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Kalmegh (कालमेघ/चिरायता/चिरता)

Basic Info

कालमेघ एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। इसे कडू चिरायता व भुईनीम के नाम से जाना जाता है। यह एकेन्थेसी कुल का सदस्य है, यह हिमालय में उगने वाली वनस्पति चिरायता (सौरसिया चिरायता) के समान होता है। कालमेघ शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों के वनों में प्राकृतिक रूप में पाया जाता है, यह एक शाकीय पौधा है। इसकी ऊँचाई 1 से 3 फीट होता है। इसकी छोटी–छोटी फल्लियों में बीज लगते हैं, बीज छोटा व भूरे रंग का होता है। इसके पुष्प छोटे श्वेत रंग या कुछ बैगनी रंगयुक्त होते हैं।

उपयोगिता: इसका उपयोग अनेकों आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाईयों के निर्माण में किया जाता है। यह यकृत विकारों को दूर करने एवं मलेरिया रोग के निदान हेतु एक महत्वपूर्ण औषधी के रूप में उपयोग होता है। खून साफ करने, जीर्ण ज्वर एवं विभिन्न चर्म रोगों को दूर करने में इसका उपयोग किया जाता है।

Frequently Asked Questions

Q1: कालमेघ (Kalmegh) का क्या लाभ है?

Ans:

कालमेघ (Kalmegh) त्वचा रोगों के प्रबंधन में फायदेमंद हो सकता है। इसमें  कई एंटीऑक्सिडेंट, रोगाणुरोधी और विरोधी भड़काऊ गुण हैं। इसमें रक्त शुद्ध करने वाली गतिविधि भी है। साथ में, कालमेघ त्वचा के विस्फोट, फोड़े और खुजली के प्रबंधन में उपयोगी हो सकता है।

Q2: कालमेघ (Kalmegh) का अंग्रेजी नाम क्या है?

Ans:

अंग्रेजी नाम: जीव, हरी चिरायता, चूतड़ों का राजा।
वितरण: कालमेघ भारत में पाया जाने वाला एक वार्षिक जड़ी बूटी है, विशेष रूप से घने जंगलों में।
यह भारत के कई राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान) में खेती के अधीन है।