खरीफ प्याज उत्पादन की उन्नत तकनीक, जानिए प्याज की उन्नत किस्मों और पौध तैयार करने की विधि के बारे में
खरीफ प्याज उत्पादन की उन्नत तकनीक,  जानिए प्याज की उन्नत किस्मों और पौध तैयार करने की विधि के बारे में
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प्याज भारत में एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है। इसमें प्रोटीन एवं कुछ विटामिन भी अल्प मात्रा में रहते हैं। प्याज में बहुत से औषधीय गुण पाये जाते हैं। प्याज का सूप, अचार एवं सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है। सामान्यतः भारत के प्याज उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, उ.प्र., उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडू, म.प्र.,आन्ध्रप्रदेश एवं बिहार प्रमुख हैं। मध्यप्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक प्रदेश है। 

जलवायु एवं भूमि
प्याज के लिए समशीतोष्ण जलवायु अच्छी समझी जाती है। पौधों की आरम्भिक वृद्धि के लिए ठण्डी जलवायु की आवश्यकता होती है, लेकिन अच्छे व बड़े कन्द निर्माण के लिए पर्याप्त धूप वाले बड़े दिन उपयुक्त रहते हैं। इसकी खेती दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है।

उपयुक्त किस्में
खरीफ फसल हेतुः एन 53, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, भीमा सुपर, भीमा रेड, भीमा डार्क रेड, भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, भीमा सफेद, लाइन- 883, इत्यादि प्रमुख किस्में है।

रबी फसल हेतुः प्याज लाल-पूसा रेड, नासिक रेड, एग्रीफाउंड डार्क रेड, एग्रीफ्रफाउण्ड लाईट रेड, पंजाब रेड राउण्ड, अर्का कल्याण, एन 531 प्याज सफेद- उदयपुर 102, पूसा व्हाईट फ्लेट, पूसा व्हाईट राउण्ड । प्याज पीली अर्लीीं ग्रेनो।

खेत की तैयारी
  • मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की एक गहरी जुताई करके 2-3 जुताई देशी हल से कर लेवें जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए। खेत तैयार करते समय अंतिम जुताई के समय गोबर की खाद को भी अच्छी तरह मिला देना चाहिए। 
  • खरीफ के मौसम में पौध की बुवाई हेतु उठी हुई क्यारियां अथवा डोलियां अच्छी रहती है जिससे पानी की स्थिति में भी पौध खराब नहीं होती है एवं फसल स्वस्थ रहती है। 
बीज की मात्रा एवं बोआई का समय
  • एक हैक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई के लिए 8-10 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त रहता है। 
  • प्याज की बुवाई खरीफ मौसम में यदि बीज द्वारा पौध बनाकर फसल लेनी हो तो मई के अंतिम सप्ताह से लेकर जून के मध्य तक करते हैं और यदि छोटे कंदों द्वारा खरीफ में अगेती फसल या हरी प्याज लेनी हो तो कन्दों को अगस्त माह में बोएं। 
  • रबी की फसल के लिए बीज मध्य अक्टूबर से लेकर मध्य नवम्बर तक बोएं। खरीफ प्याज की खेती के लिये छोटे कन्द बनाने के लिए बीज को जनवरी के अंतिम सप्ताह में या फरवरी के प्रथम पखवाड़े में बोना उपयुक्त होता हैं।
पौध तैयार करने की विधि
  • क्यारियां तैयार करनारू रोपी से पहले प्याज के बीज को पौधशाला में बोते हैं। 
  • एक हैक्टेयर क्षेत्रफल में पौध रोपाई के लिए 250-300 वर्ग मीटर क्षेत्र में पौधशाला की आवश्यकता होती है। जिसमें की 80-100 क्यारियां ( 3 मीटर 0.60 आकार की) पर्याप्त होती है। 
  • पौधशाला की मिट्टी को थाइराम या कैप्टान द्वारा 4-5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से उपचारित कर लेना चाहिए। 
  • रबी की फसल के लिए नर्सरी समतल क्यारियों में कर सकते हैं परंतु गर्मियों में तेज हवा, लू एवं पानी की कमी के कारण खरीफ के मौसम में स्वस्थ पौध तैयार करना बहुत ही कठिन कार्य होता है, नतीजन इस मौसम में पौधों की नर्सरी में मृत्यु दर बहुत अधिक होती है। अतरू हो सके तो नर्सरी किसी छायादार जगह अथवा छाया घर के नीचे तैयार करें। 
  • साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इस समय वर्षा का दौर प्रारंभ होने वाला होता है जिससे समतल क्यारियों में ज्यादा पानी की वजह से बीज वह जाने का खतरा बना रहता है। अतरू पौधों को अधिक पानी से बचाने के लिए हमेशा धब्बा (एंथ्रोक्नोजद्ध रोग का प्रकोप अधिक होता है। अतरू पौधों को अधिक पानी से बचाने के लिए हमेशा जमीन से उठी हुई क्यारियां ( 10-15 से.मी. ऊंची) ही तैयार करनी चाहिए। क्यारियों की चौड़ी लगभग एक मीटर व लंबाई सुविधा के अनुसार रख सकते हैं। दो क्यारियों के बीच 30 से. मी. खाली जगह रखें जिससे खरपतवार निकालने व अतिरिक्त पानी की निकासी में सुविधा हो।