छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की गेहूं की नई किस्म: यह किस्म रोटी के लिए बेहतर, रोटी होंगी नरम और पोषक तत्वों से भरपूर
छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की गेहूं की नई किस्म: यह किस्म रोटी के लिए बेहतर, रोटी होंगी नरम और पोषक तत्वों से भरपूर
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Wheat New Variety: कृषि वैज्ञानिक गेहूं, धान, गन्ना समेत अन्य फसलों के नए बीजों के लिए शोध करते रहते हैं। छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की ऐसी किस्म विकसित की है, जिसके आटे से बनी रोटियां ज्यादा नरम और पौष्टिक होंगी। इस गेहूं के आटे में पानी ज्यादा सोखने के कारण इससे बनी रोटियां ज्यादा फूली हुई होंगी। ये रोटियां ठंडा होने के बाद 10-12 घंटे तक नरम रहेंगी।

नहीं आएगा कालापन आटा गूंथने के बाद भी
गेहूं की इस नव विकसित किस्म विद्या सीजी 1036 (Vidya CG 1036) को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है। जांच में यह चपाती गुणवत्ता सूचकांक में 8.5/10 पाया गया है, जो देश में प्रचलित सभी प्रजातियों में सबसे अधिक है। शरबती का सूचकांक 8.15/10 है। नई किस्म विकसित करने वाले कृषि विज्ञानी डॉ. एपी अग्रवाल ने बताया कि इस गेहूं से बने आटे में फिनोल की मात्रा कम होने के कारण यह गूंदने के बाद काला भी नहीं होगा। आम तौर पर गेहूं की फसल को छह सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन यह किस्म तीन सिंचाई में अच्छी उपज देगी।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. एपी अग्रवाल ने बताया कि गेहूं की नई किस्म यहां की जलवायु के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की औसत उत्पादकता 39.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उत्पादन क्षमता 60.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसकी परिपक्वता अवधि 114 दिनों की होती है। यह गेहूँ के काले और भूरे रंग के रतुआ रोग के लिए प्रतिरोधी है  और इसमें करनाल बंट कम होता है।

अखिल भारतीय एकीकृत गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल हरियाणा गुणवत्ता जांच के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सेवा राम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की विद्या सीजी 1036 गेहूं की किस्म इस वर्ष की सर्वोत्तम किस्म है। अच्छी चपाती के लिए शुष्क मौसम में उगाए गए गेहूं को बेहतर माना जाता है। मध्य प्रदेश क्षेत्र का गेहूं भारत में चपाती के लिए अच्छा माना जाता है। इस किस्म में बेहतर गुणवत्ता सूचकांक प्राप्त करना भारतीय गेहूं की किस्मों के लिए अच्छी खबर है।

अच्छी रोटी का मतलब है उच्च चपाती गुणवत्ता सूचकांक
अच्छी रोटी का मतलब है उच्च चपाती गुणवत्ता सूचकांक होता है। इस सूचकांक को मापने के लिए वैज्ञानिक एक तरह की मशीन का इस्तेमाल करते हैं जो एक गृहिणी की तरह आटे से रोटी बनाती है। यह मशीन अधिकतम 10 बिंदुओं के आधार पर इस प्रक्रिया द्वारा गुणवत्ता निर्धारित करती है। इसमें आटे में जल अवशोषण क्षमता, गूंथे हुए आटे की प्रकृति एवं रंग, चपाती बनते समय इसका रंग, स्वाद, सुगंध, फूलने की क्षमता, मुलायमपन, चपाती बनते वक्त नमी की मौजूदगी व चार घंटे बाद नमी प्रतिशत को देखा जाता है। इस आधार पर गेहूं की किस्मों का चपाती गुणवत्ता सूचकांक निर्धारित किया जाता है। अच्छी चपाती के लिए यह सूचकांक 8.0 से अधिक होना चाहिए।

पोषक तत्वों से भरपूर
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि विकसित किस्म पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ई, विटामिन बी, खनिज लवण, तांबा, कैल्शियम, आयोडाइड, मैग्नीशियम, जस्ता, पोटेशियम, मैंगनीज, सल्फर, सिलिकॉन, क्लोरीन और आर्सेनिक होता है।

इन क्षेत्रों के लिए उपयोगी
भारत सरकार के अखिल भारतीय एकीकृत गेहूं और जौ अनुसंधान केंद्र ने इस नई किस्म को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान के कोटा, उदयपुर और उत्तर प्रदेश के झांसी संभाग के लिए उपयुक्त पाया है। अब तक, गेहूं की किस्म सी-306, या शरबती गेहूं नाम की, रोटी के लिए सबसे अच्छी मानी जाती थी। छत्तीसगढ़ की नई किस्म इससे भी बेहतर है।