वर्तमान मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की कृषि सलाह
वर्तमान मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की कृषि सलाह
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली के कृषि वैज्ञानिकों ने मौसम को देखते हुए किसानों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी की है, वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को सलाह है की किसी प्रकार का छिड़काव ना करें तथा खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरियों में उचित प्रबंधन रखे। दलहनी फसलों तथा सब्जी नर्सरियों में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।

वर्षा के पानी को इकट्ठा करने की करें व्यवस्था
वर्षा को ध्यान में रखते हुऐ किसानों को सलाह है कि वे अपने खेतो के किसी एक भाग में वर्षा के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें जिसका उपयोग वर्षा न आने के दौरान फसलों की उचित समय पर सिंचाई के लिए कर सकते है।

तैयार खेतों में शुरू करें धान की रोपाई 
धान की नर्सरी यदि 20-25 दिन की हो गई हो तो तैयार खेतों में धान की रोपाई शुरू करें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखें। उर्वरकों में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट/हैक्टर की दर से डाले, तथा नील हरित शैवाल एक पेकेट/एकड़ का प्रयोग उन्ही खेतो में करें जहाँ पानी खड़ा रहता हो, ताकि मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढाई जा सकें। धान के खेतों की मेंडो को मजबूत बनाये। जिससे आने वाले दिनों में वर्षा का ज्यादा से ज्यादा पानी खेतों में संचित हो सके।

इस मौसम में कर सकते है मक्का की बुवाई
वर्तमान मौसम को ध्यान में रखते हूये किसान इस सप्ताह मक्का की बुवाई मेढ़ों पर करें। संकर किस्में ए एच-421 व ए एच-58 तथा उन्नत किस्में पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4 की बुवाई शुरु कर सकते है। बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/ हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें।
यह मौसम बेबी कार्न की किस्म एच एम-4 तथा स्वीट कार्न की बुवाई के लिए उत्तम है।

बाजरे और ज्वार की उन्नत किस्मों का चयन कर शीघ्र शुरू करें बुवाई
मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि बाजरे (किस्में-संकर बाजरा पूसा-605, संकर बाजरा पूसा-415, संकुल बाजरा पूसा-383, एच.एस.वी-67 अथवा अन्य संकर किस्मों) की बुवाई शीघ्र शुरू करें। बीज को उपचारित करना आवश्यक है विशेष रूप से अरगट रोग के रोकथाम के लिए 10 % नमक के घोल में बीजों को भिगो दें तथा ऊपर आये हुए खराब व हल्के बीजों को निकालकर फेंक दें इसके उपरांत बीजों को थीरम या बावस्टिन दवाई 2.0 ग्राम/किलोग्राम की दर से उपचारित करे ताकि बीज जनित रोग खत्म हो जाय़ॆ।
यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए उपयुक्त हैं अतः किसान पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य सकंर किस्मों की बुवाई करें बीज की मात्रा 40 किलोग्राम/हैक्टर रखें । लोबिया की बुवाई का भी यह उपयुक्त समय है।
इस मौसम में किसान ग्वार(पूसा नव बहार, दुर्गा बहार), मूली (पूसा चेतकी), लोबिया(पूसा सुकोमल), सेम (पूसा सेम 2, पूसा सेम 3), पालक (पूसा भारती), चौलाई (पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण ) आदि फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार हो तो बुवाई कर सकते हैं। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।

सभी फसलों में खरपतवारों का नियंत्रण करें
खरीफ की सभी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों का नियंत्रण करें। इससे खरपतवारों द्वारा फसलों को कम हानि होती है तथा जल की बचत होती है और जड़ों का विकास अच्छा होता है।

इस मौसम में सब्जियों की फसल की करें देखभाल
इस मौसम में कद्दूवर्गीय सब्जियों जैसे लौकी (उन्नत किस्में पूसा नवीन,पूसा समृद्वि) करेला (पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी), सीताफल (पूसा विश्वास, पूसा विकास), (तोरई की पूसा स्नेहा) किस्मों की बुवाई कर मचान पर चढ़ाऐं।
इस मौसम में भिंडी, मिर्च तथा बेलवाली फसल में माईट, जैसिड और होपर की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक कीट पाये जाने पर इमिडाक्लोप्रिड़8 SC @ 0.5  मि.ली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें ।

फसलों में खाद की मात्रा का रखे विशेष ध्यान
इस मौसम में फलों के नऐ बाग लगाने वाले गड्डों में गोबर की खाद मिलाकर 5.0 मि.ली. क्लोरपाईरिफाँस एक लीटर पानी में मिलाकर गड्डों में ड़ालकर गड्डों को पानी से भर दे ताकि दीमक तथा सफेद लट से बचाव हो सके। पौधे किसी प्रमाणित स्रोत से खरीदकर रोपाई करें।
देशी खाद (सड़ी-गली गोबर की खाद, कम्पोस्ट) का अधिकाधिक प्रयोग करें ताकि भूमि की जल धारण क्षमता और पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ सके। मृदा जाचँ के उपरांत उवर्रको की संतुलित मात्रा का उपयोग करें, खासतौर पर पोटाश की मात्रा बढ़ाएं ताकि फसल की सूखे से लड़ने की क्षमता बढ़ सके। वर्षा आधारित एवं बारानी क्षेत्रों में भूमि मे नमी संचयन के लिए पलवार(मलचिंग) का प्रयोग करना लाभदायक होगा।