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बोंगाइगांव जिला असम का एक जिला है, जिसका मुख्यालय भी बोंगाइगांव ही है, इस जिलो को 29 सितम्बर 1989 में गोआलपाड़ा और कोकराझार जिले के कुछ भाग को मिलाकर बनाया गया था, इसके बाद 2004 में इस जिले का आकर कुछ छोटा हो गया जब इस जिले से एक न्य जिला चिरांग जिला बना दिया गया।

हल्दी को केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना के 'एक जिला एक उत्पाद' (ओडीओपी) दृष्टिकोण के तहत चुना गया है जिसका उद्देश्य जिले में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करना है।

आत्मानिर्भर भारत अभियान 2020-21 के तहत, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों (पीएम एफएमई) योजना का पीएम औपचारिककरण शुरू किया, जिसके माध्यम से प्रत्येक जिले से एक उत्पाद का चयन किया जाता है और इससे संबंधित उद्योगों को उन्नयन, क्षमता के लिए सहायता प्रदान की जाती है। पांच साल के लिए भवन और गुणवत्ता में सुधार।

जबकि केंद्र सरकार 60% का योगदान देती है, राज्य सरकार उन गतिविधियों के लिए 40% योगदान देती है जो किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और कुटीर उद्योगों और प्रसंस्करण इकाइयों का समर्थन करने का इरादा रखती हैं”, कृषि विपणन विभाग के एक अधिकारी ने कहा। अधिकारी ने कहा कि व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां अपग्रेड के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं और उद्यमी नई इकाइयां शुरू करने के लिए सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।

मसाला फसलों में हल्दी का अपना एक अलग महत्वपूर्ण स्थान है। हल्दी अपने पीले रंग व गुणों के कारण भारतीय मसालों के रूप में भोजन बनाने में प्रयोग में लाई जाती है। इसके अलावा कोई भी मांगलिक कार्य हो उसमें हल्दी का प्रयोग शुभ माना जाता है। हल्दी का उपयोग भगवान के पूजन में किया जाता है। वहीं काली हल्दी का उपयोग तांत्रिक प्रयोगों में किया जाता है। इसके अलावा हल्दी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिससे इसका प्रयोग घरेलू रोगोपचार में भी किया जाता है। आयुर्वेद में इसे औषधी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। इस प्रकार हल्दी बहुपयोगी फसल है।

हल्दी भारतीय वनस्पति है। दक्षिण एशिया के इस पौधे का वानस्पतिक नाम कुरकुमा लौंगा है तथा यह जिंजीबरेसी कुल का सदस्य है। हल्दी के पौधे ज़मीन के ऊपर हरे-हरे दिखाई देते हैं। हल्दी के पत्ते केले के पत्ते के समान बड़े-बड़े और लंबे होते हैं, इसमें से सुगन्ध आती है। कच्ची हल्दी, अदरक जैसी दिखती है। हल्दी की गांठ छोटी और लालिमा लिए हुए पीले रंग की होती है।

हल्दी की सबसे ज्यादा खेती आंध्र प्रदेश में होती है। इसके अलावा ओडिशा, तमिलानाडु व महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय, असम में इसकी खेती की जाती है।

हल्दी के औषधीय गुण
हल्दी को आयुर्वेदिक पदार्थ माना जाता है। ऐसा मानने के पीछे इसमें मौजूद औषधीय गुण है। इसके औषधीय गुण कई बीमारियों से बचाएं रखने और उनसे राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा हल्दी को लेकर किए गए रिसर्च के मुताबिक, इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, केलोरेटिक, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक, एंटी कैंसर, एंटीट्यूमर, हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर को सुरक्षित रखने वाला गुण), कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय को सुरक्षित रखने वाला गुण) और नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी को नुकसान से बचाने वाला गुण) गुण होते हैं।

Bongaigaon जिले की प्रमुख फसलें