जिले में खेती योग्य भूमि का बड़ा हिस्सा बागों के अधीन है, लेकिन कृषि गतिविधि जिले की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। इस व्यवसाय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल आबादी के बड़े हिस्से के लिए भोजन और आजीविका प्रदान करने के लिए कृषि का अत्यधिक महत्व है। कृषि को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया गया है, लेकिन संभावित 3 कृषि प्राप्त करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, लेकिन हमारी कृषि भूमि से संभावित उपज प्राप्त करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जिले में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें चावल, मक्का, दालें, चारा, सब्जियां, तिलहन और आलू हैं। विलो के रोपण के अलावा, चिनार और कीकर भी अर्थव्यवस्था का छोटा हिस्सा है। भौगोलिक विशेषताओं और जलवायु स्थिरता को देखते हुए, जिले में औषधीय पौधों के प्रसार और आलू के बीज कंदों के उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं।

सेब की विश्व में 7500 से अधिक नस्लें पाई जाती हैं। मतलब साफ है अगर एक दिन में एक सेब का स्वाद आप चखेंगे तो तकरीबन 25 साल खर्च हो जाएंगे। सेब में औसतन 10 बीज पाए जाते हैं।

कश्मीर में सेब के बागान और सेब की मिठास पूरे देश में मशहूर है। इसकी मिठास का कोई जवाब नहीं है। यहीं कारण है कि कश्मीर के सेब की बाजार में अलग मांग होती है। जानकारी के मुताबिक कश्मीर में लगभग 18 लाख टन सेब पैदा होता है और यह पूरे देश की कुल पैदावार का 75 फीसदी है। जम्मू और कश्मीर में बागवानी, विशेषतौर पर सेब के बाग आमदनी का एक बड़ा जरिया हैं।जम्मू और कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है।

जानकारी के मुताबिक जम्मू और कश्मीर में सेब की बाग़बानी 164,742 हेक्टेयर भूमि पर की जाती है जिससे वर्ष 2018-19 में 1.8 मिलियन (18,82,319) मीट्रिक टन से ज्यादा सेब का उत्पादन हुआ । जम्मू और कश्मीर सरकार के बागवानी विभाग के अनुसार जम्मू-कश्मीर में बागवानी (सेब सहित) 3.3 मिलियन लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है। 

सोपोर, बारामुला, पुलवामा, शोपियां व कुलगाम सेब उत्‍पादन के बड़े केंद्र हैं। दिसंबर की शुरुआत तक वादी से सेब निर्यात होता है। इसके अतिरिक्त, राज्य (अब केंद्र शासित प्रदेश) के बाहर से आने वाले मज़दूरों को पूरी कश्मीर घाटी में फैले बागों में रोजगार मिलता है। जम्मू और कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है।  कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सेब की कई नस्लें पैदा की जाती हैं।