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बुलढाणा (Buldhana) भारत के महाराष्ट्र राज्य के बुलढाणा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। शहर का नाम राजा ढाणा भील के नाम पर बुलढाणा रखा गया है।

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के लिए वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) के तहत अमरूद का चयन किया गया है। मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की ओर से किसी खास उत्पाद को किसी खास जिले का एक जिला एक उत्पाद (ODOP) घोषित करने से किसानों और इससे जुड़े लोगों की इनकम में वृद्धि होगी। एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा। इससे उस प्रोडक्ट की मांग में इजाफा होगा। बागवानी में महाराष्ट्र पहले से ही काफी आगे है, ऐसे में अब इस जिले के लिए ओडीओपी घोषित होने से किसानों का अमरूद की खेती की ओर रुझान बढ़ेगा।

बागवानी फसलों में अमरूद अहम है, यह इसे पैदा करने वाले किसानों और खाने वाले लोगों दोनों की सेहत के लिए अच्छा है। इसमें कैलोरी कम और फाइबर अधिक होता है और कोलेस्ट्रॉल ना के बराबर होता है। पारंपरिक खेती का मोह त्यागकर अमरूद की खेती (Guava Farming) करने वाले किसान आज अच्छी कमाई कर रहे हैं।

अमरूद की खेती में सबसे अच्छी बात ये होती है कि ये 5 डिग्री तक की ठंड और 45 डिग्री तक की गर्मी को भी झेलने की ताकत रखता है। अमरूद के पौधों को एक लाइन में करीब 8-8 फुट की दूरी पर लगाना चाहिए। दो लाइनों के बीच में 12 फुट की दूरी भी रखें। इस दूरी का फायदा होगा कि आपको अमरूद पर दवा छिड़कने, बैगिंग करने या बाकी रख-रखाव में आसानी रहेगी। जगह अधिक होने की वजह से आप छोटा ट्रैक्टर भी इसमें चला सकेंगे और मशीनों से ही दवा आदि का छिड़काव कर सकते हैं.एक हेक्टेयर में इस तरह करीब 1200 पौधे लग जाएंगे। 

अमरूद की खेती के लिये कैसी होनी चाहिए भूमि?
अमरूद को लगभग प्रत्येक प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। परंतु अच्छे उत्पादन में उपजाऊ बलुई दोमट भूमि अच्छी रहती है। बलुई भूमि मिटटी 4.5 में पीएच मान तथा चूनायुक्त भूमि में 8.2 पीएच मान पर भी इसे सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। अधिक तापमान 6 से 6.5 पीएच मान पर प्राप्त होता है, कभी कभी क्षारीय भूमि में उकठा रोग के लक्षण नजर आते है।