आंवला की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए उपयोगी सलाह
आंवला की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए उपयोगी सलाह
Android-app-on-Google-Play

आंवले के फलों की तुड़ाई जनवरी-फरवरी तक जारी रह सकती है। अतः इन क्षेत्रों में फलों से लदे वृक्षों को बाँस की डण्डियों से सहारा देने की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि शाखाओं को टूटने से रोका जा सके। इसलिए बिक्री की उचित व्यवस्था करें। इस दौरान फलों का विकास भी होता है इसलिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि कटाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए ताकि फल समय से तैयार हो सकें। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की समुचित व्यवस्था हो वहाँ बसंत ऋतु के आगमन पर पौध रोपण का कार्य फरवरी के दूसरे पखवाड़े से प्रारम्भ किया जा सकता है जो मार्च तक जारी रखा जा सकता है। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में जाड़ों में पाला पड़ने की सम्भावना हो वहाँ के वृक्षों पर सल्फ्यूरिक अम्ल (0.1 प्रतिशत) का छिड़काव करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर दोबारा छिड़काव करें। फरवरी फूल आने का समय है जो नए पत्तों के साथ आता है। इस समय सिंचाई न करें। आंवले के बगीचे में गोडाई करें और थाले बना लें।

आंवले के एक साल के पौधे के लिए 10 कि.ग्रा. गोबर/कम्पोस्ट खाद, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फेट व 75 ग्राम पोटाश देना आवश्यक है। 10 वर्ष या इससे ऊपर के पौधे में यह मात्रा बढ़कर 100 कि.ग्रा. गोवर/कम्पोस्ट खाद एक कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 500 ग्राम फॉस्फेट व 750 ग्राम पोटाश हो जाएगी। उक्त मात्रा से पूरा फॉस्फोरस, आधी नाइट्रोजन व आधी पोटाश की मात्रा का प्रयोग जनवरी से करें। बागों की निराई-गुड़ाई एवं सफाई का कार्य भी अभी करें।