गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए जरुरी है खरपतवार नियंत्रण, जानिए कैसे करें खरपतवार नियंत्रण
गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए जरुरी है खरपतवार नियंत्रण, जानिए कैसे करें खरपतवार नियंत्रण
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गेहूं की भरपूर उपज लेने के लिए सही समय पर खरपतवार नियंत्रण जरूरी है। खरपतवार गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं और फसल को दिए गए पौधों से खाद, पानी और रोशनी छीन लेते हैं। खरपतवार कई हानिकारक कीड़ों और बीमारियों को आश्रय भी प्रदान करते हैं। यदि समय पर खरपतवारों का नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल उत्पादन में 30 से 60 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।

वर्तमान समय में जिन किसानों की गेहूं की फसल 18 से 21 दिन की हो गई है। वे किसान गेहूं की फसल में सिंचाई करें। इससे फसल की अच्छी वृद्धि होगी। इसी प्रकार जहां गेहूं की फसल में खरपतवार उग आई हो वे किसान दवा का छिड़काव करें। इससे खरपतवार जल्द नष्ट हो जाएगी और फसल भी अच्छी होगी।

गेहूं की फसल में मुख्यतः दो तरह के खरपतवार लगते हैं एक तो संकरी पत्ती वाले एवं दुसरे चौड़ी पत्ती वाले | गेहूं में लगने वाले मुख्य खरपतवार जैसे-मोथा, बथुआ, गुल्ली डंडा, खरतुवा, हिरनखुरी कृष्णनील आदि खरपतवारों का नियंत्रण रसायनों द्वारा किया जा सकता है | किसानों को शाकनाशी रसायनों का उपयोग करते समय यह ध्यान देना होगा कि उनकी उचित सांद्रता को विधि पूर्वक समय पर प्रयोग करने से समुचित लाभ होता है |

गेहूं की फसल में संकरी पत्ती के खरपतवारों के साथ चौड़ी पत्ती के खरपतवारों की समस्या भी होती है। इन खरपतवारों में बथुआ, सेंजी, जंगली पालक, अकरी, जंगली मटर, दूधी, कासनी, कृष्णनील, हिरनखुरी, सत्यानाशी आदि शामिल हैं। इनकी अधिकता से गेहूं की पैदावार में 35 से 40 प्रतिशत तक कमी आती है। यदि आप गेहूं की खेती कर रहे हैं तो इसमें होने वाले चौड़ी पत्ती के खरपतवारों पर नियंत्रण की जानकारी यहां से प्राप्त करें।

बुवाई के उपरांत खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
  • खेत तैयार करते समय 1 बार गहरी जुताई करना आवश्यक है। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे।
  • खेत में कुछ दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई करें।
  • निम्न खरपतवारनाशी का छिड़काव बुवाई  के 30-35 दिन बाद 120-150 लीटर पानी में प्रति एकड़ फ्लैट - फैन नाजिल के द्वारा करना चाहिए
  • मिश्रित खरपतवार के लिएः टोटल (सल्फोसल्फ्यूरान + मेंट्सल्फ्यूरान) 16 ग्राम उत्पाद प्रति एकड़ या UPL Vesta (क्लोडिनाफॉप प्रोपरगिल 15% + मेट्सल्फुरॉन मिथाइल 1% WP) 160 ग्राम उत्पाद प्रति एकड़ या बाडवे (सल्फोसल्फ्यूरान + कार्फेन्ट्राजान) 25 + 20 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर।
  • संकरी पत्ती वाले खरपतवार के लिएः लीडर/सफल/फतेह (सल्फोसल्फ्यूरान) 13.5 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति एकड़ या टापिक (क्लोडिनोफाप) 60 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति एकड़।
  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के लिएः 2, 4-डी. सोडियम साल्ट 400 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति एकड़ या एल्ग्रिप (मेंट्सल्फ्यूरान) 4 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर या    एफिनिटि (कार्फेन्ट्राजान) 08 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति एकड़।
  • यदि खेत में मिश्रित खरपतवार के साथ मकोय भी हों तो बाडवे (सल्फोसल्फ्यूरान + कार्फेन्ट्राजान) का प्रयोग करना चाहिए।
  • जमाव के बाद खरपतवारनाशी का प्रयोग 2-3 पत्ती की अवस्था पर करना चाहिए।
आवश्यक सुझाव
  • खरपतवार बीज रहित गेहूँ के बीज का प्रयोग करें।
  • गेहूँ की बीजाई 15 नवम्बर से पहले करें।
  • लाईन में कम दूरी रखें (18 सेमी.) ।
  • गेहूँ के पौधों की संख्या बढ़ाने के लिए आड़ी-तिरछी बीजाई करें।
  • खाद को बीज के 2-3 सेंटीमीटर नीचे डालें।
  • मेढ़ पर बीजाई करने से भी मंडूसी का प्रकोप कम होता है।
  • मेढ़ों तथा पानी की नालियों को साफ़ रखें।
  • जल्दी पानी लगाकर मंडूसी को उगने दें तथा फिर दवाई या खेत को जोत कर इसे खत्म करने के बाद गेहूँ की बीजाई करें।
  • गेहूँ की जल्दी बढ़ने वाली किस्में उगायें।