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जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और मौसम केंद्र भोपाल द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया मौसम आधारित साप्ताहिक कृषि परामर्श
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और मौसम केंद्र भोपाल द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया मौसम आधारित साप्ताहिक कृषि परामर्श

मौसम आधारित साप्ताहिक कृषि परामर्श

सामान्य सलाह
  • आने वाले पाँच दिनों में जबलपुर जिले में आसमान साफ रहने एवं तापमान घटने से ठंड बढ़ने की सम्भावना है।

मटर (वनस्पतिक अवस्था)
  • खेतों में कीट के लिए निगरानी करें।
  • जड़ सड़न से बचाव हेतु पायथियम या रिडोमिल नामक दवा 300-400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

सरसों
  • समय पर बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण का कार्य करें। दिन एवं रात के तापमान में अंतराल कमी होने से रतुआ रोग के लक्षण की निगरानी करें।

गेहूं
  • गेहूँ की उन्नत किस्मों की बुआई हेतु: खेत की तैयारी करें। 
  • सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने पर गेहूँ की बुवाई बीजोपचार उपरांत करे। किसान भाई, गेहूँ की उन्नत किस्में कुछ इस प्रकार है:-
  • अ: पछेती बोनी एवं शीघ्र पकने वाली किस्में- जे. 1203, डब्ल्यू 3336 एच. डी. 2932 जे. डब्ल्यू 1534, जे. डब्ल्यू 1202 जे. डब्ल्यू
  • ब. 1-2 पानी वाली किस्में- जे. डब्ल्यू 3173, जे. डब्ल्यू 3020.
  • समय पर बोए गये गेहूं की फसल में सी. आर. आई अवस्था (20 से 25 दिन) में सिंचाई करें।
  • अंकुरण के 20 से 25 दिन में खपतवारनशी सल्फोसल्फयूरान 25 ग्रा एवं मेटसल्फयूरान 10 ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें अथवा क्लोडिनोफास प्रोपारगिल 60 ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। 
  • तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि ये पछती गेहूँ की बुवाई अतिशीघ्र करें बुवाई से पूर्व बीजों को बाविस्टिन 20 ग्राम प्रति कि. ग्रा. बीज की दर से उपचारित करे। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो किसान क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) @ 50 लीटर / हेक्टर की दर से पलेवा के साथ या सूखे में छिड़क दें।

चना
  • चने की फसल में निदाई गुड़ई का कार्य करें वातावरण में परिवर्तन के आधार पर कीट की निगरानी करें। 
  • कतार में बोई गई चने की फसल में अन्तः कर्पण किया या व्हील हो चलाकर खरपतवारों को नष्ट करे एवं जड़ों में वायु का संचार बढ़ायें। कीटों का निरीक्षण करते रहे। 

फलदार वृक्ष
  • वृक्षों के आसपास नीदा नियंत्रण करे एवं अनुशासित खाद एवं उर्वरकों का उपयोग करें।

सब्जियां
  • वर्तमान मौसम प्याज की बुवाई के लिए अनुकूल है। बीज दर 10 कि. ग्रा. प्रति हेक्टर बुवाई से पहले बीजों को केप्टान @ 5 ग्राम प्रति कि. ग्रा. बीज की दर से उपचार अवश्य करें। गोबर की खाद का अवश्य उपयोग करे।
  • इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें। यदि फसलो व सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मि. ली. प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर सुबह या शाम को करें।
  • विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें।
  •  यदि प्याज की रोपाई करना हो तो पहले अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद तथा पोटास उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें। 
  • टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है अतः फसल की नियमित रूप से निगरानी करें लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डिज़ीम 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  •  जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बन्दगोभी या अन्य मौसमी सब्जियों की पौधशाला तैयार है, उनके पौधों की तैयारी कर सकते हैं।
  • गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कोटों की निरंतर निगरानी करते रहें यदि संख्या अधिक हो तो बी. टी. @ 10 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पेनोसेड दवा @1.0 एम. एल. / 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 

पशु एवं मुर्गी पालन
  • जानवरों को हरे चारे हेतु वरसीम की बुवाई करें। 
  • आसमान में बादल रहने पर मुर्गी घरों में प्रकाश की अवधि बढ़ाएँ ताकि अण्डा उत्पादन में गिरावट न हो।