सब्जीवर्गीय फसलों में जल प्रबंधन, जानिए फसलों में सिंचाई की क्रांतिक अवस्थायें
सब्जीवर्गीय फसलों में जल प्रबंधन, जानिए फसलों में सिंचाई की क्रांतिक अवस्थायें
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Vegetable Farming: शाकभाजी वाली फसलें मुख्यतः हरी अवस्था में ही काटी जाती है। इसलिए इन फसलों को बोने से लेकर कटने तक पानी की आवश्यकता होती है। पत्ती वाली सब्जियों को 1 ग्राम शुष्क पदार्थ बनाने के लिए कद्दूवर्गीय सब्जियों की तुलना में अधिक पानी की आवश्यकता होती है। सब्जियाँ जिनका वाष्पोत्सर्जन दर अधिक होता है, वह सूखे का दबाव अधिक सहन नहीं कर पाती हैं और पानी की कमी होने पर उनकी बढ़वार एवं उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके विपरित ऐसी सब्जियाँ जिनका वाष्पोत्सर्जन कम होता है वह नमी की कमी को सहन कर लेती है।

पानी की मांग के अनुसार सब्जियों का वर्गीकरण निम्नानुसार है -
अधिक - चौलाई, ब्रोकली, पत्तागोभी, मूली, शिमला मिर्च, शलजम। 
सामान्य - बैंगन, मिर्च, गाजर, खीरा, आलू, टमाटर।
कम - चुकन्दर, ग्वार, लोबिया, राजमा, मटर
न्यूनतम - लौकी, खरबूज, तरबूज

सब्जियों में सिंचाई की क्रांतिक अवस्थायें:- फसलों की वृद्धिकाल में ऐसी अवस्था आती है जब जल की कमी के प्रति पौधे अत्यंत संवेदनशील होते हैं। इस अवस्था को जल क्रांतिक अवस्था कहते है। क्रांतिक अवस्था में पौधों के सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है। यदि इस अवस्था में सिंचाई नही की जाती है तो फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अतः इन अवस्थाओं में सिंचाई अति आवश्यक होती हैं। ये अवस्थायें हर फसल में अलग-अलग समय पर आती है। इस समय यदि सिंचाई की कमी रह जाती है तो उपज में अप्रत्याशित कमी आ सकती है।

सब्जियाँ सिंचाई की क्रांतिक अवस्थायें
  • ब्रोकली - ब्रोकली में शीर्ष बढ़ने के समय
  • टमाटर - फूल आने एवं फल बढ़ने के समय
  • बैंगन - फूल आने एवं फल बढ़ने के समय
  • मिर्च - फूल आने एवं फल बढ़ने के समय
  • गोभी - शीर्ष बढ़ने और बनने के समय
  • गाजर, मूली, व शलजम - जड़ बढ़ते समय
  • खीरा - फूल आने एवं फल बढ़ते समय
  • प्याज - शल्क कंद आने व बढ़ने के समय
  • भिण्डी - फूल आने फल बढ़ने के समय 
  • मटर - फूल एवं फल आने के समय
  • आलू - कंद बनते एवं बढ़ने के समय