सूरजमुखी की खेती : इस माह भी कर सकते है सूरजमुखी की बुआई
सूरजमुखी की खेती : इस माह भी कर सकते है सूरजमुखी की बुआई
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किसान भाई, तीनों मौसमों में सूरजमुखी की खेती करने की सलाह दी जाती है और इसकी खेती तीनों मौसमों - खरीब, रबी और जायद में की जाती है। यदि आप अधिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो मार्च का महीना सूरजमुखी की खेती करने का सही समय है। मार्च के पहले सप्ताह में किसान अपने खेतों को बुवाई के लिए तैयार कर सकते हैं। कहते है सूरजमुखी की फसल किसान भाइयो के लिए उन्नत फसल  और मुनाफा देने वाली फसल कही जाती है। नगदी फसल के नाम से मशहूर ये फसल बाजार में अच्छे भाव मे बिकती है इससे निकले वाला तेल खाद्य पर्दार्थ में प्रयोग में लिया जाता है। बाजारों में इसकी अधिक मांग को देखते हुए किसान इसका उत्पादन करके अधिक लाभ अर्जित है।

अप्रैल में सूरजमुखी की बुआई भी कर सकते हैं। वैसे तो मार्च के प्रथम पखवाड़े तक इसकी बुआई हो जाती है किन्तु गेहूं के बाद सूरजमुखी लेने पर अप्रैल में ही बुआई कर सकते हैं। 

सूरजमुखी के लिए 8-10 कि.ग्रा. बीज को पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-60 सें.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सें.मी. एवं बीज की गहराई 4-5 सें.मी. पर बुआई करें। 

ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक सूरजमुखी की ई.सी. 68415 प्रजाति की बुआई कर सकते हैं, जो अच्छे जल निकास वाली गहरी दोमट मृदा तथा क्षारीय व अम्लीय स्तर को सहन कर सकती है। 

बीज को 12 घंटे पानी में भिगोकर छाया में 3-4 घंटे सुखाकर बोने से जमाव शीघ्र होता है। बोने से पहले बीज को एप्रोन 35 एसडी की 6.0 ग्राम या कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम अथवा थीरम की 2.5 ग्राम मात्रा/ कि.ग्रा. बीज से बीजोपचार अवश्य करें।

सूरजमुखी की बुआई के 15-20 दिनों बाद सिंचाई से पूर्व विरलीकरण (थिनिंग) किसान भाई अवश्य कर दें और उसके बाद सिंचाई करें। रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमैथलिन 30 प्रतिशत की मात्रा 3.3 लीटर/हैक्टर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर बुआई के बाद एवं अंकुरण से पूर्व अर्थात बुआई के 3-4 दिनों पर छिड़काव करना चाहिए।