सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए किसान भाई इस तकनीक से करें बुवाई
सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए किसान भाई इस तकनीक से करें बुवाई
Android-app-on-Google-Play

सोयाबीन की खेती: जैसा की आप जानते है देश के कई राज्यों में सोयाबीन की खेती मुख्य रूप से खरीफ सीजन में की जाती है। किसानों को सोयाबीन की अच्छी कीमत भी मिलती है क्योंकि यह खरीफ सीजन की मुख्य तिलहन फसल है। सोयाबीन की बुवाई जून के पहले सप्ताह से शुरू हो जाती है। सोयाबीन की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए किसान उन्नत विधियों का प्रयोग करें ताकि कम लागत में अधिक उपज प्राप्त की जा सके।

किसानों को सोयाबीन की एक पंक्ति में बुवाई करनी चाहिए, जिससे फसलों की निराई करना आसान हो जाता है। किसानों को सीड ड्रिल से बुवाई करनी चाहिए ताकि बीज और उर्वरक का एक साथ छिड़काव किया जा सके। इससे पौधों के विकास में उर्वरक का पूरा उपयोग होता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए किसान सोयाबीन की बुवाई फैरो इरीगेटेड रेज्ड-बैड पद्धति या ब्रॉड बेड मेथड (बीबीएफ) से करें।

क्या है रेज्ड-बैड पद्धति
रेज्ड बेड पद्धति से बोवनी करने के लिए रेज्ड बेड प्लांटर की आवश्यकता होती है। इसमें खाद और बीज के लिए दो अलग-अलग पेटी होती हैं। इस पद्धति से बोवनी करने पर खाद बीज के नीचे डाला जाता है। इससे पौधा खाद का उपयोग जल्दी कर लेता है। इस प्लांटर से बोवनी करने पर खेत में दो बेड बनती हैं। इसमें एक बेड पर फसल की दो कतार होती हैं और दो बेड के बीच एक नाली बनाई जाती है। इससे पद्धति से अधिक बारिश होने पर खेतों में भरा पानी बहकर बाहर निकल जाता है। रेज्ड बेड प्लांटर से बोवनी रिज-फरो पद्धति का और उन्नत रूप है।

वहीं रेज्ड-बैड प्लांटिंग में मेड़ और नाली फसल कटाई तक बनी रहती है। इस पद्धति में कम बारिश की स्थिति में जल का संरक्षण नालियों में होता है। साथ ही अधिक बारिश की हालत में जल निकासी आसानी से हो जाती है। खेत में अधिक समय तक नमी का संरक्षण बीज दर में कमी और उत्पादन में 20 से लेकर 25 प्रतिशत तक वृद्धि होती है। किसानों द्वारा रेज्ड-बेड प्लांटर पद्धति से सोयाबीन, गेहूं और चने की फसल की बोवनी भी की जा सकती है।

रेज्ड बेड पद्धति से होगी बोवनी तो बढ़ेगा तीस फीसदी उत्पादन:
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सोयाबीन की बोवनी के लिए यह नई पद्धति है, जिसे मेढ़-नाली पद्धति भी कहा जाता है। इस पद्धति से बोवनी करने पर उत्पादकता में 25 से 30 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी होती है। इसकी बोवनी के लिए सीड ड्रिल में मामूली परिवर्तन कर सोयाबीन बोई जाती है। बोवनी करते वक्त बीज नाली में न रहकर मेढ़ पर आ जाता है और नाली खाली रहती है। इससे में बीज की मात्रा 13-14 किलोग्राम प्रति बीघा लगती है, साथ ही बोवनी के तुरंत बाद भी लगातार वर्षा होने पर भी अंकुरण शत-प्रतिशत रहता है। यही नहीं अतिवर्षा होने पर पानी नालियों से बाहर निकल जाता है और पौधा मेढ़ पर सुरक्षित रहता है, वहीं कम वर्षा होने पर नालियों में पानी भरा रहता है और मेढ़ पर लगे पौधे को दोनों ओर से नमी मिलती रहती है। इस पद्धति में सोयाबीन के पौधे पर्याप्त दूरी पर रहते हैं, जिससे पौधों का विकास अच्छा होता है।

समय पर बुवाई किस समय करें
किसानों को अधिकतम लाभ के लिए सोयाबीन की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह के बीच करनी चाहिए जब 4-5 इंच बारिश हो।  रेज्ड बैड प्लांटर में, फ़रो ओपनर जो फिट किया जाता है, उसमें रिजर और मोल्ड बोर्ड के साथ-साथ सेयर पॉइंट भी होता है। मोल्ड बोर्ड के पंख की चौड़ाई को बढ़ाया या घटाया जा सकता है, ताकि उच्च बेड और नाली की चौड़ाई और गहराई को बढ़ाया या घटाया जा सके।

फेरो इरीगेशन राइज़ बेड सिस्टम की विशेषताएं
  • इस मशीन से दो बेड या क्यारियाँ बनाए जाते हैं। इस मशीन द्वारा प्रत्येक क्यारी पर दो से तीन पंक्तियों में बुवाई की जा सकती है।
  • इस विधि में 15-20 सेमी. गहराई और 45-60 सेमी चौड़ी नाली बनाई जाती है।
  • ऊँची क्यारी की चौड़ाई 45-60 सेमी और ऊंचाई 10-15 सेमी रखी जाती है।
  • इस मशीन में ऊँची क्यारी एवं नाली की चौड़ाई और गहराई को बढ़ाने या घटाने की व्यवस्था भी है।
  • ऊँची क्यारी पर दो या तीन पंक्तियों में बोया जा सकता है, पंक्तियों के बीच की दूरी 25-30 सेमी रखते है।
सोयाबीन की बिजाई की विस्तृत क्यारी विधि
ब्रॉड बेड मेथड (बीबीएफ) सीड ड्रिल एक बहुमुखी उपकरण है जिसमें रबी और खरीफ फसलों की दर से फरो ओपनर्स (बुआई के दाँते) को बदला जा सकता है। इस सीड ड्रिल द्वारा एक साथ 5-6 पंक्तियों में बुवाई की जा सकती है। प्रत्येक 5-6 पंक्तियों के बाद एक गहरी नाली बनती है, जिसकी चौड़ाई 30-40 सेमी होती है। और गहराई 10-12 सेमी. रहती हैं। बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी बदलने की सुविधा है। इस बीबीएफ सीड ड्रिल में 9 दाँते होते हैं, जिससे रबी फसलों की बुवाई भी की जा सकती है।