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आदिवासी बहुल्य जिले में शायद ही कोई ऐसा ग्रामीण होगा जिनके पूर्वजों ने मोटे अनाजों की श्रेणी में शामिल खाद्यान्न कोदो कुटकी को अपने भोजन में शामिल न किया हो। आज यही कोदो कुटकी दूरस्थ अंचल के ग्रामीण इलाकों से निकलकर महानगरों के ब्रांड बाजार मे अपनी पहचान बना चुका है। इक्कीसवीं सदी में कोदो-कुटकी जैसे मोटे अनाजों की बाजार में भरपूर मांग है। पूरी दुनिया भारत की जीवनशैली एवं खाद्यान्नों की तरफ लौट रही है। यही कारण है कि जिले के खाद्यान्न में प्रमुख माने जाने वाले कोदो कुटकी जैसे स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने एवं बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इसे एक जिला- एक उत्पाद कार्यक्रम में शामिल किया गया है।

कोदो कुटकी को ब्रांड के रूप में विकसित करने के लिए जिले के मोचा ग्राम पंचायत स्थित परिसर में कोदो-कुटकी तिहार की स्थापना की गई है। वर्ष 2023 को मोटे अनाज के वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। जिले के किसानों को कोदो-कुटकी एवं मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए तैयार किया जा रहा है। साथ ही किसानों को इन अनाजों की प्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक की ट्रेनिंग देने की तैयारी की जा रही है। आगामी वर्षों में कोदो-कुटकी एवं मोटे अनाजों की अच्छी कीमत मिलने की भरपूर संभावना है।

नेशनल फेयर में बनाई पहचान
बैंगलोर में आयोजित नेशनल उद्यानिकी फेयर 2021 में मंडला जिले में बनने वाले कोदो-कुटकी के कुकीज मेले में आकर्षण का केंद्र बनी रही और मेले में इसकी जबर्दस्त डिमांड रही। जिले की प्रमुख फसल में से एक और पोषक तत्वों से परिपूर्ण कोदो-कुटकी के कुकीज की इस मेले में खासी मांग रही। यही कारण है कि नेशनल उद्यानिकी फेयर 2021 में मंडला जिले को द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत मंडला जिले से कोदो-कुदकी की फसल को नामांकित भी किया गया है।

पसंद की वजह ये
दरअसल कोदो-कुटकी से बने उत्पाद बड़े शहरों में खासे लोकप्रिय हो रहे हैं। कोदो-कुटकी के उत्पादों को डायबिटीज एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए उत्तम आहार माना गया है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मंडला एवं कृषि विज्ञान केन्द्र मंडला द्वारा नेशनल उद्यानिकी फेयर 2021 बेंगलोर में प्रदर्शनी लगाई गई थी। विकासखण्ड बिछिया के ग्राम- कोको तेजस्विनी महिला समूह द्वारा कोदो-कुटकी के कुकीज का स्टॉल लगाया गया था। यहां आने वाले लोगों ने कोदो-कुटकी के उत्पादों के बारे में उत्साहपूर्वक जानकारी लेते हुए इसकी अच्छी खासी मात्रा में खरीदी की। कोदो-कुटकी की खेती कम लागत एवं बिना खाद, दवाई एवं सिंचाई के प्राकृतिक रूप से की जाती है। इसमें समस्त प्रकार के पोषक तत्व मौजूद रहते हैं जो आयुर्वेदिक दवाओं का भी काम करते हैं।