सोयाबीन की खेती में हानिकारक कीट और रोग के नियंत्रण के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की उपयोगी सलाह
सोयाबीन की खेती में हानिकारक कीट और रोग के नियंत्रण के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की उपयोगी सलाह
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Soyabean ki Kheti: वर्तमान में सोयाबीन की खेती किये जाने वाले प्रमुख क्षेत्र (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान) के कई जिलों में सोयाबीन की फसल पर तना मक्खी, चक्र भृंग एवं पत्ती खाने वाली इल्लियाँ तथा रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाईट, पीला मोज़ेक वायरस रोग के संक्रमण की स्थितिया देखि जा रही हैं. कृषकों को सलाह हैं कि अपनी फसल की सतत निगरानी करते रहे एवं किसी भी कीट या रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही, निम्नानुसार नियंत्रण के उपाय अपनाये।

सोयाबीन की फसल में तम्बाखू की इल्ली एवं चने की इल्ली के प्रबंधन के लिए बाजार में उपलब्ध कीट विशेष फिरोमोन ट्रैप्स का उपयोग करें. इन फेरोमोन ट्रैप में 5-10 पतंगे दिखने का संकेत यह दर्शाता है कि इन कीड़ों का प्रादुर्भाव आप की फसल हो गया हैं जो कि प्रारंभिक अवस्था में है। अतः शीघ्रातिशीघ्र इनके नियंत्रण के लिए उपाय अपनाने चाहिए।

खेत के विभिन्न स्थानों पर निगरानी करते हुए यदि आपको कोई ऐसा पौधा मिले जिस पर झुण्ड में अंडे या इल्लिया हों, ऐसे पौधों को खेत से उखाड़कर निष्काषित करें।

तना मक्खी के नियंत्रण के लिए उपयोगी सलाह


तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें।

चक्र भृंग तथा पत्ती खानेवाली इल्लियों के नियंत्रण के उपाय


चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी ( 750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी). 1 ली/ है (या इमामेक्टीन बेन्जोएट 425) मिली है का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।
चक्र भृंग तथा पत्ती खानेवाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % + लैम्बडा सायलोनिन 04.60% ZC (200 मिली/हे) या वीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/ है) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोविन (125 मिली/है) का छिड़काव करें इनके छिडकाव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता हैं।

तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली के नियंत्रण के उपाय


पत्ती खाने वाली इल्लियाँ (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली) हो, इनके नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिडकाव करें: क्विनालफॉस 25 ई.सी. (1 ली/हे), या ब्रोफ्लानिलिडे 300 एस.सी. (42-62 ग्राम/हे), या फ्लूबेडियामाइड 39.35एस.सी ( 150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8एस सी (333 मि.ली/हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी., ( 250-300 मिली/हे) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50% एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. ( 150 मि.ली. /हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे). या फ्लूबेडियामाइड 20डब्ल्यू. जी (250-300 ग्राम/हे) या लैम्बडा सायहेलोनिन 04.90 सी. एम. (300 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. (1 ली/हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी ( 450 मिली/हे), या पूर्वमिति वटालुनि इमिडाक्लोप्रिंट 350 व पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सस + लैम्बडा सायहॅलोथ्रिन) 125 मिली / है (या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % + लैम्बडा सायलोबिन 04.60% ZC (200 मिली/हे) का छिड़काव करें।

पीला मोज़ेक रोग की रोकथाम के लिए उपयोगी सलाह


पीला मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 125 ) मिली / हे (या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड 350) मिली/ हे (का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट रोग की रोकथाम के उपाय


कुछ क्षेत्रों में रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट का प्रकोप होने की सूचना प्राप्त हुई है। कृषकों को सलाह हैं कि नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाझोल %5ईसी (1 मिली/ली पानी) का छिडकाव करें। इसके स्थान पर अन्य रसायन जैसे - टेबूकोनाझोल+सल्फर (1 कि.ग्रा./हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 % डब्ल्यू.जी. (500 ग्रा./हे) या टेवूकोनाझोल 25.9% ई.सी. (625 मिली./हे) का भी प्रयोग कर सकते हैं।

हानिकारक कीटों के नियत्रण के लिए जैविक उपचार
जैविक सोयाबीन उत्पादन में रुची रखने वाले कृषक गण पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाखू की इल्ली) की छोटी अवस्था की रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमूरिया रिलेयी (1 ली/हे) का प्रयोग कर सकते हैं यह भी सलाह है कि प्रकाश प्रपंच का भी उपयोग कर सकते हैं।

सोयाबीन की फसल के लिए अन्य महत्वपूर्ण उपयोगी सलाह
  • उपरोक्त के साथ-साथ कीट एवं रोग प्रबंधन के अन्य सुरक्षात्मक उपाय अपनाये।
  • सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठने हेतु "T" आकार के बर्ड-पर्चेस लगाये इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
  • कीट या रोग नियंत्रण के लिए केवल उन्ही रसायनों का प्रयोग करें जो सोयाबीन की फसल में अनुशंसित हों।
  • कीटनाशक या फफूंदनाशक के छिड़काव के लिए पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें (नेप्सेक स्प्रयेर से 450 लीटर / हे या पॉवर स्प्रेयर से 120 लीटर / हे न्यूनतम) 
  • किसी भी प्रकार का कृषि आदान क्रय करते समय दूकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।

स्त्रोत : भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान