सीमित सिंचाई द्वारा कर सकते हैं गेहूं की सूखी बुवाई
सीमित सिंचाई द्वारा कर सकते हैं गेहूं की सूखी बुवाई
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आजकल गेहूं की खेती वर्षा आधारित एवं सीमित सिंचाई करके की जा रही है। कम पानी की उपलब्धता होने पर गेहूं की कम पानी की आवश्यकता वाली प्रजातियों का चुनाव कर सूखी बुआई की जा सकती है। इस प्रकार समय की बचत के साथ-साथ खर्च को कम करके अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इस विधि में पलेवा न देकर खरीफ फसल की कटाई करने के बाद दो या तीन जुताई कर तुरन्त बाद गेहूं की सूखी बुआई कर एक सिंचाई करें।
हमारे देश में गई बती आबादी की आहार मांग के लिए आवश्यक है कि कृषि आदानों पर कम से कम खर्च कर गेहूं का अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जाए। इस क्रम में पानी का न्यूनतम प्रयोग करना भी शामिल है।
  • दो या तीन जुताई करके 5 टन प्रति हैक्टर सड़ी गोबर की खाद अंतिम जुताई के समय खेत में अच्छी तरह मिला दें।
  • वीटावॉक्स 75 डब्ल्यू. जी. 2 से 12.5 ग्राम दवा प्रति कि.ग्रा., साथ ही साथ एजेक्टोबैक्टर 5-10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज के साथ मिलाकर उपचारित करें।
  • उपचारित बीज के साथ 100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर 60 : 20 : 20 अनुपात में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश प्रति हैक्टर की दर से डालें। इसके लिए यूरिया 115 कि.ग्रा., डी.ए.पी. 50 कि.ग्रा. एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 15 कि.ग्रा. प्रत हैक्टर उर्वरकों को उपयोग करें। यूरिया की आधी मात्रा बुआई के समय एवं शेष मात्रा का उपयोग दो बार में करें। पहली मात्रा का प्रयोग प्रथम सिंचाई के 25 से 30 दिनों बाद दूसरी मात्रा का 80 से 85 दिनों के बाद करें।
  • गेहूं की अच्छी उपज के लिए 19:19:19 अनुपात में एन.पी.के की 150 ग्राम मात्रा प्रति टंकी (15 लीटर पानी) का प्रयोग खड़ी फसल में 30-35 दिनों में तथा दूसरी मात्रा का 45-50 दिनों की अवस्था पर छिड़काव करें।
गेहूं की कम सिंचाई वाली मुख्य किस्में
1. प्रजाति :- जे.डब्ल्यू. - 17
सिंचाई संख्या :- 1-2
उत्पादन (क्विं./है.) :- 30-35
2. प्रजाति :- जे.डब्ल्यू. - 3020
सिंचाई संख्या :- 1-3
उत्पादन (क्विं./है.) :- 30-35
3. प्रजाति :- एच. आई. - 1531 (हर्षिता)
सिंचाई संख्या :- 1-3
उत्पादन (क्विं./है.) :- 35-40
4. प्रजाति :- एच. आई. - 1500
सिंचाई संख्या :- 1-2
उत्पादन (क्विं./है.) :- 30-35

कीट नियंत्रण
  • दीमक नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफॉस (20 ई.सी) की 2 लीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करें। फिप्रोनिल 15 कि.ग्रा. मात्रा को 20 कि.ग्रा. रेत के साथ मिलाकर प्रति हैक्टर प्रयोग करें।
  • सैनिक कीट नियंत्रण के लिए कार्बारिल 50 प्रतिशत धूल की 2.5 कि.ग्रा. मात्रा का प्रति हैक्टर छिडकाव करें।
  • चूहों के नियंत्रण के लिए जिंक फॉस्फाइड का 2:17:1 (दवा:आटा:तेल) के अनुपात को साथ मिश्रण तैयार कर चूहे के बिल पर रखें।
रोग नियंत्रण
गेरुआ रोग के नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब की 2 कि.ग्रा. मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कंडुआ रोग नियंत्रण के लिए कार्बोक्सिन 75 प्रतिशत की 2.5 ग्राम मात्रा को प्रति कि.ग्रा. बीज के साथ उपचारित करें। पाउडरी मिल्ड्यू के नियंत्रण के लिए कैराथेन या सल्फेक्स की 1-1.5 कि.ग्रा. मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

खरपतवार नियंत्रण
संकरी पत्ती वाले खरपतवार
क्लोडिनोफोप प्रोपरगाइल (15 डब्ल्यू.पी.) की 400 ग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी के साथ मिलाकर बुआई के 20 से 25 दिनों की अवस्था में प्रति हैक्टर डालें। सल्फोसल्फ्यूरॉन (75 डब्ल्यू.पी.) की 33 ग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी के साथ मिलाकर बुआई के 20 से 25 दिनों की अवस्था पर प्रति हैक्टर की दर से डालें। 

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार 
मेटासल्फ्यूरॉन की 20 ग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी के साथ मिलाकर बुआई के 20 से 25 दिनों की अवस्था पर प्रति हैक्टर की दर से डालें। संकरी एवं 

चौड़ी दोनों प्रकार के खरपतवार 
सल्फोसल्फ्यूरॉन (75 प्रतिशत ) + मेटासल्फ्यूरॉन (5 प्रतिशत) की 32 ग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में | मिलाकर 20 से 25 दिनों की अवस्था पर प्रति हैक्टर डालें। क्लोडिनोफोप प्रोपरगाइल+मेटासल्फ्यूरॉन की 400 ग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी के साथ मिलाकर बुआई के 20 से 25 दिनों की अवस्था पर प्रति हैक्टर डालें।

सूखी बुवाई के लाभ
  • फसल का जमाव जल्दी एवं समय की बचत 
  • कम पानी की आवश्यकता, जिससे धन की बचत 
  • खरपतवार की समस्या में कमी 
  • कम पानी की खपत वाली प्रजातियों के प्रयोग से संरक्षित जल का समुचित उपयोग संभव