चने की पैदावार पर असर पड़ता है इस हानिकारक रोग से, जानिए इस रोग के लक्षण और रोकथाम के उपाय
चने की पैदावार पर असर पड़ता है इस हानिकारक रोग से, जानिए इस रोग के लक्षण और रोकथाम के उपाय
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बदलते मौसम में चने की फसल में कई तरह के रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन सही देखभाल एवं उचित प्रबंधन करने से हम अपनी फसलों को कई रोगों से निजात दिला सकते हैं। उकठा रोग चना में लगने वाला एक प्रमुख रोग है। इसका कारण फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम प्रजाति साइसेरी नामक कवक है। यह मृदा जनित बीमारी है, जिसके कारण 20-25% पैदावार में कमी हो जाती है।

उकठा रोग के लक्षण
  • उकठा रोग से ग्रसित चने के पौधों की ऊपरी हिस्से की पत्तियां और डंठल झुक जाती है और पत्तियों का रंग भूरा हो जाता है। 
  • पौधा सूखना शुरू हो जाता है और मरने के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। 
  • भूमि की सतह वाले क्षेत्र में जुड़ी जड़ों को उखाड़कर उसमें चीरा लाने पर भीतर की संरचना भूरे से काले बंग की धारी की तरह दिखाई देती है।
  • रोगग्रस्त पौधा स्वस्थ्य पौधे की तुलना में उखाड़ने पर आसानी से उखड़ जाता है।

उकठा रोग के रोकथाम के उपाय
  • फसल चक्र अपनायें।
  • 8 से 10 सेंमी. की गहराई में बीज को गिराने से उकठा रोग का प्रभाव कम होता है।
  • अक्टूबर से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक चना की बुवाई अवश्य करें।
  • कवकनाशी द्वारा बीज का शोधन करें, जैसे 1 ग्राम कार्बन्डाजिम (बाविस्टीन) या 2 ग्राम थिरम या 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी/किलोग्राम चना बीज से बीजोपचार करें।
  • इसके नियंत्रण के लिए ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करें। साथ ही चार किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मे मिलाकर बुवाई से पहले प्रति हैक्टयर की दर से खेत मे मिलाएं। खड़ी फसल मे रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू.पी.0.2 प्रतिशत घोल का पौधों के जड़ क्षेत्र मे छिड़काव करें। या प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर टेबुकोनाजोले मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें। आवश्यकता के अनुसार 10 दिनों के अंतराल पर इस मिश्रण का दोबारा प्रयोग करें।
  • चना की उकठा रोग प्रतिरोधी किस्में उगाऐं जैसे पूसा-372, विजय, फूले जी-95311, जेजी-315, के. डब्ल्यू. आर-108 आदि। 6. गोबर की खाद (5 टन प्रति हे.) प्रयोग करने से उकठा रोग में कमी आती है।
  • उकठा का प्रकोप कम करके हेतु तीन साल का फसल चक्र अपनाए। मतलब तीन साल तक चना नहीं उगाए गहू, ज्वार सरसों व अलसी युक्त फसल चक्र अपनाये।
  • अलसी और चने की मिश्रित खेती भी रोग को दूर रखने में सहायक है।