खरीफ प्याज की उन्नत खेती, जानिए प्याज की प्रमुख किस्म और उर्वरक प्रबंधन के बारे में
खरीफ प्याज की उन्नत खेती, जानिए प्याज की प्रमुख किस्म और उर्वरक प्रबंधन के बारे में
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सामान्यतः प्याज भारत में एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है। इसमें प्रोटीन एवं कुछ विटामिन भी अल्प मात्रा में पाए जाते हैं । प्याज में बहुत से औषधीय गुण होते हैं । प्याज का सूप, अचार एवं सलाद के रूप में भी उपयोग किया जाता है। सामान्यतः भारत के प्याज उत्पादन महाराष्ट्र, गुजरात, उ.प्र., उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडू, म.प्र.,आन्ध्रप्रदेश एवं बिहार राज्यों में प्रमुख हैं। महाराष्ट्र प्याज उत्पादन में 28.32% की हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है; मध्यप्रदेश भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक प्रदेश है। म.प्र. में प्याज की खेती खंण्डवा, शाजापुर, रतलाम, छिंन्दवाड़ा, सागर एवं इन्दौर में मुख्य रूप से की जाती है। सामान्य रूप में सभी जिलों में प्याज की खेती की जाती है। भारत से प्याज का निर्यात मलेशिया, यू.ए.ई. कनाडा, जापान, लेबनान एवं कुवैत में निर्यात किया जाता है।

उन्नत किस्में:
  • भीमा सुपर: छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में पछेती खरीफ में भी उगाया जा सकता है। इसकी औसत उपज खरीफ में 20 - 22 टन / हेक्टेयर और पछेती खरीफ में 40 - 45 टन / हेक्टेयर होने की सूचना है। खरीफ में रोपाई (डीएटी) और पछेती खरीफ में 110-120 डीएटी के बाद बल्ब 100-105 दिनों के भीतर परिपक्व हो जाते हैं।
  • भीम गहरा लाल: औसत विपणन योग्य उपज 20-22 टन/हे. है। विशेष रूप से इसके आकर्षक गहरे लाल फ्लैट ग्लोब बल्ब के कारण इसकी अनुशंसा की जाती है। यह 95-100 डीएटी के भीतर परिपक्वता प्राप्त करता है।
  • भीमा शुभ्रा: सफेद प्याज की इस किस्म को खरीफ सीजन के लिए अनुशंसित किया गया है। यह खरीफ के दौरान 110-115 प्रत्यारोपण के बाद के दिन और देर से खरीफ में 120-130 प्रत्यारोपण के बाद के दिन में परिपक्व होती है। टीएसएस 10-120बी है। यह पर्यावरण के उतार-चढ़ाव को सहन करने की क्षमता वाला एक मध्यम भंडार है। खरीफ के दौरान औसत विपणन योग्य उपज 18 - 20 टन / हेक्टेयर और देर से खरीफ के दौरान 36-42 टन / हेक्टेयर है।
  • पूसा लाल: इस किस्म के प्याज का रंग लाल होता है। उपज कम से कम 200 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। भंडारण के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं है,  इसे कहीं भी रखें। एक प्याज का वजन 70 से 80 ग्राम तक होता है। फसल 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है।
  • पूसा रत्नार: इस किस्म के प्याज का आकार थोड़ा चपटा और गोल होता है। गहरे लाल रंग की इस किस्म से किसानों को प्रति हेक्टेयर 400 से 500 क्विंटल प्याज मिल सकता है। कपास की यह किस्म बुवाई के 125 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है।
  • पूसा माधवी: इस किस्म के कंद गोल चपटे, हल्के लाल, 11-13% अच्छी रख-रखाव गुणवत्ता वाले होते हैं; रोपाई के 130-135 दिनों में पक जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 300-350 क्विंटल उपज देता है।

बीज दर:- एक एकड़  भूमि के लिए आवश्यक पौध उगाने के लिए 4-5 किलोग्राम बीज दर पर्याप्त होती है।

बीज उपचार:- थीरम 2 ग्राम प्रति किलो बीज + बेनोमाइल 50 डब्लयू पी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी से बीज उपचार करने से स्मट रोग दूर हो जाते हैं। रासायनिक उपचार के बाद, जैव एजेंट ट्राइकोडर्मा विराइड @ 2 ग्राम / किग्रा बीज के साथ बीज उपचार की सिफारिश की जाती है, इससे शुरुआती अंकुर रोगों और मिट्टी से पैदा होने वाले इनोकुलम को कम करने में मदद मिलती है।

खाद एवं उर्वरक :-
गोबर की खाद या कम्पोस्ट 200 क्विंटल प्रति हेक्टर तथा नाइट्रोजन : फास्फोरस : पोटाश : सल्फर :: 100:50:100:25 किलो प्रति हेक्टर आवश्यक है। गोबर की खाद या कम्पोस्ट, फास्फोरस तथा पोटाश भूमि के तैयारी के समय तथा नाइट्रोजन तीन भागों में बांटकर क्रमशः पौध रोपण के 15 तथा 45 दिन बाद देना चाहिए। अन्य सामान्य नियम खाद तथा उर्वरक देने के पालन किए जाने चाहिए। ध्यान रहे आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही प्रयोग करना चाहिए। 
Azospirillum 2 kg and  Phosphobacteria 2 kg/ha
Kharif season - 100:50:50:50 kg/ha
Late kharif season - 150:50:50:50 kg/ha
Rabi season - 150:50:80:50 kg/ha

Thrips Control:- 
  1. नीले स्टिकी ट्रैप @6-8 प्रति एकड़ रखें। 
  2. फिप्रोनिल (रीजेंटा) 30 मि.ली. को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
  3. या प्रोफेनोफोस 10 मि.ली./10 लीटर पानी 8-10 दिनों के अंतराल पर लें।

बैंगनी धब्बा और स्टेमफिलियम झुलसा: गंभीर प्रकोप में उपज में 70% तक की हानि हो सकती है। पत्तियों पर गहरे बैंगनी रंग के घाव दिखाई देते हैं। पीली धारियाँ भूरी हो जाती हैं और ब्लेड के साथ फैल जाती हैं।
प्रोपीनेब 70% WP@350 ग्राम प्रति एकड़/150 लीटर पानी में मिलाकर 10 दिनों के अंतराल पर दो बार स्प्रे करें।

Important practices:-
1. थ्रिप्स और लीफ माइनर ट्रैपिंग के लिए 12/हेक्टेयर पीले चिपचिपे ट्रैप की स्थापना।
2. कट वर्म (एस.लिटुरा) के लिए फेरोमोन ट्रैप 12/हेक्टेयर की स्थापना।
3. 30 DAP पर P.fluorescens (5 g/l) + Beauveria Bassiana (10 g/l) का छिड़काव करें।
4. Azadairachtin (neem oil) 1% (2 ml/l) का 40 DAP पर छिड़काव करें।