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जनवरी माह के आवश्यक कृषि कार्य, जानिए सब्जी फसलों में देखभाल
 जनवरी माह के आवश्यक कृषि कार्य, जानिए सब्जी फसलों में देखभाल

जनवरी का महीना रबी फसलों और सब्जीवर्गीय फसलों में अधिक पैदावार लेने के लिए एवं कृषि कार्यो की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस महीने अधिकत्तर फसलें अपने क्रांतिक बढ़वार की अवस्था में होती है। रबी फसलों का उत्पादन इस समय उचित जल, पोषकतत्व एवं खरपतवार प्रबंधन पर ही निर्भर करता  है। तापमान में तीव्र गिरावट होने से कोहरे, पाला एवं ओले की सम्भावना भी रहती है। फसलों को इन कुप्रभावों से बचाने के लिए तथा भरपूर उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्नत सस्य क्रियाओं को अपनाना चाहिए। 

इस समय अनाज वाली फसलों में प्रमुख गेहूं, जौ, दलहनी फसलों में चना, मसूर, मटर प्रमुख फसलें अपनी बढ़वार की अवस्था पर होती है। साथ ही सब्जी फसलों में गोभी वर्गीय, आलू, प्याज, लहसुन, गाजर, शलजम प्रमुख है। फलदार बागानों में भी इस माह में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है जिससे अच्छा फलन हो। इस माह में कम तापमान, कोहरे, बादल और तेज धुप न होने के कारण कई प्रकार की व्याधियों से फसलों को बचाना आवश्यक होता है।  

सब्जी फसलों में देखभाल

  • इस माह में रबी मौसम की प्रमुख सब्जी फसलें गोभीवर्गीय, आलू, टमाटर, मिर्ची, गाजर, मेथी आदि हैं। इस माह में सिंचाई प्रबंधन के साथ रोग और कीटों की रोकथाम और पोषक तत्व प्रबन्धन अति आवश्यक हो जाता है सब्जियों में आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई करते रहें।
  • प्याज की रोपाई इस माह में की जाती है, इसकी रोपाई के लिए खेत को भली प्रकार से तैयार करें। लहसुन की फसल में आवश्यकतानुसार समय पर सिंचाई तथा गुड़ाई करते रहें। लहसुन में नत्रजन की दूसरी टाप ड्रेसिंग बुआई के 50-60 दिन बाद 74 किग्रा यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करे। जिस खेत में प्याज की रोपाई करना चाहते हों वहां रोपाई से 15-20 दिन पहले 20-25 टन गोबर की सड़ी हुई खाद डालें व रोपाई के समय 50 किग्रा० नत्रजन, 50 किग्रा० फॉस्फोरस एवं 80-100 किग्रा० पोटाश मिट्टी में मिलाए । तैयार खेत में लाईन से लाईन एवं पौधें से पौधें के बीच की दूरी 15X10 से०मी० रखते हुये 2 सें०मी० की गहराई पर रोपाई कर दें। रोपाई के समय खेत में नमी बनाये रखें एवं 3-4 बार हल्की सिंचाई करें। प्याज की रोपाई का काम भी किसान भाई इस माह के प्रथम सप्ताह तक पूरी कर लें। लहसुन एवं प्याज़ में कीटों के अधिक प्रकोप से बचने के लिए इमिडाक्लोरपिड कीटनाशी की 1 मिली मात्रा प्रति 4 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करना चाहिए। लम्बे समय तक धूप न निकलने एवं कोहरे की स्थिति में फफूंन्दजनित बीमारी के लिए मेन्कोजेब का 0.2 प्रतिशत घोल बना कर 15-20 दिनों के अंतराल पर छिडकाव करना चाहिए ।
  • इस माह में फूलगोभी की अगेती किस्मों की कटाई भी होती है और साथ-साथ तैयार पौध को भी लगाया जा सकता है।
  • इस माह में बोई गयी शिमला मिर्च मई में कटाई के लिए तैयार हो जाती है
  • नवम्बर माह में रोपी गयी टमाटर की उन्नत किस्मों में प्रति हेक्टेयर 88 कि ग्रा यूरिया (40 कि ग्रा नत्रजन) व संकर वाली किस्मों के लिए 130 कि ग्रा यूरिया (55–60 कि ग्रा नत्रजन) की प्रथम टाप ड्रेसिग के 20-25 दिन बाद दूसरी टाप ड्रेसिंग करें। टमाटर की रोपाई 60X45 या 60X60 सेमी की दूरी पर करें। टमाटर में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर 1.0 किग्रा स्टाम्प की दर से रोपाई के दो दिन बाद प्रयोग करे।
  • गाजर की पूसा रुधिर और पूसा आसिता किस्में सही समय पर बुवाई करने पर इस माह में उपलब्ध होने लगाती है। इसके अतिरिक्त पूसा यम्दागिनी और पूसा नयनज्योति गाजर की किस्मे इस महीने में लगाई जा सकती हैं जोकि अप्रैल महीने तक अच्छा उत्पादन देती हैं। मेथी, पालक, एवं धनियाँ की पत्तियों की कटाई कर बाजार भेजें। यदि इनसे बीज लेना हो तो पत्तियाँ काटना बन्द कर दें तथा फसल में 25 किग्रा यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से टाप ड्रेसिंग करें।