भिंडी की उन्नत खेती, जानिए भिंडी की खेती के लिए मुख्य कृषि कार्य
भिंडी की उन्नत खेती, जानिए भिंडी की खेती के लिए मुख्य कृषि कार्य
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भिंडी की खेती : भिंडी को लगभग सभी प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। अधिक उत्पादन के लिए उचित जल निकास एवं जीवांशमयुक्त 6-6.8 पी-एच वाली दोमट मृदा सर्वोत्तम रहती है। 
  • भिंडी की फसल की यदि अप्रैल-मई में बुआई हुई है, तो इसकी तुड़ाई जून में होती है। तापमान अधिक होने के कारण सिंचाई प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बरसाती भिंडी की फसल की बुआई का यह उपयुक्त समय है। 
  • भिंडी की प्रजातियाँ पूसा भिंडी-5, काशी लालिमा, काशी वरदान, काशी चमन, काशी सृष्टि, जेओएच-05-9, काशी क्रांति, जेओएल-2के-19, ओएच-597, जेओएच-0819 पूसा ए-4, पूसा सावनी, पूसा मखमली, वर्षा उपहार, परभनी क्रांति, आजाद भिंडी, अर्का अनामिका, पंजाब-7, पंजाब-8, आजाद क्रांति, हिसार उन्नत, काशी प्रगति व उत्कल गौरव आदि प्रमुख हैं।
  •  एक हैक्टर क्षेत्रफल के लिए 8-10 कि.ग्रा. बीज, 60X30 सें.मी. की दूरी पर बुआई करने के लिए पर्याप्त होता है। 
  • खेत की तैयारी के समय 25-30 टन सड़ी गोबर की खाद या 10 टन नाडेप कम्पोस्ट खाद प्रति हैक्टर की दर से खेत में मिलाएं। भिंडी की फसल में बुआई के समय 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन 50 कि.ग्रा. फॉस्फोरस एवं 50 कि.ग्रा. पोटाश / हैक्टर की दर से प्रयोग करें। फसल तुड़ाई के बाद यूरिया / 5-10 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से डालें तथा उसके उपरांत सिंचाई करें। साथ ही तापमान को ध्यान में रखते हुए माईट, जैसिड और हॉपर की निरंतर निगरानी करते रहें। 
  • इस मौसम में भिंडी की फसल में हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करें। 
  • खरपतवार के लिए बुआई के 30-60 दिनों के दौरान कुल 2-3 निराई-गुड़ाई पर्याप्त होती है। जहां पर खरपतवारों की अधिक समस्या हो वहां खरपतवारनाशी फ्लूक्लोरालिन 1.5-2.0 लीटर का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर/हैक्टर बुआई से पूर्व छिड़काव करें।