अजोला एक अच्छा पशु आहार, जानिए अजोला उत्पादन की विधि और लाभ के बारे में
अजोला एक अच्छा पशु आहार, जानिए अजोला उत्पादन की विधि और लाभ के बारे में
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अजोला उत्पादन की विधि
  • कृत्रिम रूप से अजोला के उत्पादन हेतु 15-20 सें.मी. गहरे पानी के गड्ढे की आवश्यकता होती है।
  • गड्ढे का आकार 4 मीटर लंबा, 1.5 मीटर चौड़ा तथा 20 सेंमी. गहरा उपयुक्त होता है। इसके बाद गड्ढे की सतह पर प्लास्टिक शीट बिछा देते हैं, जिससे आसपास लगे पेड़ों की जड़ें गड्ढे में न जाएं। 
  • प्लास्टिक के लगे होने से गड्ढे में रिसाव द्वारा बाहर का पानी नहीं पहुंचता तथा गड्ढे का तापमान भी नियंत्रित रहता है। गड्ढे में प्लास्टिक शीट इस प्रकार से बिछानी चाहिए, जिससे उसमें परत न पड़े। 
  • लगभग 10-15 कि.ग्रा. छनी हुई मिट्टी समान रूप से पॉलीथीन के ऊपर डाल देते हैं। इसके बाद 5 कि.ग्रा. गोबर, 20 ग्राम अजोफर्ट या एस.एस.पी. का 10 लीटर पानी में घोल बनाते हैं तथा इस घोल को गढ्ढे में डालते हैं। इसके बाद और अधिक पानी को गड्ढे में डालते हैं जिससे पानी का स्तर 8 सें.मी. हो जाए। 
  • लगभग 1-2 कि.ग्रा. ताजा रोगमुक्त अजोला का बीज गड्ढे में डालते हैं। अजोला 7-10 दिनों में पूर्ण वृद्धि प्राप्त कर गड्ढे में भर जाता है। इस प्रकार लगभग 4 वर्ग मीटर के गड्ढे से 2 कि.ग्रा. अजोला प्रतिदिन प्राप्त कर सकते हैं। 
  • प्रत्येक 7 दिनों के अंतराल पर गोबर 2 कि.ग्रा., अजोफॉस 25 ग्राम, 20 ग्राम अजोफर्ट को 2 लीटर पानी में घोलकर गड्ढे में डालते रहना चाहिए, जिससे अजोला का उत्पादन अधिक एवं टिकाऊ बना रहता है।
अजोला का लाभ
  • अजोला को गाय, भैंस, मुर्गी, भेड़, बकरी बड़े चाव से खाते हैं और आसानी से पचाते हैं, जिसके फलस्वरूप दुग्ध उत्पादन में 10-15 प्रतिशत वृद्धि पायी गयी है एवं एक माह लगातार नियमित रूप से खिलाने से बकरी, शूकर, मुर्गी के वजन में लगभग 25-30 प्रतिशत तक वृद्धि पायी गयी है।
  • अजोला का प्रयोग नील हरित शैवाल (साइनोबैक्टीरिया) के साथ धान के खेत में करने से धान के उत्पादन तथा उत्पादकता में 25-30 प्रतिशत की वृद्धि पायी गयी है।
  • इसके साथ-साथ अजोला की उत्पादन विधि इतनी आसान व सरल है कि घर की महिलायें भी इसका उत्पादन कर सकती हैं । गोपशुओं एवं छोटे जानवरों जैसे बकरी, मुर्गी, बत्तख, शूकर के लिए इसका उपयोग कर कम समय में उनका औसत वजन बढ़ाकर अच्छी आमदनी की प्राप्ति कर सकते हैं। 
  • धान के खेत में अजोला का प्रयोग एक जैविक खाद के रूप में पाया गया है, जिसके फलस्वरूप मृदा में जैविक कार्बन की वृद्धि हुई एवं मिट्टी की उर्वरता बढ़ी है। यह कृषि को दीर्घकालीन एवं शुद्ध वातावरण बनाने में सहायक सिद्ध हुआ है।