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छिंदवाड़ा जिला 1 नवंबर, 1 9 56 को बनाया गया था। यह ‘पहाड़ों की सतपुरा रेंज’ के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। यह 21.28 से 22.4 9 डिग्री तक फैल गया है। उत्तर (रेखांश) और 78.40 से 79.24 डिग्री पूर्व (अक्षांश) और 11,815 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जिला दक्षिण में नागपुर जिले (महाराष्ट्र राज्य में) के मैदानों, उत्तर पर होशंगाबाद और नरसिंहपुर जिले, पश्चिम में बेतुल जिला और पूर्व में सिवनी जिले की सीमाओं से लगा हुआ है।

मध्यप्रदेश में आलू पैदावार की स्थिति व महत्व को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अखिल भारतीय आलू अनुसंधान परियोजना को आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र छिंदवाड़ा में 1970 में प्रारंभ किया गया। मध्यप्रदेश में इस परियोजना के प्रारंभ करने के लिए मुख्य उद्देश्य क्षेत्र के लिए उपयुक्त आलू किस्म का चुनाव करना है तथा आलू पैदावार को बढ़ाने के लिए उपयुक्त पैदावार तकनीक का विकास करना है। इन उद्देशों की पूर्ति हेतु अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना मुख्य रूप से फसल सुधार, फसल पैदावार व फसल संरक्षण में काम कर रही है।

आलू अनुसंधान केंद्र छिंदवाड़ा देश में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है। जिले की भौगोलिक स्थिति आलू के लिए बहुत अच्छी है। जलनिकासी, भुरभुरापन व हल्की जमीन आलू के खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। अखिल भारतीय समन्वित आलू परियोजना द्वारा प्रदेश के लिए उपयुक्त किस्मों का चयन तथा समय समय पर अनुशंसा की गई है। आलू की कई किस्में प्रदेश के लिए उपयुक्त पाई गई हैं।