product_image


महाराजगंज भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय महाराजगंज है। यह भारत-नेपाल सीमा के समीप स्थित है। इसका जिला मुख्यालय महाराजगंज शहर स्थित है। पहले इस जगह को 'कारापथ' के नाम से जाना जाता था। 

कालानमक चावल भारत में पैदा होने वाले चावलों में एक बेहतरीन गुणवत्ता और सुगंध वाला चावल है। इसकी भूसी का रंग काला होने के कारण इसका नाम काला नमक पड़ा। हिमालय की तराई में स्थित पूर्वी उत्तर प्रदेश, भारत,में चावल की यह किस्म अत्यधिक लोकप्रिय है और यह उत्तर प्रदेश का सुगंधित काला मोती ( सेन्टेड ब्लैक पर्ल) के रूप में जाना जाता है। इसका उल्लेख संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा प्रकाशित पुस्तक " विश्व के विशेषतायुक्त चावल" ( स्पेश्यालिटी राइस ऑव द वर्ल्ड) में भी किया गया है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

चावल (काला नमक वी.आर.) को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में चावल (काला नमक वी.आर.) के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

तराई में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसमें कालानमक की अपनी अलग ही पहचान है। जिले में 1.7 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद इसे और बढ़ावा मिलेगा।

काला नमक को इन्होंने दिलाई पहचान

काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए जाने-माने कृषि वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी 1997 से काम कर रहे हैं। यूनाइटेड नेशन के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) में चीफ टेक्निकल एडवाइजर के पद से रिटायर प्रो. चौधरी की कोशिशों की वजह से काला नमक की न सिर्फ चार नई वैराइटी आई हैं बल्कि पूर्वांचल के 11 जिलों को जीआई (Geographical Indication) टैग भी मिला है।

इनमें सिद्धार्थनगर, महराजगंज, गोरखपुर, संत कबीरनगर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, कुशीनगर, बस्ती और देवरिया शामिल हैं। ये जिले काला नमक चावल का उत्पादन और बिक्री दोनों कर सकते हैं। अन्य जिलों के लोग खाने के लिए उगा सकते हैं लेकिन काला नमक के नाम पर बिजनेस नहीं कर सकते।

जियोग्राफिकल इंडीकेशन का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिए किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण ही होती है।

Maharajganj जिले की प्रमुख फसलें