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आलू (सोलनम ट्यूबरोसम) विश्व की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है। आलू भारत में उपोष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में उगाई जाने वाली एक समशीतोष्ण फसल है। आलू एक ऐसी फसल है जो हमेशा से 'गरीबों का दोस्त' रही है। देश में पिछले 300 से अधिक वर्षों से आलू की खेती की जा रही है। सब्जी के प्रयोजनों के लिए यह इस देश में सबसे लोकप्रिय फसलों में से एक बन गया है। आलू एक किफायती भोजन है; वे मानव आहार के लिए कम लागत वाली ऊर्जा का स्रोत प्रदान करते हैं। आलू स्टार्च, विटामिन विशेष रूप से सी और बी1 और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत हैं। इनमें 20.6 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 2.1 प्रतिशत प्रोटीन, 0.3 प्रतिशत वसा, 1.1 प्रतिशत कच्चा फाइबर और 0.9 प्रतिशत राख होता है। इनमें ल्यूसीन, ट्रिप्टोफेन और आइसोल्यूसीन आदि आवश्यक अमीनो एसिड भी अच्छी मात्रा में होते हैं।

आलू का उपयोग कई औद्योगिक उद्देश्यों जैसे स्टार्च और अल्कोहल के उत्पादन के लिए किया जाता है। आलू स्टार्च (फरीना) का उपयोग लॉन्ड्री में और कपड़ा मिलों में सूत को आकार देने के लिए किया जाता है। आलू का उपयोग डेक्सट्रिन और ग्लूकोज के उत्पादन के लिए भी किया जाता है। एक खाद्य उत्पाद के रूप में, आलू को 'आलू के चिप्स', 'कटा हुआ' या 'कटा हुआ आलू' जैसे सूखे उत्पादों में बदल दिया जाता है।

ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र आलू बीज उत्पादन के लिये आदर्श जलवायवीय परिस्थितियां  आलू बीज उत्पादन हेतु अत्यधिक उपयुक्त है। इस क्षेत्र की मृदा गठन में मृतिका दोमट से दोमट है। अधिकतम एवं न्यूनतम माध्य तापक्रम 18-34 डिग्री सेण्टीग्रेड तक रहता है एवं 5-20 डिग्री सेण्टीगेड तापक्रम आलू बीज उत्पादन हेतु अत्यधिक उपयुक्त है।

यह बहुत ही कम लोगों को ज्ञात होगा कि आलू का बीज ग्वालियर में तैयार होकर देश के सात राज्यों में अपनी धूम मचा रहा है। यह राज्य मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, उड़ीसा, बिहार हैं। ग्वालियर में आलू का बीज केन्द्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र महाराजपुरा ग्वालियर में तैयार होता है। भारत वर्ष में सिर्फ पांच केन्द्र शिमला, ग्वालियर, मोदीपुरम (मेरठ), जालंधर (पंजाब), पटना और कुफरी (शिमला) हैं। इन केन्द्रों पर आलू का उच्च स्तरीय बीज तैयार किया जाता है। ग्वालियर में प्रति वर्ष तीन हजार क्विंटल आलू का बीज प्रजनक द्वारा तैयार कर अन्य प्रदेशों में भेजा जा रहा है।

ग्वालियर का केन्द्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र सन् 1981 में मुरैना से स्थानांतरित होकर यहां आया था। यह केन्द्र पूरे देश में आलू के बीज की 50 से अधिक प्रजाति तैयार कर चुका है। मुख्यत: नई-नई प्रजाति का प्रजनक कार्य कुफरी (शिमला) में किया जाता है। ग्वालियर केन्द्र में छह प्रजाति के आलू के बीज तैयार किए जाते हैं, जिनमें कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी ज्योति, कुफरी सिन्दूरी, कुफरी चिपसोना-1, कुफरी चिपसोना-3 एवं कुफरी लवकार आदि प्रजातियां हैं।