जानिए गर्मी के मौसम में मुंग की फसल पर लगने वाले रोग तथा कीट की रोकथाम के बारे में
जानिए गर्मी के मौसम में मुंग की फसल पर लगने वाले रोग तथा कीट की रोकथाम के बारे में
Android-app-on-Google-Play

मूंग खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। इसकी खेती भारत के विभिन्न राज्यों में की जाती है, जैसे- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल आदि। मूंग की फसल विभिन्न अवस्थाओं में विभिन्न रोगों की चपेट में आती है। यदि इन रोगों की सही पहचान कर सही समय पर नियंत्रण कर लिया जाए तो उपज के एक बड़े हिस्से को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

सामान्यतः ग्रीष्म ऋतु में रोग तथा कीट का प्रभाव बहुत कम मात्रा में देखा गया है। 

चित्ती जीवाणु रोग

इस रोग के लक्षण पत्तियों, तने एवं फलियों पर छोटे गहरे भूरे धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए स्टेप्टोसाइक्लीन 50 ग्राम का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

पीत शिरा मोजैक

रोगरोधी प्रजातियों का प्रयोग करें। इस रोग के लक्षण फसल की पत्तियों पर एक महीने के अंदर दिखाई देने लगते हैं। ये फैले हुए पीले धब्बों के रूप में रोग दिखाई देते हैं। यह रोग एक मक्खी के कारण फैलता है। इसके नियंत्रण के लिए मिथाइल डिमेटान का 0.25 प्रतिशत प्रति हैक्टर की दर से 10 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करना काफी प्रभावी होता है।

दीमक

दीमक से बचाव के लिये बुआई से पहले अंतिम जुताई के समय खेत में क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत या क्लोरोपैरिफॉस कीटनाशक की 2 मि.ली. मात्रा को प्रति कि.ग्रा. बीज दर से उपचारित कर बोना लाभकारी होता है।

कातरा, मोयला, सफेद मक्खी, फली छेदक एवं हरा तेल

ये सभी कीट मूंग की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी रोकथाम के लिये मोनोक्रोटोफॉस 36 डब्ल्यू.ए.सी. या क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत पाउडर की 20-25 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हैक्टर की दर से भुरकाव कर देना चाहिये।