बारामूला जिला भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के 20 जिलों में से एक है। बारामूला शहर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। जिला 34.1980° उत्तर देशांतर और 74.3636° पूर्व अक्षांश पर स्थित है, जो 4190 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 524 गांव (जनगणना गांव) शामिल हैं। यह शहर श्रीनगर की राजधानी से लगभग 55 किलोमीटर दूर झेलम नदी के दोनों किनारों पर स्थित है।

घाटी का उत्तर-पश्चिमी जिला, बारामूला, जिसका अर्थ है "सूअर का दाढ़ स्थान", इसका नाम दो संस्कृत शब्दों वराह (संस्कृत: सूअर) और मूल (संस्कृत: दाढ़) से लिया गया है। कश्मीर के सबसे पुराने महाकाव्य, नीलमठपूर्णा में, कश्मीर घाटी कभी पार्वती की झील "सतीसारस" कहलाती थी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

सेब (Apple) को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में सेब (Apple)  के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

कश्मीर में सेब के बागान और सेब की मिठास पूरे देश में मशहूर है। इसकी मिठास का कोई जवाब नहीं है। यहीं कारण है कि कश्मीर के सेब की बाजार में अलग मांग होती है। जानकारी के मुताबिक कश्मीर में लगभग 18 लाख टन सेब पैदा होता है और यह पूरे देश की कुल पैदावार का 75 फीसदी है।

जवाहर सुरंग से लेकर उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे कुपवाड़ा तक वादी में सेब के बागान है जहां सेब की खेती होती हैं। कश्मीर में सेब उद्योग 8,000-10,000 करोड़ रुपये का माना जाता है। 

जम्मू और कश्मीर में बागवानी, विशेषतौर पर सेब के बाग आमदनी का एक बड़ा जरिया हैं।जम्मू और कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है। सोपोर को उसके हरे भरे बागों, बड़े घरों और संपन्नता के कारण स्थानीय लोग "लिटिल लंदन" भी कहते हैं।

जानकारी के मुताबिक जम्मू और कश्मीर में सेब की बाग़बानी 164,742 हेक्टेयर भूमि पर की जाती है जिससे वर्ष 2018-19 में 1.8 मिलियन (18,82,319) मीट्रिक टन से ज्यादा सेब का उत्पादन हुआ । जम्मू और कश्मीर सरकार के बागवानी विभाग के अनुसार जम्मू-कश्मीर में बागवानी (सेब सहित) 3.3 मिलियन लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है।

सोपोर, बारामुला, पुलवामा, शोपियां व कुलगाम सेब उत्‍पादन के बड़े केंद्र हैं। दिसंबर की शुरुआत तक वादी से सेब निर्यात होता है। इसके अतिरिक्त, राज्य (अब केंद्र शासित प्रदेश) के बाहर से आने वाले मज़दूरों को पूरी कश्मीर घाटी में फैले बागों में रोजगार मिलता है। जम्मू और कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है।  कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सेब की कई नस्लें पैदा की जाती हैं।

कश्मीर के सबसे उम्दा ‘रैड डिलीशियस’ सेब माना जाता है।बाजार में रैड डिलीशियस अक्तूबर-नवम्बर से आना शुरू होता है।

बारामूला जिला
बारामूला राज्य में बागवानी उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक है। जिले में सेब के विशाल बाग हैं। यहां विश्वस्तरीय सेब उगाए जाते हैं।

बारामूला के पास पलहलान, पट्टन में एक खरगोश फार्म है, जो उत्तरी भारत के केवल दो खरगोश फार्मों में से एक है। दूसरा हिमाचल प्रदेश में है।

बारामूला की मीर गुंड, पट्टन में रेशम कीड़ा प्रजनन इकाई है।

जिले में तीन राज्य के स्वामित्व वाले बिजलीघर हैं, अर्थात्, गंतमुल्ला, मोहरा पावर हाउस और अस्थान नाला में लोअर झेलम पनबिजली परियोजना। 480 मेगावाट, एनएचपीसी के स्वामित्व वाली उरी सिविल हाइडल पावर प्रोजेक्ट उरी में झेलम नदी पर बनाया गया है और इसका द्वितीय चरण (220 मेगावाट) निष्पादन के अधीन है।

जम्मू और कश्मीर के बारामूला जिले के एक छोटे से शहर सोपोर को सेब के शहर के रूप में जाना जाता है। यह 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 118,608 की आबादी और 61 किलोमीटर के क्षेत्र के साथ दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला उप-जिला है। यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा फल बाजार है, जिसका वार्षिक कारोबार 2,600 करोड़ रु है।

बागवानी जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। 20% भूमि क्षेत्र को कवर करते हुए, यह लगभग 3.5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है। बागवानी विभाग की वेबसाइट जम्मू और कश्मीर सरकार के अनुसार, 2015-16 के दौरान 6000 करोड़ के कारोबार के साथ बागवानी उत्पादन 24.9 एमएलएमटी दर्ज किया गया।

सेब की खेती कश्मीर के दस जिलों में 1,44,825 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती है, जिसमें सालाना औसतन 17 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। यह क्षेत्र अशिक्षित और शिक्षित युवाओं के एक बड़े वर्ग को रोजगार देता है और संबंधित व्यवसायों जैसे उर्वरक, कीटनाशक, कृषि मशीनरी, व्यापारियों और फलों के प्रसंस्करण आदि को व्यवसाय प्रदान करता है।