product_image
महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान और 'एक जिला, एक उत्पाद' योजना के तहत महू तहसील के कोडरिया गांव के प्रसिद्ध आलू वेफर्स को ब्रांडेड किया जाएगा ताकि इसका निर्यात किया जा सके। गांव के सूक्ष्म उत्पादकों को आवश्यक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।

जिले का एक गांव कोडरिया आलू वेफर्स के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है और आलू के चिप्स बनाने में 150 से अधिक सूक्ष्म उद्यमी शामिल हैं। महू क्षेत्र में उगाए जाने वाले आलू का अनोखा विक्रय बिंदु (यूएसपी) यह है कि इसमें कम चीनी होती है और यह लंबे समय तक कुरकुरा रहता है। यहां तक कि ब्रांडेड वेफर बनाने वाली कंपनियों के एजेंट भी यहां आलू खरीदने आते हैं। वेफर्स का निर्माण जनवरी में शुरू होता है और मार्च में समाप्त होता है।

भारत सरकार के 'आत्म निर्भर भारत अभियान" में इंदौर के आलू को नई पहचान मिलेगी। यहां आलू आधारित उद्योगों को बढ़ावा देकर उनसे बनने वाले खाद्य पदार्थों की इकाइयां लगाने के लिए शासन की तरफ से स्थानीय उद्यमियों को मदद की जाएंगी। सरकार ने एक जिला-एक उत्पाद के तहत इंदौर जिले में आलू की फसल का चयन किया है। जिले की महू तहसील में आलू की काफी खेती होती है। यहां के कोदरिया गांव में तो आलू के सैकड़ों छोटे-छोटे उद्योग लगे हैं। यहां आलू से पपड़ी और चिप्स बनाई जाती है। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने आलू आधारित उद्योगों को ही बढ़ावा देने की योजना बनाई है। 

इंदौर में उत्पादित होने वाली आलू की अनेक विशेषताएं है। जिले के महू क्षेत्र में उत्पादित होने वाली शुगर फ्री आलू की भारी मांग है। इस शुगर फ्री आलू का उपयोग चिप्स तथा अन्य उत्पाद बनाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसको देखते हुये इंदौर जिले में राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना एक जिला एक उत्पाद के तहत आलू का चयन किया गया है। 

योजना के अंतर्गत जहां एक ओर आलू की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे बनने वाले चिप्स और अन्य खाद्य उत्पादों के लिये तकनिकी और आर्थिक मदद किसानों और उद्यमियों को उपलब्ध कराई जा रही है।

योजना का क्रियान्वयन उद्यानिकी, उद्योग, सहाकरिता, कृषि, नाबार्ड, आदि के समन्वित प्रयासों के साथ किया जा रहा है। इंदौर की शुगर फ्री आलू से बनी हुई चिप्स तलने में लाल नहीं होती है, वह तलने के बाद सफेद ही रहती है।