मिट्टी परीक्षण के लिए खेत से मिट्टी का नमूना लेते समय रखें ये सावधानियां
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मृदा परीक्षण (soil test) के लिए सबसे पहले मृदा का नमूना लिया जाता है। इसके लिए जरूरी है कि मृदा का नमूना पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करे। यदि मृदा का नमूना ठीक ढंग से नहीं लिया गया हो और वह मृदा का सही प्रतिनिधित्व न कर रहा हो, तो भले ही मृदा परीक्षण में कितनी ही सावधानियां क्यों न बरती जाएं, उसकी सिफारिश सही नहीं हो सकती। इसलिए खेत की मृदा का नमूना पूरी सावधानी से लेना चाहिए। नमूना लेने के लिए किसान को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसकी खुरपी, फावड़े, लकड़ी या प्लास्टिक की खुरचनी साफ हो ।
मिट्टी का नमूना लेते समय रखें ये सावधानियां
- उस स्थान से नमूना न लें, जहां पर खाद, उर्वरक, मेड़ों, पेड़ों, रास्तों के पास आदि को इकट्ठा किया गया हो।
- ऊसर आदि की समस्या से ग्रस्त खेत या उसे किसी भाग का नमूना अलग से लें।
- जहां तक सम्भव हो गोली मृदा का नमूना न लें अन्यथा उसे छाया में सुखाकर ही प्रयोगशाला को भेजें।
- नमूना लेने से पूर्व खेत की सिंचाई न करें।
- ऐसे क्षेत्र जहां अधिकतर समय पानी भरा रहता हो, वहां से नमूने एकत्र न करें।
- मृदा अपरदन के कारण जिस क्षेत्र की ऊपरी सतह कटकर वह गई हो, तो उसके नमूने अलग से लेने चाहिए।
- यदि सघन कृषि की जा रही हो तो नमूने एक फसलचक्र के पूरा होने पर प्रतिवर्ष लेने चाहिए।
- यदि खेत अधिक ढालू है, तो नमूने कई स्थानों से लेने चाहिए।
- मृदा का नमूना बुआई से लगभग एक माह पूर्व कृषि विकास प्रयोगशाला में भेज दें, जिससे समय पर मृदा की जांच रिपोर्ट मिल जाए एवं उसके अनुसार उर्वरक एवं सुधारकों का उपयोग किया जा सके।
- यदि खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई दें और मृदा का नमूना लेना हो, तो फसल की पंक्तियों के बीच से नमूना लेना चाहिए।
- मृदा के नमूने के साथ सूचना पत्र अवश्य डालें, जिस पर साफ अक्षरों में नमूना संबंधित सूचना एवं किसान का पूरा पता लिखा हो ।
- यदि नमूना लेने वाला क्षेत्र बड़ा है, तो नमूनों की संख्या उसी के अनुरूप बढ़ा देनी चाहिए।
- साफ औजारों (जंग रहित ) तथा साफ थैलियों का उपयोग करें।
- एकत्र नमूनों को न तो उर्वरकों के बोरों के पास रखना चाहिए और न ही उनके ऊपर सुखाना चाहिए।