असम को आसाम भी कहा जाता है जो भारत के उत्तर पूर्व में स्थित है। चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन भारत में होता है। भारत के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा चाय उत्पादन असम में होता है।
असम की चाय पूरी दुनिया में मशहूर है। चाय की शुरुआत भी असम से ही हुआ था। एक ब्रिटिश ऑफिसर ने चाय की खेती की शुरुआत असम में की थी। यहां के कृषि में मुख्य चाय की खेती है जो असम की पहचान है।
असम के ज्यादातर लोगों का आय चाय की पैदावार से होती है। मालिक चाहे कहीं का हों, लेकिन चाय के बागान में पत्तियों तोड़ने वाले ज्यादातर मजदूर असम के ही होते हैं।
बरपेटा जिला भारत के असम राज्य का एक ज़िला है। इसका मुख्यालय बरपेटा शहर है।
जिले में दूध पर आधारित उत्पादों से जुड़े उद्योग स्थापित होंगे और तैयार माल के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। पीएमएफएमई योजना के तहत शासन ने दूध आधारित उत्पादों को एक जिला-एक उत्पाद में शामिल किया है। इसे बढ़ावा देने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए रूपरेखा तैयार की जा रही है।
केंद्र सरकार की प्राथमिकता वाली प्रधानमंत्री फार्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइज (पीएमएफएमई) योजना में हर जिले में कृषि आधारित व्यवसाय व उद्योग को बढ़ावा देने की पहल की गई है। बारपेटा से दूध आधारित उत्पादों को इसमें शामिल किया गया है। दुग्ध उत्पादन में पहले से अग्रणी जिले में अब दूध प्रसंस्करण कर उससे नए उत्पाद बनाने और उसे बारपेटा की पहचान के साथ बाजार में उतारने की कवायद की जाएगी। दही, पनीर, मट्ठा, घी, मिल्क पावडर, दूध से बनने वाली मिठाइयां सहित तमाम चीजें इसके दायरे में आएंगे। इससे संबंधित व्यवसाय करने वालों को तो प्रोत्साहन मिलेगा ही, नए लोगों को भी अनुदान देकर जोड़ा जाएगा।
बजली क्षेत्र
एआई कार्यक्रम के लागू होने से पहले दूध का उत्पादन लगभग 300 लीटर प्रतिदिन था। लागू होने के बाद वर्तमान में बजली क्षेत्र में यह 15,500-25,000 लीटर प्रतिदिन है। डेयरी फार्म इस क्षेत्र के लगभग 2,500-2,700 बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार प्रदान करते हैं। दुग्ध विपणन को व्यवस्थित करने के लिए डेयरी सहकारी समितियों का गठन किया जाता है। उप-उत्पाद या मूल्य वर्धित उत्पाद जैसे दही, पनीर, क्रीम, घी, आदि डेयरी फार्म की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में योगदान करते हैं। महिला स्वयं सहायता समूह ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत नित्यानंद, बाघमारा में दुग्ध उपोत्पाद की दुकानें खोली हैं।
पाठशाला, बारपेटा रोड, हाउली
पाठशाला, बारपेटा रोड और हाउली क्षेत्र के किसान आमतौर पर मेहनती और अपेक्षाकृत शिक्षित होते हैं। इन क्षेत्रों में दूध का अच्छा बाजार भी है। बारपेटा रोड में तरल दूध शाम को अलग-अलग किसानों द्वारा दैनिक बाजार में बेचा जाता है। बारपेटा रोड, हलपाकरी क्षेत्र, हाउली, पाठशाला और नित्यानंद क्षेत्र के बलभीथा के किसानों में एआई कार्यक्रम को अपनाना अपेक्षाकृत अधिक है।
इसका श्रेय इन क्षेत्रों में पिछले 8 से 10 वर्षों से विभागीय एआई कार्यकर्ता के प्रयासों को भी जाता है। किसानों ने क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाया जिसके परिणामस्वरूप निश्चित दूध की जेब और डेयरी सहकारी समितियों का गठन हुआ। अब पाठशाला और नित्यानंद क्षेत्र WAMUL (पूरबी दूध) सहित विभिन्न दुग्ध सहकारी समितियों के प्रमुख दूध संग्रह क्षेत्र में से एक बन गया है।
दुग्ध कृषि (Dairy farming), या डेरी उद्योग या दुग्ध उद्योग, कृषि की एक श्रेणी है। यह पशुपालन से जुड़ा एक बहुत लोकप्रिय उद्यम है जिसके अंतर्गत दुग्ध उत्पादन, उसकी प्रोसेसिंग और खुदरा बिक्री के लिए किए जाने वाले कार्य आते हैं। इसके वास्ते गाय-भैंसों, बकरियों या कुछेक अन्य प्रकार के पशुधन के विकास का भी काम किया जाता है। अधिकतर डेरी-फार्म अपनी गायों के बछड़ों का, गैर-दुग्ध उत्पादक पशुधन का पालन पोषण करने की बजाए सामान्यतः उन्हें मांस के उत्पादन हेतु विक्रय कर देते हैं। डेरी फार्मिंग के अंतर्गत दूध देने वाले मवेशियों का प्रजनन तथा देखभाल, दूध की खरीद और इसकी विभिन्न डेरी उत्पादों के रूप में प्रोसेसिंग आदि कार्य सम्मिलित हैं।