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कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 10 अगस्त, 2022 तक के लिए

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कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 10 अगस्त, 2022 तक के लिए
कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 10 अगस्त, 2022 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।
  • वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को सलाह है की किसी प्रकार का छिड़काव ना करें तथा खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरियों में उचित प्रबंधन रखे। दलहनी फसलों तथा सब्जी नर्सरियों में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
  • धान की फसल मे यदि पौधों का रंग पीला पड रहा हो तथा पौधे की ऊपरी पत्तियाँ पीली और नीचे की हरी हो तो इसके लिए जिंक सल्फेट(हेप्टा हाइडेट्र 21%) 0 किग्रा/हैक्टर की दर से 300 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें।
  • किसानों को सलाह है कि बाजरा, मक्का, सोयाबीन व सब्जियों में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई का कार्य शीघ्र करें तथा सभी फसलों में सफ़ेद मक्खी तथा चूसक कीटों की नियमित निगरानी करें।
  • यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए उप्युक्त हैं अतः किसान भाई पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य सकंर किस्मों की बुवाई करें। बीज की मात्रा 40 किलोग्राम/हैक्टर रखें ।
  • जिन किसानों की टमाटर, हरी मिर्च, बैंगन व अगेती फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मध्यनजर रखते हुए रोपाई मेंडों (ऊथली क्यारियों) पर करें तथा जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें।
  • इस मौसम में किसान ग्वार (पूसा नव बहार, दुर्गा बहार), मूली (पूसा चेतकी), लोबिया (पूसा कोमल), भिंडी (पूसा ए-4), सेम (पूसा सेम 2, पूसा सेम 3), पालक (पूसा भारती), चौलाई (पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण)आदि फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार हो तो बुवाई ऊँची मेंड़ों पर कर सकते है। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें।
  • किसान वर्षाकालीन प्याज की पौध की रोपाई इस समय कर सकते है। जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें। 
  • इस मौसम में किसान स्वीट कोर्न (माधुरी, विन ऑरेंज) तथा बेबी कोर्न (एच एम-4) की बुवाई कर सकते है। जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें।
  • कद्दूवर्गीय एवं अन्य सब्जियों में मघुमक्खियों का बडा योगदान है क्योंकि, वे परांगण में सहायता करती है इसलिए जितना संभव हो मघुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें। कीड़ों एवं बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें, कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें।
  • किसान प्रकाश प्रपंश (Light Trap) का भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बरतन में पानी और थोडा कीटनाशक दवाई मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जायेंगें। इस प्रपंश से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा।
  • गेदें के फूलों की (पूसा नारंगी) पौध छायादार जगह पर तैयार करें तथा जल निकास का उचित प्रबन्ध रखे।
  • फलों (आम, नीबू तथा अमरुद) के नऐ बाग लगाने के लिए अच्छी गुणवत्ता के पौधों का प्रबन्ध करके इनकी रोपाई शीघ्र करें।
स्त्रोत : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली
सलाहकार समिति के वैज्ञानिक   
डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.प्र. कृष्णन (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)  
डा.देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.बी.एस.तोमर (संयुक्त निदेशक प्रसार (कार्यवाहक) एवं अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)
डा.जे.पी.एस. ड़बास (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)
डा.दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)
डा.पी.सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)
डा. सचिन सुरेश सुरोशे (प्रधान वैज्ञानिक, कीट विज्ञान संभाग)