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एक जिला एक उत्पाद योजना में अदरक की फसल का चयन किया गया है। अदरक के औषधीय उपयोग को देखते हुए प्रशासन ने इसे योजना में चुना है। अब अदरक की प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग की तैयारी शुरू की जा रही है।



"एक जिला एक उत्पाद ‘‘ बड़वानी के लिये चयनित ‘‘ अदरक ‘‘ 

मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की उपज का पूरा दाम दिलवाने, क्षेत्र, विशेष परिस्थितियों के अनुसार होने वाली फसलों की ब्रान्डिग, खेतों में उत्पादित फसलों को बहुमूल्य बनाने के लिये उसकी प्रोसेसिंग करवाने के लिये एक जिला - एक उत्पाद की योजना लागु की है। इस योजना के कारण प्रदेश के सभी जिलो ने अपने यहाॅ की विशेषता, भविष्य की संभावना के मददेनजर फसलों का चयन कर, किसानों को प्रोत्साहन, उनका पीएफओ बनवाने की कार्यवाही प्रारंभ की है। 
बड़वानी में  ‘‘ एक जिला एक उत्पाद ‘‘ के तहत ‘‘ अदरक ‘‘ फसल का चयन किया गया है। जिले के लिये इस फसल का चयन इसकी सूखा और गीला में उपयोगिता, बाजार मूल्य एवं जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे उत्पादन को दृष्टिगत रखते हुये किया गया है।

वर्तमान में हो रहा इसका उत्पादन 
वर्तमान में जिले में अदरक का उत्पादन 313.979 हेक्टर क्षेत्र में लिया जा रहा है। इसमें 84 गाॅव के किसान संलग्न है। जिले में अदरक की उत्पादकता 17.50 टन प्रति हेक्टर है।

भविष्य की संभावना
 वर्तमान में कोरोना प्रकोप एवं लोगो के पुनः आयुर्वेद के प्रति बढ़ते रूझान के कारण अदरक का भविष्य उज्जवल है। अदरक में त्रीव गंध जीन्जीबिरेन के कारण होती है, जो वाप्पशील तेल में पाया जाता है जो अदरक में 1 से 2 प्रतिशत होता है। इसमें स्टार्च 50 प्रतिशत होता है।

अदरक की उपयोगिता
अदरक  को दो रूपों में उपयोग किया जाता है। सूखे रूप में इसे ‘‘ सौंठ ‘‘ कहते है। इसका उपयोग आयुर्वेद औषधि निर्माण करने, पदार्थो को सुगंधित करने तथा पेय पदार्थो को तैयार करने में किया जाता है। गीला अदरक के विभिन्न उत्पाद भी बनाये जाते है। इसके अदरक पेस्ट ( भारतीय खाना का मुख्य आधार है ), आचार, तेल, ज्यूस, अदरक केन्डी, सुपारी की बर्फी ( सर्दी - खाॅसी के लिये  ) आदि।

जिले में उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास
जिले हेतु चयनित अदरक की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों को बेहतर बाजार, व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु एफपीओ बनाने की कार्यवाही शुरू हो गई है। इस हेतु जिले में जिला प्रबंधक दीनदयाल अन्त्योदय योजना मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इनको सहयोग देने के लिये महाप्रबंधक जिला व्यापार केन्द्र, उपसंचालक किसान कल्याण, उप संचालक उद्यानिकी को नियुक्त किया गया है। एफपीओ निर्माण एवं योजना का सम्पूर्ण क्रियान्वयन नाबार्ड एवं ट्राईफेड के माध्यम से किया जायेगा । 
जिले में जगह- जगह कृषको की संगोष्ठी का आयोजन कर किसानों को एफपीओ से होने वाले लाभ तथा कान्ट्रेन्ट खेती हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिससे किसान एक मंच पर जुढ़कर अदरक प्रोसेसिंग इकाई, भण्डार गृह बनाने की तरफ बढ़ सके । किसानों की संगोष्ठी, कार्यशाला में एफपीओ विशेषज्ञो की भी मदद ली जा रही है। जिसके किसानो के प्रश्नो- जिज्ञासाओं का समाधान हो सके । 
जिला स्तरीय निर्यात प्रोत्साहन समिति का विस्तार जिले के उन्नतशील कृषको को जोड़कर किया गया है। जिससे जिले में अदरक सहित होने वाली अन्य उद्यानिकी फसल कैला, टमाटर, भिण्डी आदि के निर्यात को भी बढ़ावा मिले । इसके लिये कृषको को ‘‘ एपीडा ‘‘  के माध्यम से एक्सपोर्टर के संग संगोष्ठी की कार्य योजना भी बनाई गई है।