे में इनका सेवन आपकी सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। ये आपके शरीर को गर्म रखने में मदद करता है।

Q7: कुट्टू बाजरा को अन्य किस नामों से जाना जाता है?

Ans:

आम बोलचाल की भाषा में फेगोपाइरम एस्कुन्टम को अंग्रेजी में कॉमन या जापानी बकव्हीट तथा पहाड़ी में उगल और फेगोपाइरम टटरीकम को अंग्रेजी में टटरी बकव्हीट तथा तथा पहाड़ी में फाफारा के नाम से जाना जाता है।

Q2: एक प्रकार का अनाज बाजरा का क्या फायदा है?

Ans:

एक प्रकार का अनाज फाइबर से भरपूर होता है। फाइबर नियमित मल त्याग की अनुमति देता है और कब्ज जैसे लक्षणों का अनुभव करने की क्षमता को कम करता है। फाइबर में उच्च आहार निश्चित रूप से आपके पाचन स्वास्थ्य की रक्षा करेगा। ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में कुट्टू महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

Q4: अगर मैं रोज बाजरा खाता हूं तो क्या होता है?

Ans:

अनुराग चतुर्वेदी के अनुसार बाजरे के असंख्य स्वास्थ्य लाभ हैं। हृदय रोगों, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों से पीड़ित पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं के लिए बाजरा का नियमित सेवन फायदेमंद होता है। यह महिलाओं को पित्त पथरी से लड़ने में मदद करता है क्योंकि यह फाइबर से भरपूर होता है।

Q6: जई के समान एक प्रकार का अनाज?

Ans:

एक प्रकार का अनाज दलिया की तुलना में अधिक फाइबर, पोटेशियम, विटामिन और कम संतृप्त वसा होता है। यह तय करते समय कि आपको किस प्रकार का अनाज चुनना चाहिए, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एक प्रकार का अनाज में अधिक फाइबर, पोटेशियम और विटामिन बी2 और बी3 होता है और दलिया की तुलना में कम संतृप्त वसा होता है।