अब आधा लीटर बोतल में मिलेगा एक बेग यूरिया, IFFCO ने किसानों के लिए विश्व का पहला नैनो यूरिया (Nano Urea) लिक्विड की शुरुआत
अब आधा लीटर बोतल में मिलेगा एक बेग यूरिया, IFFCO ने किसानों के लिए विश्व का पहला नैनो यूरिया (Nano Urea) लिक्विड की शुरुआत
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देश की सबसे बड़ी फर्टिलाइजर कंपनी इफको ने रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के प्रयासों के तहत  'नैनो-प्रौद्योगिकी' आधारित फर्टिलाइजर पेश किये हैं। इफको (IFFCO) ने दुनिया में पहली बार नैनो यूरिया तरल तैयार किया है। इससे फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसानों की आमदनी बढ़ सकेगी। अब एक बोरी यूरिया खाद की जगह आधे लीटर की नैनो यूरिया की बोतल किसानों के लिए काफी होगी।

इफको ने एक बयान में कहा कि ये पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद भारत में पहली बार पेश किए गए हैं। ये उत्पाद पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को 50 फीसदी तक कम करेंगे।  इसके अलावा फसल उत्पादन को 15-30 फीसदी तक बढ़ाने की क्षमता रखते हैं।

इफको ने किसानों के लिए विश्व के पहले नैनो यूरिया (Nano urea ) तरल की शुरुआत की है। इसे सामान्य यूरिया के प्रयोग की तुलना में कम से कम 50% कमी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। गौरतलब है कि इसके 500 मिली की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा।

जाने कितनी होगी एक बोतल की कीमत
इफको नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक आरंभ होगा और शीघ्र ही इसकी बिक्री भी शुरू हो जाएगी। इफको ने किसानों के लिए 500 मिली. नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत 240 रुपये निर्धारित की है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 फीसदी कम है।

गौरतलब है कि भारत में हर साल करीब 350 लाख टन यूरिया का  इस्तेमाल होता है। नैनो यूरिया के इस्तेमाल से इसकी खपत आधा ही रह जाएगी और सरकार को सब्सिडी पर सालाना 600 करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है। इससे भारत यूरिया आयात करने की जरूरत भी कम हो जाएगी।

किसानो के लिए होगा फायदेमंद
इफको का दावा है कि नैनो यूरिया किसानों के लिए सस्ता है और इससे पैदावार भी बढ़ेगी। इस तरह जहां किसानों की लागत कम होगी, वहीं पैदावार ज्यादा होने से उनकी कमाई ज्यादा होगी। साथ ही लाने-ले- लाने (परिवहन और भंडारण) खर्च कम होगा।

होगी उत्पादन में वृद्धि
इफको के मुताबिक नैनो तरल यूरिया का पूरे देश में 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) किया गया था और जिन 94 फसलों पर टेस्टिंग हुई उनकी उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अनुसंधान के बाद नैनो यूरिया तरल को स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया है। इफको ने कहना है कि 'यह नैनो तकनीक से बना तरल यूरिया आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में एक सार्थक कदम है।