मानसून ने दी दस्तक, खरीफ फसलों की बोवनी में जुटे किसान पहले कर लें किस्म और बीज अंकुरण की जांच
मानसून ने दी दस्तक, खरीफ फसलों की बोवनी में जुटे किसान पहले कर लें किस्म और बीज अंकुरण की जांच
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Agriculture News: मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में भी मानसून ने जोरदार दस्तक दे दी है। महाराष्ट्र में मानसून की मेहरबानी देखी जा रही है। राजधानी मुंबई में झमाझम बारिश हो रही है। यहां तापमान में भी काफी गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में भी मानसून ने जोरदार दस्तक दे दी है। राजधानी भोपाल, इंदौर, खंडवा, मंदसौर सहित कई जिलों में बारिश शुरू हो गई है। हालांकि शुरुआती बारिश के कारण अभी उमस भी महसूस की जा रही है।

मानसून की हलचल के बीच खरीफ सीजन की बोवनी को लेकर तैयारियों में किसान जुट गए हैं, प्रतिदिन किसान अपने खेतों में ट्रैक्टर के माध्यम से बोवनी को लेकर खेत तैयार करने में जुटे है।

खरीफ फसलों की बोनी के समय किसानों को निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खरीफ फसलों की बोनी हेतु पर्याप्त वर्षा लगभग 3 से 4 इंच के करीब होनी चाहिए। वर्षा आगमन के बाद पर्याप्त वर्षा होने पर सोयाबीन यानी 3 से 4 इंच से अधिक वर्षा होने पर सोयाबीन की बुवाई का कार्य करना चाहिए। 

किसानों के पास जो बीज उपलब्ध हैं, उसे ही अंकुरण कर देखना चाहिए। अंकुरण कम होने पर बीजदर की मात्रा बढ़ाएं और अंकुर अच्छा होने पर मात्रा कम कर बोवनी करें। खरीफ फसल को लेकर सल्फर खाद यानी सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग किसानों को करना चाहिए, इसमें 12 फीसदी सल्फर होता है। इसको डालने से दाना चमकीला ओर फसल की ग्रोथ भी अच्छी होती है।

बीज के अंकुरण परीक्षण के लिए 100 दाने लेकर गीले टाट के बोरे या अखबार में रखकर घर पर ही किसान बीज की औसत अंकुरण क्षमता ज्ञात कर सकते हैं।
सोयाबीन को बोने से पहले अंकुरण परीक्षण कर ले 70 से कम अंकुरण प्रतिशत वाले सोयाबीन को बोने के काम में नहीं ले।

जरूरी है, तो बीज दर बढ़ाकर बोये। सोयाबीन बीज में , बाविस्टन, विटावेक्स में से किसी दवाई की मात्रा 2.5 ग्रामध्किलो बीज में ट्रायकोडर्मा विरडी 5 ग्राम किलोग्राम बीज में मिलाकर बीज का उपचार कर बुवाई करें, उपचारिक बीज पर 5 से 10 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से राइजोबियम कल्चर का उपयोग करें। बोनी सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से करें।

सोयाबीन की जे. एस 20-69, जे. एस 20-34, जे. एस 95-60, आर. व्ही. एस 2001-4, जे. एस 93-05 उन्नत किस्मों का बीज, बीज निगम एवं नेशनल सीड कॉरपोरेशन या पंजीकृत बीज विक्रेताओं से क्रय कर ही बोनी करें।

इस  बात का विशेष ध्यान रखे उर्वरक और बीज को मिलाकर बुवाई नहीं करें। अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रेज बेज्ड प्लांटर से सोयाबीन की बोनी करें। सोयाबीन में उर्वरक की अनुशंसित मात्रा 20 किलो ग्राम नत्रजन, 80 किलो ग्राम फास्फोरस, 40 किलो ग्राम पोटास एंव 20 किलो ग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। अतंरवर्ती फसलों की बोनी करें। जिसमें सोयाबीन की चार लाईन के बाद दो लाईन ज्वार, मक्का या अरहर की लें। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें, फसलों में पानी भरा नहीं रहने दें।

फसल की प्रारंभिक अवस्था में कीट नियंत्रण हेतु फेरामेन ट्रेप, प्रकाश प्रपंच या नीम आईल का उपयोग करें। खरपतवार नाशी एवं कीटनाशी को आपस में नहीं मिलाएं। सेयाबीन की बुआई का उचित समय 25 जून से 7 जुलाई तक होता है, इस अवधि में किसान भाई बुवाई करें।