product_image


मध्यप्रदेश में राज्य सरकार द्वारा 'एक जिला एक उत्पाद' परियोजना के तहत गुना जिले में धनिया उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

गुना अकेले सालाना लगभग 32,000 मीट्रिक टन धनिया का उत्पादन करता है जो पूरे देश में कुल उत्पादन का 20 से 25 प्रतिशत है।

गुना जिले का छोटा धनिया सुगंधित होता है और महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली में इसकी भारी मांग होती है। जबकि बड़े धनिये का उपयोग मुख्य रूप से धनिया दाल (मुखवास) के निर्माण में किया जाता है।

प्राचीन काल से ही विश्व में भारत देश को ‘‘मसालों की भूमि‘‘ के नाम से जाना जाता है। धनिया के बीज एवं पत्तियां भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते है। धनिया बीज में बहुत अधिक औषधीय गुण होने के कारण कुलिनरी के रूप में, कार्मिनेटीव और डायरेटिक के रूप में उपयोग में आते है । धनिया अम्बेली फेरी या गाजर कुल का एक वर्षीय मसाला फसल है । इसका हरा धनिया सिलेन्ट्रो या चाइनीज पर्सले कहलाता है । मध्यप्रदेश में धनिया की खेती 1,16,607 हे. में होती है जिससे लगभग 1,84,702 टन उत्पादन प्राप्त होता है। औसत उपज 428 किग्रा./हे. है। म.प्र. के गुना, मंदसौर, शाजापुर, राजगढ, विदिशा, छिंदवाडा आदि प्रमुख धनिया उत्पादक जिले है।

धनिया एक बहुमूल्य बहुउपयोगी मसाले वाली आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी फसल है। धनिया के बीज एवं पत्तियां भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते है। धनिया बीज में बहुत अधिक औषधीय गुण होने के कारण कुलिनरी के रूप में, कार्मिनेटीव और डायरेटिक के रूप में उपयोग में आते है भारत धनिया का प्रमुख निर्यातक देश है । धनिया के निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है।

एक जिला एक उत्पाद के तहत जिले में धनिया उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, क्योंकि देश का 20 से 25 प्रतिशत धनिया की पैदावार गुना जिले में होती है। जिले में प्रतिवर्ष 32000 टन धनिया का उत्पादन होता है। आंकड़ों पर गौर करें, तो देश में तीन ही जिले धनिया की पैदावार में प्रमुख हैं, जिनमें गुना प्रथम, रामगंज मंडी (राजस्थान) द्वितीय और गोंडल (गुजरात) तृतीय पायदान पर है। खास बात यह कि गुना का धनिया देश के साथ विदेशों में भी निर्यात हो रहा है।

‘एक जिला एक उत्पाद योजना’ के तहत गुना जिले में 100 इकाइयां धनिया प्रोसेसिंग एवं धनिया पाउडर निर्माण में लगी हुई हैं। इनमें करीबन 12 करोड़ की पूंजी विनियोजन की हुई है। इन इकाइयों से करीबन 1500 लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।

गुना जिले के बाद दूसरे स्थान पर राजस्थान का रामगंज मंडी और तीसरे स्थान पर गुजरात का गोंडल जिला आता है। गुना जिले के प्रमुख धनिया उत्पादक क्षेत्र बमोरी, चांचौडा, मधुसूदनगढ, कुंभराज हैं। वहाँ छोटा धनिया एवं मोटा धनिया का उत्पादन होता है। गुना जिले का छोटा धनिया खुशबूदार होता है, जिसकी कई मेट्रो शहर मसलन महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली में भारी मांग रहती है। गुना जिले में धनिया एवं धनिया उत्पाद की ब्रांडिंग एवं सार्टिंग कर गुना जिले के उद्यमियों एवं कृषकों को लाभ भी पहुंचाया जा रहा है।

धनिया की फसल कम वक्त में तैयार हो जाती है। बुवाई के बाद धनिया की फसल बेचने के लिए 35 से 40 दिन में तैयार हो जाती है। किसान हरा धनिया और मसालों के रूप में बेचने के लिए इसकी खेती करते हैं।