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धमतरी भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ का एक जिला है। जिले का मुख्यालय धमतरी है।

प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण धमतरी जिले के विकास का पूरा दारोमदार बड़ी रेल लाइन पर टिका हुआ है। उल्लेखनीय है कि यह कृषि प्रधान जिला है। यहां प्रचूर मात्रा में वनोपज का उत्पादन भी होता है। ऐसे में परिवहन के लिए बड़ी रेल लाइन की सुविधा विकास को एक नया आयाम दे सकती है।

छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे विकासशील जिलों में एक धमतरी है। करीब ८ लाख की आबादी वाले इस जिले में 1 लाख 94 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल ली जाती है। धान उत्पादन का यह एक प्रमुख केन्द्र है। यही वजह है कि पूरे जिले में करीब 214 राइस मिलें हैं। कस्टम मिलिंग में भी यह जिला हमेशा अग्रणी रहा है। यहां के राइस मिलर्स अपने उत्पादित चावल को तामिलनाडू, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक आदि राज्यों में सप्लाई करते हैं। परिवहन को लेकर उनकी आय का एक बढ़ा हिस्सा खर्च हो जाता है।

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां के किसान अलग-अलग किस्म के धान की फसल उगाते हैं। धमतरी जिले के नगरी किसानों को उनकी अपनी नगरी दुबराज धान किस्म (Dubraj Paddy Variety)को ब्रांड नेम मिल गया है। यह छत्तीसगढ़ की दूसरी फसल है, जिसे ज्योग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री टैग यानी जीआई टैग (Geographical Indication Registry Tag) दिया गया है। इसके पहले जीरा फूल धान की किस्म के लिए प्रदेश को जीआई टैग मिल चुका है।

ये है नगरी दूबराज की खासियत
नगरी दुबराज की खासियत यह है कि यह चावल बहुत ही सुगंधित होता है। इसके दाने छोटे होते है। यह पकने के बाद बेहद नरम बनता है. ये धान एक एकड़ में अधिकतम छह क्विंटल तक उपज देता है। धान की ऊंचाई कम और 125 दिन में पकने की अवधि है। वहीं, इसकी खेती करने वाले किसान किरण कुमार साहू ने बताया कि दुबराज धान को बहुत कम किसान लगाते हैं, क्योंकि दुबराज फसल में दूसरे धान की उपेक्षा उपज कम होती है। बाजार में नगरी दुबराज का सही मूल्य नही मिल रहा है। अब जीआई टैग मिल गया है, तो इसे अच्छा दाम मिलेगा।

कोदो-कुटकी के बाद अब धमतरी जिले में भी लाल, काला, हरा और जिंक किस्म की औषधीय चावल की जैविक पद्घति से खेती होने लगी है। ब्लैक राइस की खेती की शुरुआत छत्तीसगढ़ राज्य में धमतरी जिले में हुई है। सिक्किम से बीज मंगाकर खरीफ सीजन में खेती की गई। हरे चावल की खेती को बढ़ावा देने कृषि एवं रिफार्मा एक्सटेंशन आत्मा योजना के तहत बीज तैयार कर रहा है।

कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोजित बैठक में कलेक्टर एवं समिति के अध्यक्ष ने कहा धमतरी मुख्यतः चावल उत्पादक जिला है और इस क्षेत्र में लघु उद्योगों की स्थापना की असीम संभावनाएं हैं। ऐसे में चावल आधारित उद्योगों को प्राथमिकता के आधार पर स्थापित किया जा सकता है, जिससे नवीन रोजगार सृजित हो सकेंगे। बैठक में प्रधानमंत्री सूक्ष्‌म खाद्य उद्योग उन्नयन (आत्मनिर्भर भारत) योजना के बारे में जानकारी देते हुए महाप्रबंधक उद्योग एवं व्यापार केंद्र एसपी गोस्वामी ने बताया कि विभाग द्वारा मुरमुरा, राइस नूडल्स, राइस पेपर, राइस स्टार्च, तथा चावल पापड़ मुरकू निर्माण पर आधारित उद्योग की कार्ययोजना तैयार की गई है।

उन्होंने बताया कि योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए सहायता दी जाएगी, जिसके तहत उन्नयन के लिए विद्यमान संगठित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को अधिकतम 10 लाख रुपये तक की अनुदान सहायता से परियोजना लागत की 35 प्रतिशत क्रेडिट लिंक्ड अनुदान की सहायता योजना के तहत की जाएगी।