धान, मक्का, सरसों, मटर और सब्जीवर्गीय फसलों की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की कृषि एडवाइजरी
धान, मक्का, सरसों, मटर और सब्जीवर्गीय फसलों की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की कृषि एडवाइजरी
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Agriculture Advisory: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी गई है, कृषि वैज्ञानिकों का कहना है की बीते दिनों तथा आने वाले दिनों में वर्षा की सम्भावना को देखेते हुये सभी फ़सलों में सिंचाई ना करें। साथ ही सभी खड़ी फसलों में किसी भी प्रकार का छिडकाव ना करें। 

धान की फसल के लिए उपयोगी सलाह
  • इस मौसम में धान की फ़सल में जीवाणु पत्ती झुलसा रोग के आने की संभावना है। यदि धान की खड़ी फ़सल में पत्तियों का रंग पीला पड़ रहा हो तथा इन पर जलसोख धब्बे बन रहे है जिसके कारण आगे जाकर पूरी पत्ती पीली पड़ने लगे तो इसके रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (streptocycline) 15 ग्रा. तथा कांपर हाइड्रोक्साइड @ 400 ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर 10-12 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। 
  • इस मौसम में बासमती धान में आभासी कंड (False Smut) आने की काफी संभावना है। इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल कर पीला पड़ जाते है। इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स 50 @ 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें। 
  • इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट होपर का आक्रमण आरंभ हो सकता है अतः किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो ओशेन (Dinotefuran) 100 ग्राम/ 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मक्का, सरसों और मटर की खेती के लिए उपयोगी सलाह
  • इस मौसम में किसान स्वीट कोर्न (माधुरी, विन ऑरेंज) तथा बेबी कोर्न (एच एम-4) की बुवाई कर सकते है। 
  • सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों- 25, पूसा सरसों- 26, पूसा सरसों- 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक आदि के बीज की बुवाई करें। बीज दर 1.5 से 2.0 कि. ग्रा. प्रति एकड़। 
  • इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई कर सकते हैं। उन्नत किस्में - पूसा प्रगति, बीज दर 35-40 कि.ग्रा. प्रति एकड़। बीजों को कवकनाशी केप्टान @ 2.0 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से मिलाकर उपचार करें उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगायें। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दे तथा अगले दिन बुवाई करें।
सब्जीवर्गीय फसलों की खेती के लिए उपयोगी सलाह
  • इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ो पर कर सकते हैं। उन्नत किस्में- पूसा रूधिरा। बीज दर 4.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़। बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज 1.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है जिससे बीज की बचत तथा उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।
  • सब्जियों में (टमाटर, बैंगन, फूलगोभी व पत्तागोभी) शीर्ष एवं फल छेदक एवं फूलगोभी/पत्तागोभी में डायमंड़ बेक मोथ की निगरानी हेतू फिरोमोन प्रपंच @ 3-4/एकड़ लगाए | 
  • जिन किसानों की टमाटर, हरी मिर्च, बैंगन व अगेती फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मद्देनजर रखते हुए रोपाई (ऊथली क्यारियों या मेंड़ों) पर करें।
  • इस मौसम में किसान मूली (पूसा चेतकी), पालक (पूसा भारती, आलग्रीन), चौलाई (पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण) आदि फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार हो तो बुवाई ऊंची मेंड़ों पर कर सकते हैं। प्रमाणित या उन्नत बीज से बुवाई करें।
  • कद्दूवर्गीय एवं अन्य सब्जियों में मघुमक्खियों का बडा योगदान है क्योंकि, ये परागण में सहायता करती है इसलिए मघुमक्खियों को खेत में रखें। कीड़ों एवं बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें, कृषि ज्ञान केन्द्र से सम्पर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें।
  • इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें। यदि फसलों व सब्जियों में सफ़ेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मि. ली./3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़­काव आसमान साफ होने पर करें।
  • किसान प्रकाश प्रपंच (Light Trap) का भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बरतन में पानी और कीटनाशक मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जायेंगें। इस प्रपंच से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा।
सलाहकार समिति के वैज्ञानिक -डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग), डा.प्र. कृष्णन (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग), डा.देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग), डा.बी.एस.तोमर (संयुक्त निदेशक प्रसार (कार्यवाहक) एवं अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग), डा.जे.पी.एस. ड़बास (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट), डा.दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग), डा.पी.सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग), डा. सचिन सुरेश सुरोशे (प्रधान वैज्ञानिक, कीट विज्ञान संभाग)