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भिंड जिले में बाजरा की फसल को एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत चयनित किया गया हैं।

आज से लगभग तीन दशक पूर्व भिण्ड जिले का पूरा भूभाग वर्षा के पानी के ऊपर निर्भर था इसलिए यहॉं के किसान उन फसलों को तरजीह देते थे जिनको सिंचाई की जरूरत न हो अतएव बाजरा की फसल यहॉं के किसानो की पहली पंसद रही है। इस क्षेत्र में पैदा होने वाला बाजरा दूर- दूर तक मशहूर है। यहॉं के लोग बाजरा का उपयोग भिन्न-भिन्न प्रकार के खाद्ध पदार्थ व पकवान यथा बाजरा के लडडू, बाजरा की रोटी, महेरी इत्यादि बनाकर करते है।

जिले के बहुत बड़े क्षेत्र में खरीफ फसल के रूप में बाजरा एवं ज्वार की फसल पैदा की जाती है। गेहूं व सरसों के अलावा बाजरा ज्वार मुख्य फसल है।

  • बाजरा एक ऐसी फसल है ऐसे किसानो जो कि विपरीत परिस्थितियो एवं सीमित वर्षा वाले क्षेत्रो तथा बहुत कम उर्वरको की मात्रा के साथ, जहाँ अन्य फसले अच्छा उत्पादन नही दे पाती के लिए संतुत की जाती है।
  • बाजरा की फसल जो गरीबो का मुख्य श्रोत है- उर्जा, प्रोट्रीन विटामिन, एवं मिनरल का ।
  • बाजरा शुष्क एवं अर्द्धषुष्क क्षेत्रो मे मुख्य रुप से उगायी जाती है, यह इन क्षेत्रो के लिए दाने एवं चारे का मुख्य श्रोत माना जाता है। सूखा सहनषील एवं कम अवधि (मुख्यतः 2-3 माह) की फसल है जो कि लगभग सभी प्रकार की भूमियो मे उगाया जा सकता है। बाजरा क्षेत्र एवं उत्पादन मे एक महत्वपूर्ण फसल है ।जहाँ पर 500-600 मि.मी. वर्षा प्रति वर्ष होती है जो कि देश के शुष्क पष्चिम एवं उत्तरी क्षेत्रो के लिए उपयुक्त रहता है
  • न्यूटिषियन जरनल के अध्ययन के अनुसार भारत वर्ष के 3 साल तक के बच्चे यदि 100 ग्राम बाजरा के आटे का सेवन करते है तो वह अपनी प्रतिदिन की आयरन (लौह) की आवष्यकता की पूर्ति कर सकते है तथा जो 2 साल के बच्चे इसमे कम मात्रा का सेवन करे ।
  • बाजरा का आटा विशेषकर भारतीय महिलाओ के लिए खून की कमी को पूरा करने का एक सुलभ साधन है। भारतवर्ष मे ही नही अपितु संसार मे महिलाये एवं बच्चे मे लौहतत्व (आयरन) एवं मिनरल(खनिज लवण) की कमी पायी जाती है - डा. एरिक बोई, विभागाध्यक्ष न्यूटिषियन हारवेस्टप्लस के अनुसार गेहूँ एवं चावल से, बाजरा आयरन एवं जिंक का एक बेहतर श्रोत है
  • बाजरा की खेती मध्यप्रदेष मे लगभग 2 लाख हे. भूमि मे की जाती है जो मुख्य रुप से मध्यप्रदेष के उत्तरी भाग भिण्ड, मुरैना, श्योपुर तथा ग्वालियर जिले मे उगायी जाती है। भिण्ड जिले मे बाजरा लगभग 45000 हेक्टेयर भूमि पर उगाया जाता है।
  • बाजरा के दानो मे, ज्वार से अच्छी गुणवत्ता के पोषक तत्व पाये जाते है। दानो मे 12.4 प्रतिशत नमी, 11.6 प्रतिषत प्रोटीन, 5 प्रतिषत वसा, 76 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेटस तथा 2.7 प्रतिशत मिनरल पाये जाते हैं।
  • बाजरा के दानो को चावल की तरह पकाकर या चपाती बनाकर प्रयोग कर सकते है इसको मुर्गियो के आहार पशुओ के लिए हरे चारे तथा सूखे चारे के लिये भी उपयोग मे लाया जाता है।

Bhind जिले की प्रमुख फसलें