सरसों की फसल में लगने वाला ये हानिकारक कीट कर देगा आपकी फसल को बर्बाद, जानिए इसके रोकथाम के उपाय
सरसों की फसल में लगने वाला ये हानिकारक कीट कर देगा आपकी फसल को बर्बाद, जानिए इसके रोकथाम के उपाय
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चेंपा सरसों का एक प्रमुख कीट है। चेंपा (तेला, माहू, एफिड) एक छोटा, कोमल शरीर तथा नाशपती के आकार का नाजुक कीट है। इसमें मादा दो प्रकार की होती है। पंख युक्त तथा पंख रहित। पंख युक्त वयस्क मादा चेपा भद्दे हरे रंग की होती है तथा पंखरहित मादा वयस्क हल्का पीले, हरे एवं जैतुनी हरे रंग की तथा शरीर पर सफेद रंग की मोम युक्त परत चढ़ी होती है नर वयस्क जैतुनी हरा एवं भूरे रंग का होता है। यह कीट मैदानी क्षेत्रों में नवम्बर से मार्च तक सक्रिय रहता है। चैंपा के लिए अनुकूल वातावरण दशा में मुख्यतः तापमान 8-24 डिग्री सेल्सियस एवं सापेक्षिक आर्द्रता 70-80 प्रतिशत होती है। इस कीट की बढ़वार के लिए बादलों वाला मौसम बहुत अनुकूल होता है। जब आसमान में बादल रहते हैं तब इसकी संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होती है। इस दशा में चैंपा की आक्रामकता फसल पर सर्वाधिक होती है। चैंपा की दो अवस्थाएं होती हैं निम्फ और वयस्क। ये दोनों ही अवस्थाओं में पौधों के तने, पत्तियों, फूलो तथा फलियों से रस चूसकर फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है। इस कीट के तीव्र प्रकोप होने पर पौधे की बढ़वार रुक जाती है, अविकसित होकर सूख जाता है, फूल नहीं बनते है। यदि बन भी गए तो फलियां नहीं बनती या अविकसित फलियां बनती है। यह कीट एक प्रकार का मधुरस स्रावित करते हैं, जिसके कारण कवक संक्रमण हो जाता है। चैंपा के भारी संक्रमण के प्रभाव से खेत झुलसा रोग से ग्रसित जैसा दिखाई देने लगता है। चेपा की आर्थिक दहलीज सीमा (ई.टी.एल.) 30. 40 चंपा कीट/10 सेन्टीमीटर मुख्य तने का ऊपरी भाग है।


कीट नियंत्रण के उपाय
  • सरसों की अगेती बुवाई (15 से 25 अक्टूबर तक) करने से चैंपा कीट का फसल पर आक्रमण बहुत कम होता है। चेंपा कीट के प्रकोप से प्रभावित टहनियों को प्रारम्भिक अवस्था में ही तोड़कर नष्ट कर दें।
  • सरसों की फसल में नत्रजन युक्त उर्वरकों की मात्रा सिफारिश के अनुसार ही दें, क्योंकि इनके अधिक प्रयोग से कीड़ों का आक्रमण ज्यादा होता है। दूसरी तरफ, पोटाशयुक्त उर्वरकों के देने से कीटों के प्रजनन व उत्सर्जन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः उर्वरकों का प्रयोग संतुलित व सिफारिश के अनुसार ही करना चाहिए। 
  • जब कीट का प्रकोप औसतन 10 प्रतिशत पौधों पर या औसतन 25 कीट प्रति पौधा हो जाए तो इनमें से किसी एक कीटनाशक का प्रयोग करें। मोनोक्रोटोफास 35 डब्लू.एस. सी. या डाइमेथोएट 30 ई.सी. या मिथाइलडिमेटान 25 ई.सी. या क्युनलफास 25 ई.सी. या फास्फोमिडान 85 डब्लू. एस. सी. 250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से 500-800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से इस कीट के नुकसान से फसल को बचाया जा सकता है।
  • इसके नियंत्रण हेतु नीम सीड करनल एक्सट्रैक्ट (एन.एस.के.इ.) का 5 प्रतिशत घोल का छिड़काव प्रभावी है।
  • परजीवी मित्र कीट डायरेटिला रंपी इस कीट को परजीवी युक्त कर मार देता है। इसके अतिरिक्त परभक्षी कीट जैसे काक्सीनेला सेप्टेम्पकटाटा, क्राइसोपा, सिरफिड आदि चेंपा कीट के शिशु एवं प्रोढ़ों को खाकर इस कीट की संख्या को बढ़ने से रोकते हैं। चेपा के इन प्राकृतिक शत्रु कीटों की कीटनाशकों से रक्षा करें। यदि इन कीटों की संख्या ज्यादा हो तो कीटनाशकों का प्रयोग न करे।
  • किसान को सलाह दी जाती है जब चैंपा का संक्रमण 10 सेंटीमीटर मुख्य टहनी पर 50 चेपा से ज्यादा या मुख्य टहनी के 0.5-1.0 सेंटीमीटर से अधिक पर चेपा की कॉलोनी के द्वारा 40 प्रतिशत से अधिक पौधों का संक्रमण हो तब आक्सीडेमेटोन मिथाइल 25 ई.सी. डाइमेथोएट (रोगर) 30 ई.सी. का मिली / लीटर के छिड़काव करना चाहिए।