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धार, मध्य प्रदेश के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है, धार जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है । यह इंदौर संभाग का एक भाग है । धार का कुल भौगोलिक क्षेत्र 8153 वर्ग किमी है और इस प्रकार यह मध्य प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में से एक है ।

धार जिले में सीताफल को एक जिला एक उत्पाद योहना के तहत चयनित किया गया। 

एनोनेसी, सीताफल, या एनोना, परिवार, मैगनोलिया ऑर्डर (मैगनोलियालेस) का सबसे बड़ा परिवार 129 जेनेरा और लगभग 2,120 प्रजातियों के साथ। परिवार में मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय में पाए जाने वाले पेड़, झाड़ियाँ और लकड़ी के पर्वतारोही होते हैं, हालाँकि कुछ प्रजातियाँ समशीतोष्ण क्षेत्रों में फैली हुई हैं। कई प्रजातियां अपने बड़े गूदे वाले फलों के लिए मूल्यवान हैं, कुछ अपनी लकड़ी के लिए उपयोगी हैं, और अन्य को आभूषण के रूप में बेशकीमती माना जाता है। लोक चिकित्सा में कई प्रजातियों की छाल, पत्तियां और जड़ें महत्वपूर्ण हैं, और अन्य इत्र और मसाले के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

धार जिले का छोटा-सा गांव है नालछा। यहां के जंगलों में उगने वाले सीताफल की मिठास देशभर में फैल चुकी है। यहां से रोज अन्य राज्यों में फल भेजे जा रहे हैं।

उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक केएल मंडलाेई बताते हैं कि किसी समय में सीताफल मांडू के जंगलाें में लगते थे, लेकिन बीते चार-पांच सालाें से किसानाें ने खेती करना शुरू कर दी। शुरुआत भी मांडू, नालछा से ही हुई। सीताफल की खेती किसानाें के लिए लाभ का धंधा साबित हाेने लगी ताे निसरपुर, मनावर, धरमपुरी ने किसानाें ने भी सीताफल बाेना शुरू कर दिया।

फिलहाल मांडू, नालछा, निसरपुर, मनावर, धरमपुरी में भी सबसे ज्यादा सीताफल की खेती हाेती है। मंडलाेई के मुताबिक अब हाईब्रिड, सीगलेस जैसी नई वैरायटियां आने से किसानाें का रुझान और बढ़ने लगा। जिले के इन पांच क्षेत्राें में किसानाें काे फायदा हाेते देख अब सरदारपुर, बदनावर के किसान भी सीताफल की खेती करने लगे हैं।