गर्मी के दिनों में दुधारू और घरेलु पशुओं का रखें विशेष ध्यान, और बचायें गर्मी के दुष्प्रभाव से
गर्मी के दिनों में दुधारू और घरेलु पशुओं का रखें विशेष ध्यान, और बचायें गर्मी के दुष्प्रभाव से
Android-app-on-Google-Play

गर्मी के दिनों में हीट स्ट्रेस के कारण पशुओं के शरीर का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री फेरनेहाइट तक बढ़ जाता है जिससे पशुओं को अपने शरीर का तापमान सामान्य बनाएं रखने में काफी दिक्कतें आती हैं तथा पशुओं के शरीर में गर्मी के लक्षण दिखने लगते हैं जिससे पशु पसीने के रूप में गर्मी को बाहर निकालकर शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखने की कोशिश करते हैं। शरीर का तापमान बदने से पशुओं के खनपान में कमी, दुग्ध उत्पादन में 10 से 25 फीसदी की गिरावट, दूध में वसा के प्रतिशत में कमी, प्रजनन क्षमता में कमी, प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। गर्मियों में पशुओं को स्वास्थ्य रखने एवं उनके उत्पादन के स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए पशुओं की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
बढ़ती गर्मी के साथ पशुपालकों को अपने पशुओं की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहने की अति आवश्यकता है। बदलते मौसम में पशुओं के रहन-सहन के साथ-साथ चारे पानी पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए नहीं तो पशु की उत्पादन छमता बुरी तरह प्रभावित होती है। इन उपायों को अपनाकर घरेलु/दुधारू पशुओ की देखभाल एवं नवजात पशुओं की देखभाल उचित तरीके से की जा सकती है ।

पशुओं पर गर्मी का प्रभाव
ज्यादा गर्मी बढ़ने पर पशुओं के शरीर में पानी के साथ साथ अन्य खनिज पदार्थों की कमी होने लगती है। दुधारू पशुओं पर गर्मी का सीधा प्रभाव पड़ने पर दूध का उत्पादन कम होने लगता है। गर्मी के कारण पशुओं में बीमारी से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है जिससे पशु शारीरिक तौर से कमजोर हो जाता है। अपने शरीर के तापमान को गर्मी में भी सामान्य रखने के लिए पशुओं की शारीरिक क्रियाओं में कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं।
  • गर्मी के मौसम में पशुओं की स्वशन गति बढ़ जाती है, पशु हांपने लगते हैं, उनके मुंह से लार गिरने लगती है। श्वसन क्रिया बढ़ने तथा पसीना अधिक आने से शरीर में पानी तथा आयन की कमी हो जाती है, जिससे पशुओं में पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है।
  • पशुओं के रियुमन की फर्मेन्टेशन क्रिया में बदलाव आ जाता है जिससे की पाचन क्रिया प्रभावित होती है और खाने की खुराक लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है जिसके कारण उत्पादन क्षमता तथा कार्य क्षमता में कमी आ जाती है।
जानिए पशुओं का रखरखाव कैसे करें 
पशुओं को छायादार स्थान पर बांधना चाहिए। पशुओ के नीचे रेत डालने के बाद उस पर अच्छी तरह पानी का छिड़काव करना चाहिए। यदि पशु को कमरे या टीन शेड में बांधकर रखा जाता है तो इस बात का विशेष ध्यान रखे की वह स्थान हवादार होना चाहिए। पक्की छत के मकान में वेंटीलेटर लगे होने चाहिए। ज्यादा गर्मी पड़ने पर पशुओ को 2 से 3 बार ठण्डे पानी से नहला देवें। पशु आवास गृह में आवश्यकता से अधिक पशुओ को नही बांघे तथा रात्रि में पशुओ को खुले स्थान पर बांधे। सीधे धूप और लू से पशुओं को बचाने के लिए पशु शाला के मुख्य द्वार पर खस या जुट के बोरे का पर्दा लगाना चाहिए।

संक्रमण से कैसे करें बचाव
पशुओ में गर्मी के दिनों में संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलता है, जिसका बचाव करने के लिए पशुओ के चारा खाने वाले स्थान की नियमित रूप से साफ सफाई कर धुलाई करनी चाहिए। बासी चारा खाने से पशुओं के पेट में कई तरह की घातक बीमारिया हो सकती है। पश को बाधने वाले स्थान के चारों ओर चूने का छिड़काव कर संक्रमण से बचाया जा सकता है।

पशुओं को दे संतुलित आहार
गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं को दाने की उचित मात्रा देते रहे। दाने में गेहूँ, जई, चने का छिलका, गेहूँ का चोकर, पीसा नमक, गुड़ की शक्कर मिलाकर देने से पशुओं में दूध उत्पादन ठीक रहता है, तथा पशु स्वस्थ रहते हैं। कार्बोहाइड्रेट की अधिकता वाले खाघ `पदार्थ जैसे-आटा, रोटी, चावल आदि पशुओ को नहीं खिलाना चाहिए। पशुओं के संतुलित आहार में डेन एवं चारे का अनुपात 40 और 60 का रखना चाहिए। साथ ही वयस्क पशुओं को रोजाना 50-60 ग्राम एलेक्ट्रल एनर्जी तथा छोटे बच्चों को 10-15 ग्राम एलेक्ट्रल एनर्जी जरुर देना चाहिए।

गर्मी के मौसम में पशुओ को हरा चारा खिलाये 
गर्मी के मौसम में पशुओ को हरा चारा अधिक खिलाए, इसमें 70-90 प्रतिशत जल की मात्रा होती है। पशुओ को दिन में कम से कम तीन बार स्वच्छ पानी अवश्य पिलाएं। इसके अलावा पानी में नमक व आटा मिलाकर पिलाना भी अधिक उपयुक्त है। इससे अधिक समय तक पशु के शरीर में पानी की पूर्ति बनी रहती है। गर्मी के दिनों में पशु के चारे में एमिनो पावर और ग्रो बी-प्लेक्स मिलाकर देना लाभदायक रहता है। गर्मी के दबाव के कारण पशुओं के पाचन प्रणाली पर बुरा असर पड़ता है और भूख इस स्थिति से निपटने के लिए और पशुओ की खुराक बढ़ाने के लिए पशुओं को नियमित रूप से ग्रोलिव फोर्ट देना चाहिए।

खनिज लवण की पूर्ति कैसे करें 
पशुओ में नमक की पूर्ति करने के लिए पशु बांधने के स्थान पर साबुत सेंधा नमक का बड़ा टुकड़ा अवश्य रखें तथा समय समय पर पशुओ को कैल्शियम की उचित खुराक देते रहें। कैल्शियम की कमी से पशुओं में कई बीमारियां जन्म लेती हैं।

अतः पशु पालकों को अपने पशुओं को गर्मी की दुष्प्रभाव से बचने में इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए :
  • पशुओं को दिन के समय सीधी धूप से बचाएं, तथा उन्हें बाहर चराने के लिए सुबह-सुबह ही ले जाएं तथा दोपहर से पहले वापस शेड में ले आएं।
  • पशुओं को हमेशा छायादार और हवादार स्थान पर बांधें। 
  • पशु शेड में ठंडी हवा की व्यवस्था करें जिसके लिए कूलर/पंखों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • पशुओं को समय-समय पर पीने का पानी उपलब्ध कराएँ। 
  • पशुओं को यादा से ज्यादा हरा चारा खिलाएं, एवं पशुओं को पौष्टिक एवं संतुलित आहार दें।